यह कहानी एक साधारण महिला की है, जिसने पैसों के मोह में फँसकर, संतोष और सच्चे प्यार की महत्ता सीखी। जानिये उसके अनुभव के बारे में।Hindi kahani।।हिन्दी कहानी ।।ज्ञानवर्धक कहानी Inspiration story in hindi।।Hindi story।।
पैसों का मोह ("मंगला की कहानी, साधु का संदेश")।। Hindi kahani।।हिन्दी कहानी ।।ज्ञानवर्धक कहानी Inspiration story in hindi।।Hindi story।। Hindi kahaniyaa।।
मंगला एक साधारण सी महिला थी, लेकिन उसमे लालच था —पैसों का अत्यधिक मोह। यह मोह उसकी जीवन शैली का हिस्सा बन चुका था। उसकी जिन्दगी में पैसों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी उसका दिल कभी संतुष्ट नहीं होता था। जो कुछ भी उसके पास था, वह और अधिक चाहती थी। उसका मन हमेशा कुछ नया, कुछ और पाने की लालसा से भरा रहता था।
मंगला की पड़ोसन लीला, जो कि एक साधारण घर से आती थी, लेकिन फिर भी मंगला के मुकाबले हमेशा खुश रहती थी। एक दिन लीला ने मंगला को अपनी सोने की एक मोटी चैन पहनकर दिखायी। मंगला ने देखा और सोचने लगी, "यह चैन लीला के पास कैसे आ गई? इसके पास इतने पैसे कैसे आये यह तो गरीब है। मंगला नें उससे पूछ लिया,लीला ने मुस्कुराते हुए बताया, "तुम जानती हो, जब मैं जंगल के रास्ते से जा रही थी, तो एक साधु बाबा मिले। वह प्यासे थे, तो मैंने उन्हें पानी पिलाया। बदले में उन्होंने मुझे यह सोना दे दिया।"
यह सुनकर मंगला का लालच से भरे मन को समझ में आ गया कि अगर वह भी किसी साधु को जंगल में प्यासा देखे, तो उसे पानी पिलाकर सोने की कोई चीज़ मिल सकती है। मंगला का मन अब सिर्फ एक ही बात पर केंद्रित था—सोना हासिल करना।
अगले कुछ दिनों तक मंगला जंगल में साधु को ढ़ूंढने निकली। वह सोच रही थी, "लीला को सोना मिला था, तो मुझे भी मिलेगा।" दो दिन तक खोजने के बाद उसे आखिरकार एक साधु मिल गए, जो कि बिल्कुल वैसे ही दिखते थे जैसे लीला ने बताया था। मंगला खुश हो गई, और उसने उन साधु को पानी पिलाया। साधु ने मुस्कुराते हुए उसका आभार माना और बदले में मंगला को सोने के बड़े कंगन दे दिए। मंगला ने कंगन खुशी-खुशी पहने और घर लौटने लगी।
लेकिन रास्ते में चलते हुए उसके मन में लालच फिर से जाग गया। उसे लगा, "अगर आज मैंने एक कंगन लिया है, तो कल मैं दो कंगन ले सकती हूँ।" वह सोचने लगी, "अगर कल मैं फिर से साधु से मिलूँ और उन्हें पानी पिलाऊँ, तो क्या वो मुझे और सोना देंगे?"
यही विचार के साथ वो वापस आयी। साधु नें उसे देखते ही कहाँ की अब अगर तुम दोबारा हमसे मिलने आयी तो तो तुम्हे जो चाहिये मिलेगा परन्तु अभी जो तुमने स्वीकार किया उसका दोगुना देना होगा।
बस वो अब ज्यादा का विचार करने लगी मन में योजना बनाने लगी की कैसे उनसे मन चाहा फल प्राप्त करुँ।
वह खुशी-खुशी घर वापस पहुँची, कुछ समय बाद उसे यह पता लगा की घर में उसके पति और बच्चे नहीं थे। रात हो गई, और अगले दिन सुबह भी वे नहीं लौटे। मंगला को चिंता होने लगी,
अब तक जो योजना बनाई वो धरी रह गई। उसके मन में एक ख्याल आया, "मैं फिर से साधु से मिलकर उनसे पूछती हूँ कि मेरे पति और बच्चे कहाँ हैं।"
वह दौड़ते हुए उस जंगल की ओर गई जहाँ वह साधु से मिली थी। साधु अभी भी वहीं बैठकर ध्यान कर रहे थे। मंगला ने पास जाकर कहा, "महाराज, आप जो मुझे सोने के कंगन दे गए थे, उसका दुगना लीजिये,लेकिन मेरी चिंता यह है कि मेरे पति और बच्चे कहाँ हैं?" इसका उत्तर दे दीजिये। साधु मुस्कराए और बोले, "तुमने आज मुझे पानी नहीं पिलाया।
मंगला वही आस पास पानी की तलाश करने लगी। आखिरकार उसे पानी मिला। पानी लाकर उसने साधु महाराज को पिलाया।
पानी पिने के बाद महाराज बोले की आज जो पानी तुमने पिलाया है उस पानी में लालच नहीं था, तुमने मुझे वह पानी प्रेम और चिंता से दिया था। अब जाकर देखो, तुम्हारे घर में तुम्हारे पति और बच्चे ठीक हैं।"
मंगला यह सुनकर भागते हुए घर लौट आई। जब वह घर पहुंची, तो देखा कि उसके पति और बच्चे वहीं थे। उसके पति ने बताया, "हम पास के गाँव गए थे, वहाँ एक दोस्त से मिलने, और देर हो गई थी, इसलिये वहीं रुक गए।" मंगला का दिल हलका हो गया। उसे अब समझ में आ गया कि साधु ने उसकी आँखें खोलने के लिए यह सब किया था। वह अब समझ चुकी थी कि लालच की कोई सीमा नहीं होती, और सच्ची खुशी प्रेम और संतोष में होती है, न कि पैसों और संपत्ति में।
यह अनुभव मंगला के लिए जीवन का एक अमूल्य पाठ बन गया। उसने अब कभी पैसों के मोह में नहीं फँसने का संकल्प लिया। मंगला को यह समझ में आ गया कि संसार में सबसे कीमती चीज़ है—सच्चा प्यार, परिवार, और संतोष।
मंगला ने साधु के आशीर्वाद को समझा और अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने की ठानी। अब वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ हर छोटे से छोटे क्षण का आनंद लेने लगी, और उसकी लालच धीरे-धीरे समाप्त हो गई। उसे एहसास हुआ कि जीवन में अगर संतोष हो, तो इंसान हर स्थिति में खुश रह सकता है।
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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।