नापसंद।। Hindi kahani ।।Stories in hindi love stories।।kahaniyaan।।Hindi story short stories।।


पहली रात थी। सवाल अब भी वही जो उनसे पूछना था। लेकिन कमरे में आते ही वो अपना तकिया लेकर बाहर बालकनी में चले गये। बिना कुछ कहे। Stories in hindi।। hindi kahaniya।। love stories in hindi।।

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आखिर कार आज मेरे पिता और माँ का बहुत बडा बोझ उतर गया था। मेरा रिश्ता पक्का हो गया था। कुछ सालो से वो लगातार इसी की कोशिश कर रहें थे।


कहते है की जोड़ियां ऊपर से बन के आती है। जब समय होता है तब अपने आप आपका जीवन साथी मिल जाता है। उसके पहलें कितनी ही कोशिश करो।


मेरे साथ भी यही हुआ। मम्मी पापा ने पहले बहुत कोशिश की बहुत रिश्ते आये लेकिन जब जो होना होता है तभी होता है। और आखिर कार मेरा रिश्ता राजीव से पक्का हो गया।


1 महीने में शादी है। तैयारी में घर के सारे लोग लगे है। एक बात था जिसका अभी भी मुझे इंतजार था। राजीव से बात करने का।


शादी के पक्के होने के बाद अभी तक उनका कोई फोन या मैसेज नहीं आया था। मेरा नंबर बातों बातों में पापा और मम्मी ने शेयर कर दिया था। 


मैंने भी करीब 5 दिन इंतजार किया। फिर मुझे लगा की उनका कोई फोन नहीं आ रहा तो क्यूँ ना में ही आगे रहकर उनसे बात करुँ।


मैंने शादी की तैयारियो के बीच में समय निकाल कर उन्हें फोन किया। पहली बार बात कर रही थी। फोन उन्होंने कुछ रिंग के बाद उठाया.


राजीव - हाँ हेलो कौन?


में कुछ समय के लिये चूप रही कुछ जवाब नहीं दिया।में बस यही सोच रही थी की उनके मोबाइल में मेरा नंबर नहीं है या फिर वो यह सब जानबूझ कर कर रहें है।उन्होंने फिर कहाँ कौन बोल रहा है।


सपना - में सपना।


राजीव - ओह अच्छा। 

कुछ समय चूप रहने के बाद उन्होंने कहाँ की.


राजीव - अच्छा में अभी कुछ काम कर रहा हूँ तुम से बाद में बात करूँगा।


इतना कहकर उन्होंने फोन कट कर दिया।


मैंने अपने आप को कुछ भी ऐसा वैसा सोचने से रोका। और अपने आप को समझाया की वो बिजी होंगे जब समय मिलेगा तो फोन जरूर करेंगे।


उसके बाद शाम बीत गई रात बित गई। यहाँ तक की 2 दिन निकल गये लेकिन उनका फोन नहीं आया। शादी में करीब 20 दिन रह गये होंगे। और उनका मेरे प्रति यह बर्ताव अब मुझे चिंता में डालने लगा।



मैंने फिर एक शाम उन्हें कॉल किया। इस बार उन्होंने मेरा फोन ही रिसीव नहीं किया। फिर मैंने उस शाम उनके फोन का इंतज़ार किया इस बार बेचैनी कुछ ज्यादा थी।


लेकिन उनका फोन नहीं आया। तो अब उनका यह बर्ताब मुझे सच में चिंता में डालने के लिये काफ़ी था। यह बात अब मेरे मुँह पर झलकने लगी। 


मेरा चहेरा देख मम्मी ने पूछा क्या हुआ तबियत ठीक नहीं है क्या। मैंने मन में सोचा की एक बार घरवालों से बात करुँ। लेकिन फिर में उनके चहेरे पर जो ख़ुशी आयी है उसे मिटाना नहीं चाहती थी। 


शादी का दिन आ गया। और हमारी शादी भी हो गई लेकिन अभी तक उन्होंने मुझ से बात नहीं की। अब बात होगी पति पत्नी बनने के बाद।


जब विदा होकर में उनके घर गई। मुझे मेरी सांस और बाकि सबका बर्ताव अच्छा ही लगा। लेकिन अभी तक उनके मुँह पर ना ख़ुशी दिखी ना उसमे से एक लब्ज निकला।


पहली रात थी। सवाल अब भी वही जो उनसे पूछना था। लेकिन कमरे में आते ही वो अपना तकिया लेकर बाहर बालकनी में चले गये। बिना कुछ कहे।


आँसू निकलने से रुक नहीं पाये। मन ही मन यह सोच रही थी की आखिर ऐसा क्या कर दिया मैंने जो ऐसा बर्ताव मेरे साथ हो रहा है। क्या उनके जीवन में कोई और है। 


अकेली में सारी रात बैठी रही और सोचती रही। अभी उनसे जाकर बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी।


इतना सब होने के बाद भी सुबह मुझे सबके सामने यह सब छिपाना भी था। सबके सामने ऐसे दिखाना था जैसे में खुश हूँ। मुश्किल था लेकिन करना था। बाकि सब ठीक था। घर परिवार वाले मेरे प्रति अच्छे थे।


शाम को मैंने सोच लिया था की आज मुझे क्या करना है। मैंने बात करने की ठान ही ली थी। रात जब वो आये और जैसे ही अपना तकिया उठकर जानें लगे तब मैंने उन्हें टोका 


सपना - क्या हुआ आपको अगर में पसंद नहीं थी तो आपने मुझसे शादी करके मेरी ज़िन्दगी क्यूँ ख़राब की।


वो रुके और मेरी तरफ देखा 


राजीव - मुझे पसंद नहीं। तुम मुझे पसंद नहीं करती और अब मजबूरी में मुझसे शादी की।



सपना - ऐसा क्यूँ बोल रहें है.

