शादी के 6 साल भी रवि की कोई संतान नहीं थी। जब वो इसी सिलसिले में डॉक्टर से मिला तो... उसके सामने उसकी ज़िन्दगी का वो वादा आया जो झूठा था। Love stories in hindi।।
झूठा वादा।।Love stories in hindi।। hindi kahaniya ।।Sad love story ।। Hindi stories।।
आज सुबह उठकर फिर वही बात थी। आजकल लगभग हर दिन सिर्फ यही बात डिसकस होती है। बस इस बात में इनकी ज़िन्दगी में घर बना लिया है।
रवि - मैंने कितनी बार कहाँ है की अब हम इस बारे में बात नहीं करेंगे।
लता - इस बारे में बात नहीं करेंगे अरे यह कोई छोटी बात है। आखिर तुम क्या छुपा रहें हो।
रवि - बस अब तुम इस तरह की बात कर के मुझे उकसाने की कोशिश करो ताकि में अपने आप को प्रूफ करने के लिये वो करुँ जो तुम चाहती हो।
लता - क्या तुम नहीं चाहते हो, जो में चाहती हूँ। और अगर तुम नहीं भी चाहते तो क्या में तो चाहती हूँ। आखिर हर्ज़ क्या। हमारी शादी को 6 साल हो गये है। अभी नहीं तो कब।
रवि - लेकिन तुम ही तो पहले मना कर रही तो फिर आखिर अब ऐसा क्या हो गया।
लता - पहले मना किया क्यों की उस समय नहीं चाहिये था। प्लानिंग करनी होती है। और अब चाहिये इसमें क्या गलत है।
रवि- लेकिन अभी क्या इतना समय हो गया है हम लोग कुछ दिन और इंतजार कर सकते है।
लता - लेकिन समय रहते ही अगर हम लोग सावधानी रखे तो फिर इसमें हर्ज़ क्या है। हो सकता हो बाद में हमें कुछ दूसरे तरीको का सोचना पड़े।
रवि - ठीक है लेकिन अभी मुझे ऑफिस जाना है। हम लोग इस बारे में बाद में बात करते है।
रवि और लता की लव मैरिज थी। 3 साल की डेटिंग के बाद। दोनों ने शादी कर ली। शादी को 6 साल बाद भी उन दोनों की कोई संतान नहीं थी। शादी की शुरुआती सालों में वह खुद नही चाहते थे।
लेकिन अब लता को लगने लगा है कि उन दोनों को किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। उन दोनों इस बात को लेकर डिस्कसन होता रहता है।
दो महीने बाद लता रवि को इस बात के लिए राजी कर ही लेती है।
लता - रवि मैंने बात की है कोई नयी डॉक्टर आयी है पास के बड़े अस्पताल में स्वाति नाम है। मैंने उनका अपॉइंटमेंट लें लिया है। तुम्हे मेरे साथ चलना है होगा।
रवि ने हाँ में सर हिला दिया।
रवि और लता दोनों अपने अपॉइंटमेंट वाले दिन पहुंच गये अस्पताल। अपने नंबर का वेट कर रहें थे। करीब 3 घंटे के इंतज़ार के बाद उनका समय आया डॉक्टर से मिलने का।
दरवाजे पर जो था उसने उन्हें अंदर आकर बैठने को कहाँ। कहाँ की मैडम अभी आ रही है आप बैठिये। रवि और लता दोनों अंदर आकर बैठ गये। रवि धीरे धीरे फुसफुसाने लगा।
रवि - इतना इंतज़ार तो पहले ही किया है। और अभी इंतजार करना बाकि रह गया क्या।
लता - हाँ तो इसे से पता लगा सकते हो की इनके पास कितने लोग आते है। कुछ बात है तभी तो आते होंगे ना।
कुछ समय बाद मेडम अंदर आयी। एक फ़ाइल थी उनके हाथ में।
स्वाति - ओह आपको इंतज़ार करना पड़ा। मुझे बस 2 मिनट दीजिये में आपसे बात करती हूँ।
लता - ओह ओके नों प्रॉब्लम
स्वाति फ़ाइल पढ़ रही है। और पढ़ कर फोन उठा कर कुछ इंस्ट्रक्शन देकर फोन रख देती है।
स्वाति - हाँ बोलिये लता जी।
लता - मैडम में लता और यह मेरे हस्बेंड है रवि। स्वाति लता की ओर देखती है। ओर एक नजर देखने के बाद फिर से वो देखती है। उसके चहरे के हाव भाव बदल जाते है। वो कुछ सेकंड तक रवि को देखती रहती है।
स्वाति ने रवि को अभी देखा लेकिन रवि जब से स्वाति कमरे में आयी तब से देख रहा है। रवि स्वाति की आँखों में भी देख नहीं पा रहा था।
