राजा की रहस्यमयी अनमोल वस्तु।। Hindi kahani।।शिक्षाप्रद कहानियाँ। Kahaniyaa ।।Story in hindi।। Suspense story in hindi।।


युवक ने कहाँ की उस वस्तु का रहस्य सिर्फ मुझे ही पता है। इसके लिये मुझे आपकी सहायता चाहिये साथ ही उस वस्तु को देखने की कुछ शर्त है। Suspense story in hindi।।


राजा की रहस्यमयी अनमोल वस्तु।। Hindi kahani।।शिक्षाप्रद कहानियाँ। Kahaniyaa ।।Story in hindi।। Suspense story in hindi।।



एक राजा को अपनी प्रजा की देखरेख करनी होती है लेकिन अगर राजा अभिमानी और कर वसूली करने वाला और अपने शौक में ही डूबा हो तो प्रजा को बहुत दुख झेलना पड़ता है।



एक छोटे से राज्य का राजा बड़ा अभिमानी था गांव में किसानों की हालत बहुत खराब थी। कई सालों से प्रर्याप्त बारिश नहीं हो रहो थी। जिस कारण फसल अच्छी नहीं हो रही थी।



लेकिन फिर भी वह अपनी प्रजा की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था। वह अपनी ही मस्ती में मस्त रहता था। 



गांव के गरीब किसान बहुत परेशान थे। उनके पास ना खेती करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। बीच और दूसरी अवस्था करने के लिए भी उन्हें बहुत परेशानी हो रही थी।



वो इस बात से परेशान थे की अगर  यही हाल चलता रहा तो एक दिन आएगा जब उनके मवेशी बैल और गाय वो भी नहीं रहेंगे।



इसकी सूचना राजा को भी थी लेकिन राजा है अपने दरबार में ही रहता था तरह-तरह के खेल नाटक का आयोजन भी करता था। 



अपनी शोक की चीजों में वह धन को उडाता था। राजा को खूबसूरत अनाखी वस्तुओं को एकत्रित करने का शौक था।

लेकिन उसने राज्य की ओर ध्यान नहीं दिया कई बार राज्य के जो गरीब किसान थे, राजा के दरबार में गुहार लगाने गए थे। उन्हें सिर्फ दिलासा देकर वापस लौटा दिया जाता था। 


कर माफी के लिए भी कई बार राजा से आगे गुहार लगाई गई लेकिन राजा के कानों में जूँ तक नहीं रेंगी।



गांव में एक बुजुर्ग थे उनका कहना था कि वह ऐसे किसी एक व्यक्ति को जानते हैं जो की बहुत समझदार और चतुर है। 



जो किसी तरह से राजा को समझाने में गाँव की सहायता कर सकता है। उस बुजुर्ग व्यक्ति ने उस बुद्धिमान व्यक्ति का पता लगाया। 



उस बुद्धिमान व्यक्ति के पास पूरा गाँव गया। बुजुर्ग ने  अपनी सारी आप बीती और गांव की सारी परेशानी को उस चतुर आदमी के सामने रखा और कहा कि आप किसी तरह से हमारी मदद कर सकते हैं।


राजा  हमारी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं है। राजा हमें उपयुक्त धन देना तो दूर हमारा कर भी माफ नहीं कर रहा है। 


बुद्धिमान व्यक्ति ने गांव की हालत को देखते हुए और किसानों के मुरझाए हुए चेहरे को देखते हुए कहा कि जरूर मैं तुम्हारे साथ में जाना चाहूंगा और तुम्हारी मदद करूंगा। 


वह व्यक्ति गांव में आया और राजा से मिलने की इच्छा जाहिर की राजा ने पहली बार उससे मिलने से मना कर दिया। 


उसे पता चल गया था की राजा को अनोखी ओर अनमोल वस्तुओं को संग्रह करने का शौक है। फिर उसने ऐसे ही दो-तीन बार आग्रह करने पर राजा ने उससे मिलने के लिए तैयार हुआ।