राजीव - करीब 8 महीने पहले में तुम्हे देखने आया था तब मैंने तुम्हे देखते ही पसंद कर लिया था। लेकिन तुम्हारे घर वालों के तरफ कोई जवाब नहीं आया था।मुझे पता चला था की तुम्हे पढ़ा लिखा लड़का चाहिये।तो अब जब कहीं बात बनी नहीं तो तुमने मज़बूरी में मुझसे शादी की है। मैंने तो मना किया तुमसे अब शादी को लेकिन घरवालों के दबाव में मुझे करना पड़ा। लेकिन घरवाले मुझे शादी के लिये दबाव बना सकते है। अब उनका मेरे पर कोई ज़ोर नहीं.।


मुझे नहीं पता था की यह बात है जो इनको खटक रही थी। इसका तो मुझे अंदाजा भी नहीं था। यह सच है की उनका रिश्ता 8 महीने पहले आया था। उन्होंने जो भी कहाँ सब सच है। 


दिन होता और शाम और शाम से रात लेकिन उनके नजरें एक बार भी मेरी तरफ नहीं आती। गलती से भी वो मुझसे बात नहीं करते। अभी तो कुछ ही दिन हुऐ है शायद थोड़े दिन और हो जायेंगे तो सबको भी यह दिखाई देने लगेगा की हम में सबकुछ ठीक नहीं है।


मैंने फिर एक रात उनसे बात करने की कोशिश की।


उन्हें कहाँ की शादी के समय रिश्ते बनना बिगड़ना, हाँ करना मना करना चलता रहता है। जब जहाँ संजोग होता है फिर वही बात बनती है। इस बात को आप दिल से लगा कर क्यूँ बैठे है।अब तो मैंने आपसे शादी की है।


राजीव - इसमें तुम्हारी मर्जी कम और मज़बूरी ज्यादा थी।


सपना - आप ऐसा क्यूँ सोचते है। 


राजीव - क्यूँ की ऐसा ही है।


सपना - में समझ गई आप का ईगो का प्रॉब्लम है।


राजीव - क्या बोला तुमने।


सपना - आप को ईगो प्रॉब्लम है। अगर आप मुझे पहले मना करके बाद में शादी कर लेते तब..। तब आप मुझसे किस तरह के बर्ताव की उम्मीद रखते इसी तरह के. आपको क्या लगता है में इसी तरह आप से बात करती जैसे आप करते है। 


राजीव चूप रहा सुनता रहा।


सपना - वो हमारा पास्ट था। अब सच्चाई और सच यह है की हमारी शादी हो गई है। सात फेरे लिये है। जीने मरने साथ निभाने की कस्मे खाई है। आपको यह सब मज़ाक लगता होगा लेकिन मुझे नहीं। में अपना धर्म निभाऊँगी आप अपना।


इतना बोलकर में वहाँ से चली गई। वो भी धीरे धीरे अपना तकिया लेकर बाहर चले गये। 


मुझे पता था की वो दिल से बुरे नहीं है। बस थोड़ा नाराज है और बातों बातों में उन्होंने यह भी कहाँ था की उन्होंने मुझे देखते ही पसंद कर लिया था। इस बात से मुझे थोड़ी ख़ुशी तो मिली थी।


फिर मैंने उन्हे कुछ नहीं कहाँ सिर्फ उन्हें समय दिया। एक रात जब बारिश हो रही थी तब उन्हें मजबूरन कमरे में सोना पड़ा। 


वो निचे बिस्तर लगा कर सोने लगे मैंने उन्हें कहाँ की आप ऊपर बेड पर सोये में निचे सोती हूँ उनकी हाँ या नहीं सुनी मैंने बस में जाकर निचे सो गई। बस वो क्या करते उन्हें बेड पर सोना ही पड़ा।


ऐसे ही फिर खट्टी मीठी नोक झोक के बीच धीरे धीरे हमारी गाड़ी पटरी पर आने लगी। सच बोलू तो इसमें मुझे भी मज़ा आने लगा था।


धीरे धीरे हमें प्यार होने लगा करीब 7 महीने लगे जनाब को मानने में। और मुझे अपनी पत्नी मानने में. जैसा की मैंने कहाँ की वो बुरे नहीं थे सिर्फ नाराज़ थे वो भी इसलिऐ क्यूँ की वो मुझे प्यार करते थे।



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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।





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