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हमने कई बार ना सुना है। अब तो मुझे चेहरा देखकर ही समझ आने लगा है। आपकी मम्मी के चेहरे को देखकर ही में समझ गई की यहाँ भी ना ही होने वाली है। Hindi kahani।।Love stories in hindi।।bed time stories।। Hindi kahaniya।।


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आज सुबह घर में कुछ ज्यादा ही खटपट चल रही है। जिस वजह से मेरी नींद भी जल्दी खुल गई। उठकर जैसे ही में कमरे से बाहर गया मम्मी शुरू हो गई।


मम्मी - अच्छा हुआ तु खुद ही उठ गया, वरना अभी में आने ही वाली थी, तुझे उठाने के लिये। चल अब खड़ा मत रह जल्दी से तैयार हो जा।


मुझे पता था की कहाँ जाना है लेकिन फिर भी मैंने मम्मी से पूछा 

आरव -  क्यूँ?


मम्मी - अच्छा अब कोई नाटक फिर करने की सोचना भी मत। जा जल्दी तैयार हो जा।


आरव - अरे माँ तुम कैसी बात कर रही हो पहले लड़की की फोटो मगवाते है। उन्हें अपना भेजते है उसके बाद परिवार वाले मिलने जाते है। तुमने देखा है नहीं, किसी ने नहीं देखा और कल से पीछे पड़ी हो जाना है। वहाँ जाकर हमें अगर कुछ पसंद नहीं आया तो फिर 



मम्मी - अरे में तेरी माँ हूँ। और कितनी खूबसूरत लड़कियों की फोटो मगवाई है तुने कोई पसंद की कहीं गया मिलने, और वैसे भी हम तो मामा के यहाँ जा रहें है। उनके यहाँ पूजा में। वहाँ वो भी आएंगे मामा ने देखा है और अभी हम लोग कोई लड़की देखने या रिश्ते की बात करने नहीं जा रहें है। बस देख लेंगे पसंद आया तो सोचेंगे। 



मामा करीब 50 कम दूर रहते है। मामा ने गाँव में अच्छा सा घर बनाया है नया। उसी के गृहप्रवेश की पूजा है। मेरे घर में मेरी 2 बहने है। एक मुझसे छोटी और एक बड़ी, बड़ी दीदी की शादी हो गई। अब माँ को जल्दी है मेरी शादी की, इसलिये जहाँ भी जाती उनकी नजरे ढूढ़ती है अपनी बहूँ।



तैयार होकर हम सब लोग अपनी कार में बैठकर निकल गये मामा के घर। करीब 2 घंटे में हम पहुंच गये। 



लड़कियों के मामले में थोड़ा शर्मीला हूँ। में जब भी ऐसी किसी जगह जाता हूँ तो नर्वस हो ही जाता हूँ।


वहाँ जाकर सब लोग पूजा में बैठ गये। में वहाँ बैठा बैठा सभी को देख रहा था। लड़कियों को देखकर यही सोच रहा था की कहीं यह तो नहीं, कहीं यह वाली तो नहीं। 



खैर पूजा खत्म हो गई। में कुछ काम से बाहर गया। वापस करीब 1 घंटे में आया। तब तक कुछ बात नहीं थी। सभी मेहमान भी खाना खा चुके थे।


मम्मी मेरे पास आयी और कहाँ 



मम्मी - खाना खा लें फिर निकलते है। और सुन लड़की मैंने देखी है। मुझे कोई खास नहीं लगी। लड़की को उसके दादा, दादी ने पाला है। शायद मामा ने उनसे भी बात चलाई होगी, इसलिए अब वो कह रहें एक बार लड़का लड़की को अकेले में बात करवा दीजिये। वो लोग की ज़िद के आगे में मना नहीं कर पायी तू एक बार बात कर लें।



आरव - माँ जब तुम्हे ही पसंद नहीं है तो मुझसे क्यूँ बात करवा रही हो।


मम्मी - मैंने सिर्फ एक नज़र देखा है। ऐसे किसी के मुँह पर थोड़ी मना किया जाता है. तू बात करले फिर बाकि में संभाल लुंगी। 


में घर के बाहर एक गार्डन में बेंच पर बैठा माँ ने कहाँ की तू यही बैठ में उसे यही भेजती हूँ। में वही बैठा रहा और अपने फोन में झाकता रहा। थोड़ी देर में वो आयी और आकर कहाँ 


रचना - हेलो 


मैंने अपना मुँह ऊपर किया। एक सिम्पल सी थोड़ी सावली सी लड़की थी। चेहरे पर कोई मेकअप नहीं ना कोई खुशी या नर्वसनेस, शायद उसे भी पता नहीं था की उसे लड़का दिखाया जानें वाला।



मैंने खड़े होकर उसे हैलो कहाँ और बैठने को कहाँ। अब हम दोनों एक ही बेंच पर थोड़ी दूरी पर बैठे थे। करीब 5 मिनट हो गये थे। मैंने उसे देखा उसने एक भी बार मेरी तरफ देखा नहीं, ना ही कुछ बात की।



8 मिनट की चुप्पी के बाद वो बोली।


रचना - अच्छा ठीक है अब चलते है। लेकिन आप लोग अभी या तो फिर घर पहुंच कर जवाब दें ही देना क्यूँ की दादा, दादी फिर आस लगा लेते। 


आरव - मतलब 


रचना - बताते है, देखते है, अभी उनसे पूछना है.. उनको दिखाना है ऐसे जवाब देने से अच्छा है आप लोग सीधे ना कहना वो ज्यादा अच्छा है।



मै कुछ समय के लिये सोच में पड़ गया। वो लड़की शायद बहुत बार रिजेक्शन झेल चुकी थी। अब उसे उम्मीद नहीं थी की कोई उसे पसंद करेगा। पता नहीं मुझे थोड़ी हिम्मत कहाँ से आ गई। मेरा उससे बात करने का मन किया मैंने कहाँ..