जैसे ही वह व्यक्ति राजा के सामने दरबार में आया तो राजा ने कहा कि क्या कहना चाहते हो कहो,  किसी की कोई समस्या लेकर आए हो तो उसके लिए मैं कुछ नहीं कर सकता बरसात और सूखा  इन पर मेरा कोई वश नहीं चलता है।



उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं महाराज मैं यहां पर उनके लिए नहीं आया मैं तो आपसे मिलने आया हूं। 



आपकी प्रतिभा का बड़ा सुना है. आपको ऐसी वस्तुओं को शौक है जो अनमोल ओर भिन्न हो जो इस संसार में कम पाई जाती है। यह भी मुझे ज्ञात है।

राजा अपनी प्रशंसा सुनकर खुश हुआ। उसने कहा कि हां बताओ तुम क्या लेकर आए हो। उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा कि मेरे पास एक ऐसी कला है जिससे में एक ऐसी वस्तु का निर्माण कर सकता हूँ जो दिखने में ना सिर्फ खूबसूरत होगी बल्कि अनमोल भी होगी। 



इस संसार में अभी तक किसी के पास नहीं है जिसे आपके दरबार में मैं लाना चाहता हूं। 


राजा यह सुनकर बहुत खुश हुआ उसने कहाँ की कहाँ है वह वस्तु तुमने उसका ऐसा वर्णन करके मेरी जिज्ञासा को बडा दिया है। 



यक्ति ने कहाँ की उनके निर्माण का ज्ञान उसे एक सिद्ध पुरुष ने बताया था। लेकिन में उस का निर्माण नहीं कर सका।


राजा ने कहाँ की क्यों नहीं कर पाये। यक्ति ने जवाब दिया उसके लिये मेरे पास धन नहीं है। में चाहता तो किसी भी राजा के दरबार में जाकर माँग सकता था।



लेकिन मैंने आपको चुना क्यों की उसके पीछे भी एक कारण है जो में आपको अभी नहीं बता सकता।



राजा ने कहाँ की हमारे पास धन की कोई नहीं लेकिन वो वस्तु है कहाँ। यक्ति ने कहाँ उसे निर्माण करने में 8 माह का समय लगेगा ओर उसकी विधि मुझे गुप्त रखनी पड़ेगी। वो में नहीं बता सकता है। 


राजा के दरबार में थोड़ी खलबली मच गई और उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति शायद झूठ बोल रहा है उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं महाराज में सच कह रहा हूं। में आपको एक ऐसी वस्तु का निर्माण करके दूंगा जिसका रहस्य सिर्फ मुझे पता है। वो आज तक इस संसार में ना कोई बना पाया है ना कोई बना पायेगा। 



ओर वो सिर्फ आपके दरबार में होगी 8 महीने के प्रयास से में उसे ला सकता हूं। 


दरबार में उपस्थित मंत्री गण क्रोधित होकर बोले की। क्यों व्यर्थ की बात कर के हमें मुर्ख बना रहें हो। तुम ठग हो। 



सभी के विरोध के बाद में यक्ति चुपचाप उनकी बातें सुनता रहा। ओर मंद मंद मुस्कुराता रहा। उसकी मुस्कान ओर आत्मविश्वास को राजा देख रहा था।
वो बिलकुल भी भयभीत नहीं था।



राजा ने कहाँ की ठीक है तुम्हे जितना धन चाहिये तुम लेकर जा सकते हो लेकिन अगर 8 महीने के बाद वो वस्तु नहीं मिली या तुमने राज्य छोड़ने का प्रयास किया तो तुम्हे मृत्यु दंड दिया जायेगा।
 


उस यक्ति ने कहाँ की जो आप मुंहे दंड देना चाहे वो मुझे स्वीकार होगा। लेकिन अगर वस्तु आपको पसंद आयी तो आप मुझे मुँह माँगा उपहार देंगे।


राजा ने उसकी शर्त को मान लिया। ओर आदेश दिया की उसे जब जितना धन ओर दूसरी सामग्री चाहिए दें दी जाये। 