स्वाति अपने को कैसे भी कण्ट्रोल करके फिर से अपना सारा ध्यान लता की बातों में लगाने की कोशिश करती है।
कुछ चेक उप वो लता के लिखती है। ओर रवि के लिये उनके अस्पताल के ही डॉक्टर को मिलने की सलाह देती है।
उस से मिलने के बाद जैसे रवि की बोलती बंद हो गई। वो नया कुछ बन गया। उसको पता था की उन दोनों के बीच जो भी हुआ था उसका गुनहगार वही है। पर वो यह नहीं जानता था की स्वाति से उसकी मुलाक़ात ऐसे होने वाली। ज़िन्दगी उन्हें ऐसे मोड़ पर आकर मिलवा देंगी।
रवि अपनी पुरानी यादो में खो गया वो याद करने लगा उस दिन को।
रवि अपने स्कूल में किसी के साथ झगड़ा कर रहा है। यह बात है उसकी 9 क्लास की। स्वाति उसकी क्लास मेट है। यह झगड़ा स्वाति को कुछ बोलने के लिये हुआ है।
बात कुछ बड़ती देख स्वाति को बीच में आकर रवि को रोकना पड़ा।
स्वाति - अरे रवि रुको बस हो गया उसने मुझे सुनाया तो मैंने भी उसे सुना दिया। अब बात को ख़त्म करो क्यों बहस कर रहो हो बात को बडा रहें हो।
रवि - में बात को बडा रहा हूँ। तुम्हारे लिये में बोल रहा हूँ ओर हर बार तुम मुझे ही बोलती हो।
स्वाति - मत बोल तू मेरे लिये में अपने लिये बोल सकती हूँ। तुझे बोलने की क्या जरुरत है।
इस बात को लेकर अब रवि और स्वाति में बहस होने लगी और वो दोनों एक दूसरे से बात करना बंद कर देते है
लेकिन फिर स्वाति रवि को हर बार को तरह मना लेती है। शुरुवात में रवि थोड़ा भाव खाता है लेकिन फिर वो मान जाता है।
रवि और स्वाति दोनों बेस्ट फ्रेंड है। स्कूल के बाद भी दोनों की दोस्ती बनी रहती है। दोनों को एक दूसरे के अलावा किसी की जरुरत नहीं होती। अपनी ही मस्ती में वो मस्त रहते है।
रवि अपनी पुरानी बातो में खोया हुआ था की तभी उसे आकर लता हाथ लगाकर होश में लाती है।
लता - कहाँ खोये हो, खाना बन गया है कब से आवाज लगा रही हूँ।
रवि उठ कर बैठ जाता है।
आखिर इतनी अच्छी दोस्ती थी फिर भी रवि की ज़िन्दगी में आज लता है। स्वाति क्यों नहीं?
रवि का दिन अब पहले जैसा नहीं रहा वो वो सिर्फ ख्याल में ही खोया था। वो अपने ऑफिस जानें के लिये निकला जरूर था लेकिन वो गया अस्पताल स्वाति से मिलने।
अस्पताल में स्वाति के केबिन के बाहर जाकर। उसने अंदर जानें की कोशिश की तो बाहर खड़े शख्स ने उसे रोका और कहाँ की सर आप अंदर नहीं जा सकते अपॉइंटमेंट के बिना।
रवि ने कहाँ की मैडम से मिलना मुझे जानती है कहो की रवि आये है।
जब वो अंदर जाकर मैडम से पूछ के आया तो बोला की मैडम ने बोला है की जिसके पास अपॉइंटमेंट है सिर्फ उसे अंदर आने दो।
रवि को जैसे थोड़ा बुरा लगा उसे समझ आ गया की स्वाति को अब उससे बात करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है।
रवि छोटा सा मुँह बना कर वहाँ से निकल गया। रवि अपने ऑफिस गया। दिन भर बस यही सोचता रहा। उस पल को याद कर रहा था। जब...
स्वाति मेडिकल एग्जाम की तैयारी करने के लिये अपने शहर से बाहर जानें वाली थी। रवि की फॅमिली वो शहर छोड़ रही थी। क्यों को उनकी केवल एक संतान थी रवि। उन्हें लगा की जहाँ रवि की आगे की पढ़ाई होगी वो भी वही रहेंगे।
स्वाति और रवि दोनों ही अब उम्र के उस पड़ाव थे जब किसी के जीवन में प्यार की दस्तक होने लगती है।
स्वाति - अब पता नहीं कब मिलना होगा। मेरा सपना तो तू जनता है की मुझे डॉक्टर बनना है। रवि मुझे एक बात बोलनी है।
किसी भी बात को आप अपनी कमज़ोरी बना सकते हो या ताकत। में आज तुझसे एक वादा लेनी वाली हूँ।
रवि - क्या वादा?
