अम्मा ने बर्तन से ग्लास में दूध निकाला। जैसे ही दूध निकाला उस में मक्खी गिर गई। Emotional story in hindi। Hindi kahaniya। Hindi story।। इमोशनल कहानियाँ।।
कर्ज और दूध में मक्खी।। Emotional story in hindi। Hindi kahaniya। Hindi story।। Hindi kahani।। इमोशनल कहानियाँ।। Heart touching story in hindi।।
पुराने समय की बात है जब जमींदार हुआ करते थे। गाँव में एक ऐसा ही बडा पैसा वाला इंसान था। करोड़ीलाल उसके पास ना सिर्फ उसके गाँव के बल्कि आस पास के गाँव के लोगों ने भी कर्ज लें रखा था।
उसका काम था कर्ज देना और ब्याज वसूल करना। ना दें पाने कुछ भी समान गिरवी रखना या लें लेना। उसका मानना था की वो सब के काम ही आ रहा है।
उसका बेटा बल्कि उसके विपरीत था। एक ही बेटा बड़ी मन्नतो से हुआ था।
बाप को चिंता थी की यह आने वाले दिनों में ना जानें क्या करेगा। अब वो कहते है ना की अगर आप को इस तरह का कोई काम करना है तो सख्त होना पड़ेगा।
सख्त से मतलब बेदिल ना किसी की मज़बूरी देखो ना किसी के आंसू। बेटा ऐसा नहीं था। वो नर्म दिल इंसान था।
एक सुबह करोड़ीलाल ने यह फैसला लिया की अब धीरे धीरे बेटे को भी अपने धंधे के गुर सिखाने होंगे। उसने अपने यहाँ काम करने वाले से कहाँ की,
ऐ हिरा तू जा रहा है ना उस बुढ़िया के पास जाते जाते इस धनी को भी लें जाना। मैंने इसका नाम धनी रखा है लेकिन नाम रखने से ही कोई धनी नहीं बन जाता इसे कुछ सिखा और तू बाहर दूर रहना, इसे ही जानें देने और वसूली करने देना।
हीरा उसे लेकर गया ज्यादा दूर नहीं था। लेकिन करीब 1 घंटा लगा उन्हें वहाँ जाने में। हीरा ने जैसे की सेठ ने कहाँ वैसा ही किया। धनी को दूर से उस बुढ़िया का पता ठिकाना बता दिया।
धनी जब उस स्थान पर गया तो उसने देखा की एक छोटी सी कुटिया है। बहुत ही जर्ज़र हालत में। उसने मन ही मन विचार किया की यहाँ से क्या वसूली करना है।
उसने द्वार पर जाकर टूटे दरवाजे को खटखटाया। अंदर से एक झुकी हुई अम्मा आयी। धनी को बताया गया था की सावित्री अम्मा होगी। इसलिए उसने पूछा सावित्री आप है।
वो अम्मा लड़खड़ाती आवाज में बोली हाँ तुम कौन बेटा। धनी ने बोला में करोड़ीलाल का बेटा हूँ धनी।
अम्मा सुनकर नाराज नहीं, खुश हुई बोली अच्छा अच्छा तुम धनी हो।अरे बेटा तुम तो बहुत बड़े हो गये। बडा अच्छा लगा आओ बैठो बड़ी दूर से आये हो धक गये होंगे।
धनी को बैठाया और कहाँ की रुको में तुम्हारे लिये कुछ लाती हूँ। धनी ने मना किया लेकिन अम्मा नहीं मानी बोली की नहीं पहली बार आये हो। ऐसे कैसे।
अम्मा ने अंदर जाकर बर्तन में देखा, थोड़ा सा दूध पड़ा था। उसने वही गर्म किया इस दौरान वो धनी से बात करती रही।
अम्मा ने बर्तन से ग्लास में दूध निकाला। जैसे ही दूध निकाला उस में मक्खी गिर गई। अम्मा को दिखाई नहीं दी।
अम्मा ने दूध लें जाकर धनी को दिया। धनी ने ग्लास हाथ में लिया देखा तो उसमे मक्खी थी। धनी ने बोला अम्मा इसमें तो मक्खी गिर गई।
धनी के यह बोलने अम्मा ने देखा और कहाँ की बेटा इस उम्र में दिखाई नहीं देता तुम रुको अभी मै दूसरा लाती हूँ। धनी ने फिर मना किया लेकिन अम्मा नहीं मानी कहाँ की नहीं रुको।
अम्मा के पास अब कुछ नहीं था उसे देने को अम्मा बाहर गई सोचा की आस पड़ोस से मांग कर लें आऊँगी। लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला जो उसे देते थे वो घर नहीं थे।
धनी यह सब देख रहा था। थोड़ी देर बाद अम्मा परेशान हालत में वापस आयी। धनी ने कहाँ की अम्मा में चलता हूँ देर हो रही है। अम्मा ने कहाँ की बेटा रुको जिसके लिये आये हो, वो, तो लेते जाओ।
अम्मा अंदर गई। और एक चांदी का कड़ा लाई। धनी देख हैरान हुआ। अम्मा ने कहाँ की बेटा बस यही है मेरे पास पिताजी से कहना की अम्मा इतना ही दें सकती है।
मेरे बेटे की आखिरी निशानी है। लेकिन अब वो ही चला गया तो इसका क्या करुँगी वैसे भी अब में कितना दिन जिऊंगी, तुम्हारे कुछ काम आ जायेगा।उसने कर्ज लिया था की चलो कुछ अच्छी खेती हो जायेगी। लेकिन क्या पता था की भगवान को कुछ और ही मंजूर था। सारा पैसा उसके इलाज में गया। और वो भी नहीं बचा।
तुम्हारे पिता ने मदद की में उन्हें निराश नहीं करुँगी। जब भी कोई आता है में कुछ ना कुछ देती हूँ। अब तुम आये तो अपना सा कुछ लगा। इसे लें लों।
धनी कुछ देर सोचता रहा उसकी आँखों से आँसू आ गये, फिर कहाँ की अरे अम्मा दूध में मक्खी नहीं थी प्याज का झीलका था।
उसने उस मक्खी को जिसे वो प्याज़ का झीलका बता रहा था निकाला और दूध पी गया।
घर पहुंच कर जब करोड़ी लाल ने पूछा की हिरा बोल क्या लाया मेरा बेटा। हिरा बोला सेठजी लाना तो दूर वो उल्टा अम्मा को देकर आया है और यह भी वादा किया की उसकी ज़िम्मेदारी अब धनी की है।
सेठ गुस्से में चिल्लाया कहाँ की धनी यहाँ आ। जैसे ही धनी वहाँ आया। सेठ ने उसे मारने के लियें हाथ उठाया लेकिन वो हाथ रुक गया उसने उसकी आँखों में देखा जिनमे आंसू थे। आंसू भरी आँखों से वो अपने बाप की आँखों में देखें जा रहा था। बाप के अंदर भी उस वक्त कुछ बदल गया
करोड़ीलाल सच में धनी था क्यूँ की उसने धनी जैसा बेटा पाया।
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