आरव - पर आपको ऐसा क्यूँ लगता है की मना करूँगा।


उसने पहली बार होगा जब मेरी तरफ देखा होगा।



रचना - में आपको पहले ही बता दूँ की मैंने बड़ी मुश्किलों के साथ अपनी पढ़ाई की है अब में एक जॉब करती हूँ। अपने दादा, दादी की जिम्मेदारी मुझ पर है। शादी के बाद भी में यही करुँगी। उनका मेरे सिवा कोई नहीं। उनका ख्याल मुझे ही रखना है। आपकी मम्मी जी को भी मैंने सब पहले ही बता दिया। में कई बार रिजेक्ट हुई हूँ। अब मुझे पता चल गया है ना कहने वाले चेहरे किस तरह के दिखाई देते है।उनके चेहरे को देखकर ही में समझ गई की यहाँ भी वही होने वाला है। इसलिए मैंने आपसे कहाँ की जो भी हो साफ साफ कहियेगा।



आरव - आप की तरह. 


रचना इतना कहकर उठी.


रचना - चले.

आरव - रुकिए मुझे आप से कुछ बात करनी है।


रचना थोड़ी सरप्राइज हुई और फिर बैठी।


कुछ मिनट का हमारे बीच में फिर सन्नाटा रहा। लेकिन मेरे मन में बहुत कुछ चल रहा था। मैंने उन 15 मिनट में मन ही मन एक फैसला लें लिया। और उसी समय मैंने रचना को कहाँ 



आरव - जवाब अभी तक आपने सुना है। अब आप जवाब देना।


रचना - क्या मतलब 


आरव - मतलब आप बताना की आप मुझे पसंद करती है मुझसे शादी करना चाहती है या नहीं। और हाँ साफ साफ जैसे अभी बात की वैसे ही जवाब देना।



रचना  के चेहरे का रंग बदलने लगा। चेहरे पर जो बेरुखी थी अब वो धीरे धीरे शर्म और हसीं में बदलती दिख रही थी।



रचना - इतना जल्दी भी मत कीजिये अपने घरवालों से बात कर लीजिये। और ऐसा भी नहीं की आप अभी हाँ कह दें फिर शादी के बाद बदल जाये।



आरव - नहीं बदला तो।



रचना - जाईये पहले घर पर बात करिये।


आरव - वो सब में देख लूंगा। आप अपना सोचे की आपके दिल में क्या है?


इतने में ही मेरी छोटी बहन की आवाज आ गई, की मम्मी बुला रही है।


मैंने जानें के पहले फिर कहाँ 


आरव - अगर आप अपना नंबर देना चाहे तो..


रचना ने कुछ नहीं कहाँ शायद उसे अभी तक विश्वास नहीं था.. मैंने अपना नंबर उसे एक कागज पर लिख कर दें दिया। 


घर जानें पर सबसे पहले मैंने माँ को बताया की मुझे लड़की पसंद है।


मम्मी - क्या बोल रहा है. तुझे पहले कितनी अच्छी अच्छी लड़कियां दिखाई तुने पसंद नहीं. ऐसा क्या कर दिया जादू रचना ने.


माँ ने शायद मन बना लिया था की उन्हें ना कहना है लेकिन मैंने उनकी सारी प्लानिंग को चौपट कर दिया।



आरव - माँ पता नहीं लेकिन मुझे लगता है तुम्हे इससे अच्छी बहूँ और मुझे इससे अच्छी पत्नी नहीं मिलेगी. मन की साफ और सुन्दर है अच्छा किया तुमने उसकी तस्वीर नहीं दिखाई सीधा मुलाक़ात ही करवाई। ऐसा लगा नहीं की में उससे पहली बार मिला। जैसे की कब से जानता हूँ।



माँ और पापा भी मान गये और जल्दी से जवाब दें दिया जैसा की रचना ने कहाँ था. मामा के हाथ खबर भिजवा दी की हमारी हाँ है।



अगले दिन रचना का फोन आया।

रचना - हैलो 


आरव - हाँ बोलो जल्दी से बताइए हाँ या ना। हाँ हो तो हम शादी की तारिक निकलवाये।


रचना कुछ नहीं बोली सिर्फ रोने लगी। बहुत दिनों से शायद आँसू को संभाले बैठी थी रोके बैठी थी आज पुरे बहे।मैंने भी उसे रोने दिया।



यह थी हमारी पहली मुलाक़ात। सिर्फ 15 मिनट में प्यार हुआ और शादी हो गई। और में सही साबित हुआ अब मेरी माँ कहती है की मुझे इससे अच्छी बहूँ नहीं मिल सकती थी।



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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।



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