स्वाति - देख यह तुझे भी पता है और मुझे भी की हम दोनों अब सिर्फ दोस्ती नहीं बल्कि प्यार है। और मुझे यह भी पता है की तू बोलेगा नहीं मुझे ही बोलना पड़ेगा तो मैं आज बोल रही हूँ
I love you
लेकिन यह अहसास हमारा है। हमारे माँ बाप ने हमारे लिये कुछ सोचा है। उनके भी सपने है। में चाहती हूँ की हमारा प्यार। हमारे फ्यूचर के आगे ना आये। कमज़ोरी नहीं हमारी ताकत बने।
हम दोनों पहले कुछ बन जाते है। फिर साथ होंगे खुश होंगे। में तुझसे यह वादा करती हूँ की में तेरी हूँ। क्या तू भी मुझसे करता है।
रवि - तेरी हर बात मुझे मंजूर। पक्का वादा। औऱ हाँ love you too. में शायद ही कह पाता। तुने सही सोचा।
इतना कह कर दोनों ने हग किया।स्वाति की आँखों में आंसू थे
स्वाति - देख मुझसे ज्यादा सुन्दर कोई मिली औऱ तू गया ना तो तुझे मार डालूंगी।
रवि इन बातो में खोया ही था की उसके फोन पर रिंग बजती है। कोई अननोन नम्बर था रवि फोन रिसीव करता है। वो फोन स्वाति का होता है।
स्वाति हाँ तुम मिलने आये थे, वो अस्पताल था। अभीमिल सकते हो तो आ जाओ में। स्वाति उसे एक कैफे में बुलाती है। रवि औऱ स्वाति अब एक दूसरे के आमने सामने है।
रवि - कैसी हो।
स्वाति - जैसे तुम छोड़ के गये थे वैसी हूँ में बदलती नहीं। जो बात में करती हूँ उस पर रहती हूँ।
रवि - वो में...
स्वाति - कुछ कहने या समझाने की जरूरत नहीं है। में ही पागल थी समझा जैसा मैंने सोच रखा है। वैसा तुम भी पक्का मेरे लिये सोच कर रखोगे। तुम्हारे लिये बहुत रो ली, लेकिन तुम्हारे उस प्यार ने मुझे ताकत भी दी। में आज जो बन गई डॉक्टर। मैंने कई सपने सजा लिये थे की तुम से मिलूंगी तो ऐसा करुँगी यह बोलूंगी लेकिन तुम मिलें ही नहीं।
समझ आया मुझे तुम्हारी पत्नी को देखकर अच्छी सुन्दर है। अब मुझे पता चल गया की तुम क्यों नहीं मिलें।
चलो कोई बात नहीं। में अभी उस जोन से निकली नहीं इसलिये शादी नहीं कर पायी पता नहीं आगे क्या होगा। लेकिन तुम्हारे लिये खुश हूँ। औऱ थोड़े बहुत इलाज की जरूरत है उसके बाद तुम दोनों को बच्चा भी हो जायेगा मैंने रिपोर्ट देखी है।
रवि कुछ बोल नहीं पाया।
स्वाति - चलो कोई बात नहीं इतने साल बाद मिलें अच्छा लगा। अब हम दोनों के रास्ते अलग है। अब उस बात को लेकर तुम्हे अपना प्रेजेंट ख़राब नहीं करना चाहिये।
रवि - तुम हर बार इतनी समझदारी की बात कैसी कर सकती हो। मेरे कुछ कहने के पहले ही सब बोल देती औऱ समझ जाती हो।
स्वाति - मेरे लिये कुछ सोचने की जरुरत नहीं है। डॉक्टर हूँ औऱ हाँ अगली बार मेरे क्लिनिक में आओ तो अपॉइंटमेंट लेकर आना। अब में ऐसे ही नहीं मिल जाती।
इतना कहकर स्वाति उठकर जानें लगी। रवि उसको रोकने की कोशिश नहीं करता उसे पता है की अब वो नहीं रुकेगी।..
आपको यह कहानी कैसी लगी हमें Comment कर जरूर बताये। इसी तरह की अच्छी कहानियाँ आप यहाँ पर पढ़ सकते है। यहाँ उपस्थित शिक्षाप्रद कहानियाँ आपका मनोरंजन करने के साथ दिशा भी देंगी। तो बने रहिये हमारे साथ और हमारे प्रयास को सफल बनाये।