बस वो यक्ति हर 10 - 15 दिन में मुँह माँगा धन राज दरबार से लें जानें लगा। दिन बीतते गये राजा के मंत्री गण और खुद राजा को चिंता जरूर हो रही थी क्यों की वो बहुत अधिक धन लें कर जानें लगा था।



लेकिन राजा अब मना भी नहीं कर सकता था। यक्ति उस धन को गाँव में वितरित करता था।


अब आठवां महीना आने वाला ही था 15 दिन शेष बचे थे। तब वो राजा के दरबार में उपस्थित हुआ और उसने राजा से अकेले मिलने को कहा।



राजा उसकी  कहीं बात को मान लिया और उसे अपने कक्ष में बुलाया और पूछा की कहो ऐसा क्या है जो तुम कहना चाहते हो।



उसने कहाँ कि महाराज मैंने वह वस्तु बना तो ली है।


लेकिन जैसा की मैंने पहले दिन कहाँ था की मैंने बहुत राजा को छोड़ कर आप के दरबार में आना क्यों पसंद किया। उसका राज में आपको कहता हूँ।



उस वस्तु के निर्माण होने के बाद में उसे देखने की कुछ शर्ते हैं कि, वह वस्तु सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को दिखाई देगी। जिसका मन निर्मल हो। जिसने कभी झूठ नहीं बोला हो जो निडर हो। जो इस धरती पर सबसे शक्तिशाली होगा। साथ ही छोटे से राज्य का राजा  बल्कि पूरी पृथ्वी का राजा बनने का अधिकारी होगा।



मुझे लगता है की आप में वो योग्यता है। इसलिये में आपके पास आया। और वो वस्तु को उजागर करने के बाद मेरा सोचना सही साबित होगा।


आपके राज्य में आपके कुछ मंत्री भी है जो शायद उसके अधिकारी हो सकते है। अगर उनमें से किसी को भी वस्तु दिखाई नहीं दी, और आपको दिखाई दी इसका मतलब वो महान पुरुष आप ही होंगे।


राजा उस यक्ति की बात सुन चिंता में पड गया। और उस वस्तु के विषय में सोचने लगा।


15 दिन के पश्चात वह युवक चांदी की थाल लेकर वापस आया। दरबार में जब वह आया तब दरबार में खलबली मच गई सभी लोग आपस में बातें करने लगे।



राजा की नजरें सब पर थी। राजा ने कहाँ शांत हो जाये।  दरबार के सेनापति बोल रहे थे कि इस युवक ने हमारा धन लिया है और यह अब हमें इस तरह से छल रहा है।  यह कुछ भी लेकर नहीं आया है शिवाय इस थाल के।


दरबार में महाराज आप बताइए हम इसका क्या करें इसको मृत्यु देना ही चाहिए। युवक मुस्कुरा रहा था और राजा की तरफ देख रहा था। 



राजा कुछ बोल नहीं पा रहा था और तब राजा को युवक की बोली हुई वह बातें याद आ रही थी। राजा को भी उस थाल में कुछ दिखाई नहीं दें रहा था।


कुछ देर बाद राजा अपने सिहासन से उठ कर आया और उस यक्ति के सामने जाकर बोला। बहुत ही अद्भुत वाह ऐसा मैंने पहले नहीं देखा।


वह यक्ति बोला की आप ही है इसके और इस धरा के अधिकारी, सबसे शक्तिशाली हैं। कृपया इसे ग्रहण करें और मुझे आज्ञा दें।


राजा ने उसे खुश होकर उसे और धन दे दिया वह धन ले जाकर उसने फिर से उन किसानों को दे दिया किसानों को उस धन से बहुत सहायता हुई जो उसने 8 महीने के समय में दिये थे।


साथ ही कुछ सालों का सुखा इस बार टूट गया और फसल भी ठीक हुई इस तरह एक समझदार युवक राजा को सबक सिखाया।

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