बहूँ की वजह से छोड़ा घर।। Emotional story in hindi।। Hindi kahani।।Hindi kahaniya।।Hindi story।।Emotional kahani।। Achhi achhi kahaniya।।



बहूँ को देखते ही माँ कहती है तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे सामने आने कीं में मर जाऊँ तब भी तू मेरे पास मत आना, मुझे हाथ मत लगाना। Emotional story in hindi।। Pati patni ki kahani।। Pariwarik kahani ।।Hindi kahaniya।।Hindi story।।Emotional kahani।। Achhi achhi kahaniya।। Emotional stories।।


बहूँ की वजह से छोड़ा घर।। Emotional story in hindi।। Hindi kahani।।Hindi kahaniya।।Hindi story।।Emotional kahani।। Achhi achhi kahaniya।।





मनोज अपने आप को बहुत खुशकिश्मत मानता था। क्यों को उसको बहुत अच्छी पत्नी जो मिली थी। मनोज कीं पत्नी शीला और उसकी माँ बहुत अच्छी बनती थी।



दोनी माँ बेटी कीं तरह रहती थी। बहूँ अपनी सांस से बिलकुल बेटी जैसा ही बर्ताव करती थी। बेटी कीं तरह रूठ जाती थी,और जिद करके अपनी बात मनवा लेती थी। 



मनोज एक ही लौता लड़का है मनोज के पिताजी नहीं है। मनोज की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, लेकिन घर में शांति और प्यार होने के कारण वह मेहनत करके अच्छे से अपना घर चला रहा है।



साथ ही माँ और पत्नी से इतना अच्छा सपोर्ट मिलने के कारण उसे बहुत मदद मिलती है। बहूँ और सास कीं इस जोड़ी कीं चर्चा अब मोहल्ले, रिश्तेदार में भी होने लगी है इनकी मिशाल दी जानें लगी है। 



कुछ लोग जलते भी थे, कुछ कहते की यह सब शुरुवात में होता है, थोड़ा समय जानें पर सारा प्यार ख़तम और बहूँ अपने रास्ते और सांस अपने रास्ते।



सबकुछ अच्छा ही चल रहा था,लेकिन एक सुबह मनोज कीं माँ, मनोज को ज़ोर से चिल्ला कर उसके कमरे से बाहर बुलाती है। मनोजो पूछता है क्या हुआ माँ क्यों चिल्ला रही हो।


मनोज कीं माँ बोलती है कीं तेरी पत्नी को समझा लें अब बस बहुत हो गया में इतने दिन चुप रही लेकिन अब मुझसे नहीं होता। वो हर बात में मुझसे ज़िद करती है। 



माँ नें शायद ही इतनी जोर से आजतक चिल्लाया होगा। इतने में बहूँ भी कमरे से आकर माँ से पूछती है क्या हुआ माँ जी आप क्यों परेशान है, माँ कहती है तू चुप कर मुझे तुझसे बात नहीं करनी है। 


यह भी पढ़े।



बहूँ की वजह से छोड़ा घर।। Emotional story in hindi।। Hindi kahani।।Hindi kahaniya।।Hindi story।।Emotional kahani।। Achhi achhi kahaniya।।



बहूँ कहती क्या हुआ मुझसे कुछ गलती हुई है क्या। माँ बोलती है कीं तू अपना यह नाटक बंद कर और मुझे अब तेरे साथ नहीं रहना है। माँ कहती है बेटा तू मुझे गाँव छोड़ आ, बेटा बोलता है वहाँ कौन है और वहाँ क्या करोगी। 


माँ कहती है वहाँ मेरा भाई है और अब मुझे बची हुई जिंदगी वही गुजारनी है। बहूँ बोलती है माँ जी आप कैसी बाते कर रही है इस उम्र में आप वहाँ क्या करेंगी और मामाजी के पास कितने दिनों तक रहेगी हमसे कुछ गलती हो गई है तो बताये।



माँ बोलती है तू तो मुझसे बात मत कर तेरी माँ में नहीं. हूं तेरी माँ वो है जिसने तुझे जन्म दिया पर तुझे कुछ सीखा नहीं पायी। बहूँ को थोड़ा बुरा लगा माँ जी आप क्या कुछ भी बोल रही है आपकी तबियत ठीक है। 


बेटा बोलता है माँ तुम आराम करो हम शाम को बात करेंगे। माँ एक दम ज़िद पर अड़ जाती है मुझे अभी गाँव छोड़ कर आ अब मुझे यहाँ नहीं रहना।


मनोज और उसकी पत्नी को कुछ समझ नहीं आता लेकिन माँ ज़िद पर अड़ी रहती है तो मनोज को उनकी बात मानना पडती है और उन्हें गाँव छोड़ कर आना पड़ता है।


