माँ का बंद कमरा( हिन्दी कहानी ) ।। Hindi kahani।। Emotional Kahani ।। Emotional story in hindi।।Hindi Story।।Hindi kahaniyaa।। Nayi kahaniyaa।।


"एक बेटे ने अपनी माँ का बदलता व्यवहार देखा, लेकिन जब उसने माँ के कमरे का रहस्य खोला, तो सामने आई एक चौंकाने वाली सच्चाई। जानिए क्या था वह रहस्य जो माँ ने सालों तक छुपाकर रखा था"।। Hindi kahani।। Emotional Kahani ।। Emotional story in hindi।।Hindi Story।।Hindi kahaniyaa।। 


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कुछ दिनों से मेरी माँ का व्यवहार काफी बदल गया था। पहले तो वह हमेशा घर के कामों में व्यस्त रहती थीं, लेकिन अब वह अपना ज्यादातर समय कमरे में बंद होकर बिताने लगी थीं। कभी-कभी वह कमरे से बाहर आती, तो भी ताला लगा कर जातीं। मुझे यह बहुत अजीब लगता, और धीरे-धीरे मैं इस बात को लेकर चिंतित हो गया। मुझे समझ में नहीं आता था कि आखिर माँ को ऐसा क्या हो गया है कि वह हमसे दूर रहने लगी हैं।


एक दिन, जब माँ कमरे से बाहर गई थीं, मैंने चुपके से उनके कमरे का दरवाजा खोला। जैसे ही मैं अंदर घुसा, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। कमरे की दीवारों पर हर जगह पेंटिंग्स लगी हुई थीं। कई रंगों के चित्र थे—कुछ फूलों के, कुछ प्राकृतिक दृश्य, और कुछ तो ऐसे थे जो सिर्फ माँ की भावनाओं और सोच को ही प्रकट करते थे। मुझे याद आया कि मेरी माँ हमेशा से शांति और सौंदर्य की ओर आकर्षित होती थीं, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह इस कला के क्षेत्र में इतनी गहरी रुचि रखती होंगी।

मुझे समझ में ही नहीं आया कि ये पेंटिंग्स उन्होंने कहाँ से बनाईं। उनके पास तो हमेशा घर के कामों की ही कमी रहती थी, फिर इन रंगों और चित्रों का यह संग्रह कहां से आया? मैं कुछ देर वहाँ खड़ा सोचता रहा और फिर, चुपके से माँ के पास गया।

"माँ, यह सब क्या है?" मैंने उनके पास जाकर पूछा।

माँ एक पल के लिए चुप रहीं, फिर धीरे से मुस्कुराते हुए बोलीं, "बच्चे, तुमने देखा? ये मेरी तस्वीरें हैं।"

"पर माँ, तुमने हमें कभी नहीं बताया कि तुम इतनी अच्छी चित्रकार हो! ये सारी पेंटिंग्स इतनी सुंदर हैं। क्या तुम हमें पहले ही बता सकती थीं?" मैंने आश्चर्यचकित होकर पूछा।

माँ की आँखों में एक हल्की सी नमी थी। उन्होंने अपनी कहानी शुरू की, "बचपन में मुझे पेंटिंग का बहुत शौक था। लेकिन तब हमारे घर में पेंटिंग्स के लिए कोई जगह नहीं थी। मेरे माँ-बाप हमेशा कहते थे कि ‘घर का काम करो, यही काम आएगा’। मेरी ज़िंदगी का उद्देश्य हमेशा यही था कि घर को साफ-सुथरा रखूं और परिवार की देखभाल करूं। फिर शादी हुई, तो ससुराल की जिम्मेदारियाँ और बच्चों की देखभाल में ही इतना समय निकल गया कि कभी अपनी कला के लिए वक्त ही नहीं मिल पाया।"

माँ की बातों में एक गहरी उदासी थी, लेकिन साथ ही एक संतोष भी था, जैसा कि वह इस बात को स्वीकार कर रही हों कि जीवन ने उसे एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया था। वह आगे बोलीं, "जब तुम बड़े हो गए और अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गए, तो मुझे लगा कि अब मुझे अपनी रुचियों को फिर से जीने का समय मिल गया है। मुझे लगा की में थोड़ी तो अब अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हूँ। इसलिये मैंने 

अपने दबे शोक को फिर से जीने शुरू कर दिया। मैंने हमेशा से सोचा था की और मुझे विश्वास भी था की एक दिन में यह सब बिना किसी डर के कर सकूंगी।
आखिर कार उम्र के इस पड़ाव में मुझे यह मौका मिल ही गया। और में अपने आप को बहुत खुशकिश्मत मानती हूँ वरना मुझ जैसे कई तो बस मन की मन में लिये ही जीती रहती है। और इस उम्र तक आते आते तो सारे शोक ही मर जाते है।


मुझे समझ में आया कि माँ की चुप्पी और कमरे में ताले लगाने के पीछे एक गहरी कहानी छिपी हुई थी, जो उन्होंने अपने जीवन के सफर में कभी किसी को नहीं बताई । मुझे यह समझ आया की माँ को अपनी इस कला को जिम्मेदारीयों के बोझ तले दबाना पड़ा।
और साथ ही यह भी सिखाया की अपना कर्तव्य किस तरह से निभाया जाता है। अपने लिये तब जिया जब सभी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा दिया। माँ ने मुझे यह सिखाया कि उम्र कभी भी किसी शौक को पूरा करने में रुकावट नहीं बनती, और हर इंसान को अपनी आंतरिक अभिव्यक्ति के लिए कुछ समय देना चाहिए। 

माँ की पेंटिंग्स अब मेरे लिए सिर्फ रंगों और चित्रों की पेंटिंग नहीं हैं, बल्कि एक प्रेरणा हैं कि जीवन में कभी भी कुछ नया शुरू किया जा सकता है, और कभी भी अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है।


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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।


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