घर आकर फिर वो अपनी पत्नी से बात करता है और उसे पूछता है कीं तुमने उन्हें कुछ कहां क्या जो माँजी इतनी बिगड गई। शीला बोलती है इस उम्र में अक्सर यह होता चिड़चिड़ा पन आ जाता है हम 2 दिन बाद माँजी को वापस लें आएंगे आप चिंता मत करें।



2 दिन बाद फिर बेटा और बहूँ दोनों गाँव जाते है। बहूँ को देखती ही माँ फिर से चिढ़ जाती है कहती है तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे सामने आने कीं में मर जाऊँ तब भी तू मेरे पास मत आना, मुझे हाथ मत लगाना।



बहूँ को यह सुनकर ज़ोर से रोना आ जाता है, वो रोते हुऐ कहती है कीं आप यह क्या अनाप शनाप बोले जा रही है मैंने ऐसा क्या कर दिया जो आप इस तरह नाराज़ है गई। 


माँजी वहाँ से उठ कर कमरे में चली जाती है और दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है। मामाजी भी उन्हें समझाते है लेकिन वो नहीं मानती। बेटा और बहूँ वापस अपने घर आ जाते है।



बहूँ अपने कमरे में बैठी रोती रहती है।मनोज भी कुछ समझ नहीं पाता है। माँजी को गये अब 15 दिन हो गये इतने दिन तक उनसे दूर ना बेटा रहा ना बहूँ। 


मनोज कीं पत्नी उन्हें फिर गाँव जानें को कहती है और कहती है जैसा में बोलू वैसा वहाँ जाकर कहना। मनोज जाता है और माँ को कहता है, माँ तुम्हारी बहूँ सीडी पर से गिर गई है और 5 दिन से तुम्हे याद कर रही है। 



माँ एक दम से बोलती है क्या 5 दिन और तू अब बता रहा है वो फटाफट तैयार होकर मनोज के साथ वापस आती है साथ में मामाजी भी आते है। 


माँ घर पहुंच कर जोर से पुकारते हुऐ दरवाजे से आती है बहूँ - बहूँ और बहूँ के कमरे में जाकर बिस्तर पर सोई बहूँ के गले लग जाती है और रोने लगती है।


बहूँ भी माँ जी से मिलकर रोती है फिर बहूँ कहती है जब आप इतना प्यार करती है तो वहाँ क्यों बैठी है 15 से।


माँजी कहती है तुमने झूठ बोल कर मुझे बुलाया। हां पर पहले यह बताओ आप ऐसा बर्ताव क्यों कर रही थी आपको मेरी कसम।



माँ जी बहूँ के फिर गले लगती है और कहती है बेटा उस दिन जब में मंदिर से आयी तो मैंने तुम्हारी और मनोज कीं बातें सुन ली, तुम बोल रही थी कीं अभी हम संतान नहीं कर सकते क्यों कीं उसकी ठीक से परवरिश नहीं कर पायेंगे, में तुम दोनों पर बोझ बन गई मेरी वजह से तुम ना जानें कितनी चीजों से समझौता कर रहें हो,इसलिये मैंने यह नाटक किया ताकि तुम दोनों यहाँ रहो और अपनी जिंदगी और अपने सपने और अपने बच्चे को इस दुनियाँ में ला सको।में अब कितनी दिन रहूंगी।


बहूँ और मनोज दोनों भी माँजी कीं बातें सुनकर रोने लगे बहूँ बोलती है अगर आप दोबारा ऐसा करेंगी तो हम कभी अपनी संतान नहीं करेंगे। आप हम पर बोझ नहीं है। माँजी एक बात बताये क्या आपको हम बोझ लगते है। जब कोई माँ अपनी संतान को बोझ नहीं समझती तो फिर बेटे और बहूँ कैसे ऐसा सोच सकते है। और जो ऐसा सोचे वो अच्छा इंसान नहीं।


मनोज कहता है माँ अब तुम भी यही रहोगी और समय आने पर दादी भी बनोगी। पुराना परिवार तोड़ कर नया परिवार नहीं बनता सबको साथ लेकर बनता है।साथ रहेंगे तो सब अच्छा होगा। फिर माँजी वही अपने बेटा और बहूँ के साथ फिर रहने लगी।

आपको यह कहानी कैसी लगी हमें Comment कर जरूर बताये। इसी तरह की अच्छी कहानियाँ आप यहाँ पर पढ़ सकते है। यहाँ उपस्थित शिक्षाप्रद कहानियाँ आपका मनोरंजन करने के साथ दिशा भी देंगी। तो बने रहिये हमारे साथ और हमारे प्रयास को सफल बनाये।

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Ads