शादी के 10 साल बाद उन्होंने मुझे तलाक देने का फैसला किया। कहाँ की उनकी ज़िन्दगी में कोई और है। लेकिन मैंने वो किया जिससे उन्होंने अपना इरादा बदल दिया मैंने उनके सामने 1 महीने तक.। heart touching story in hindi
तलाक || Bed time stories||An heart touching story in hindi|| Moral story in hindi| Hindi Kahani||
हमारी ज़िन्दगी में ऐसे कई बातें होती है जिसके कारण हम अभी जो होता है उसे छोड़ कर अपना सारा ध्यान वही लगा कर रखते है।
मेरी ज़िन्दगी में भी ऐसा ही कुछ हुआ। मेरे मायके में कुछ सालो से बहुत विवाद चल रहा था। में नहीं चाहती थी की इसकी भनक या इस झमेले में वो पड़े इसलिये मैंने उन से यह बात को छुपाया। और अपने तरीके से उसे हल करने में लगी रही।
पर मुझे नहीं पता था की यह सब इस तरह से मेरे ही जीवन में और ज्यादा परेशानियां लेकर आ जायेगा।
मैंने कई बाते थी जो उनसे छीपा कर रखी थी। इस कारण उन्हें क्या पता क्या क्या लगने लगा और वो ना जानें कब मन ही मन मुझसे अलग होने लगे।
शादी के इतने सालो बाद हमें लगता है की सब सही चल रहा है। लेकिन यह सब कैसे हो गया मुझे पता भी नहीं चला। कभी भी हमारे बीच में इस तरह की कोई बात नहीं होती थी वो मुझसे ज्यादा कुछ पूछते नहीं थे।
उनका स्वभाव ही कुछ इस तरह का था। या शायद में ही अपनी परेशानियों के चलते वो नहीं देख पायी जो मेरे जीवन में आने वाला था।
जब मेरी आँख से वो पर्दा हटा और मैंने देखा तो मुझे समझ आ गया था को मुझसे क्या गलती हो गई है मुझे इस बात का अहसास हो गया था.
मैंने उस गलती को ठीक करना चाहा, लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी। उन्होंने एक शाम उनके फैसले के बारे में मुझे बता दिया उन्होंने कहाँ की मुझे तुमसे ज्यादा कुछ नहीं बोलना है ना जानना है।
में बस तुमसे तलाक चाहता हूँ। मेरी ज़िन्दगी में कोई है और में अब उसी के साथ रहना चाहता हूँ।और मेरा फैसला नहीं बदलेगा चाहो तुम कुछ भी कहो।
यह सुनकर जैसे मेरे पैरो तले ज़मीन ही निकल गई मुझे पता भी नहीं चला की कब में उनसे इतनी दूर हो गई और कब उनकी ज़िन्दगी में कोई ओर भी आ गई।
इतना तो में जानती थी की वो एक बार वो सोच लेते है वो फिर करते है।मैंने उस समय अपने आप को कण्ट्रोल किया। में उनसे बैठ कर बात करना चाहती थी।
उनसे सवाल जवाब करना चाहती थी। अगर अब मुझसे प्यार नहीं करते तो मुझे उनके जीवन से चले ही जाना चाहिये मुझे यही लग रहा था क्यों की उन्होंने मुझे साफ साफ कह दिया था।
कभी में क्या विचार करती कभी क्या मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर में क्या करू।कुछ दिनों तक हम लोग इस घर में ऐसे रह रहें थे जैसे की अजनबी इंसान हो। हमारे बीच किसी तरह की कोई बात नहीं होती थी।
में अपने को और उन्हें कुछ समय देना चाहती थी। मुझे एक मन ऐसा कर रहा था की वो अगर किसी और से प्यार करने लगे है तो मुझे उनके साथ नहीं रहना उन पर गुस्सा भी आ रहा था।
पर में अपने रिश्ते को ओर कुछ समय देना चाहती थी आखिर गलती मेरी भी थी मैंने भी उन्हें नजर अंदाज़ कर रखा था।
इसी दौरान करीब 2 महीने बाद उन्होंने तलाक के पेपर रेडी करवा लिये ओर मेरे सामने रख दिये कहाँ इस पर साइन कर दो।
मैंने फिर भी उनसे बात करना चाहा लेकिन वो दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चले गये।पूरी रात मेरी रोने में निकल गई।
लेकिन शायद अब उन्हें मेरी सिसकियाँ सुनाई नहीं दें रही थी। अगली शाम उन्होंने फिर कहाँ की इस पर साइन कर दो अब कोई फायदा नहीं है मेरा फैसला नहीं बदलने वाला है।
तलाक के बाद तुम्हे जो चाहिये में दूंगा बस तुम इस पर साइन कर दो। मेरी ज़िन्दगी में कोई है अब में तुम्हारे साथ नहीं रह सकता।
इतना काफ़ी मुझे तोड़ने के लिये, रात भर फिर मैंने कभी सोचा की साइन कर दूंगी कभी कुछ हज़ार तरह के विचार मेरे मन में चलने लगे। लेकिन मैंने सोचा की मुझे इस रिश्ते को एक मौका ओर देना चाहिये।
सुबह जब उन्होंने फिर कहाँ की साइन करो तब मेरी शादी बचाने के लिये मैंने एक आखरी कोशिश की।मैंने उनसे कहाँ की में इस पर साइन कर दूंगी लेकिन मेरी एक शर्त है।
उन्होंने पूछा की क्या बताओ। मैंने कहाँ की एक महीने तक आपको वही करना होगा जो आप शादी के शुरुवात में करते थे।
क्या करना होगा उन्होंने पूछा।
मैंने कहाँ की आपको सोते समय यहाँ से मुझे गोदी में उठाकर अपने बिस्तर तक लें जा कर सुलाना होगा।उन्होंने मेरी तरफ थोड़ा गुस्से से देखा ओर कहाँ की ऐसा नहीं हो सकता।
मैंने कहाँ में चाहती हूँ की आप मेरे लिये वो दिन वापस लें आये उसके बाद तो वो कभी आएंगे नहीं। इस लिये एक महीने के लिये आप मेरी यह इच्छा को पूरा कर दें।
आप नहीं मानेंगे तो भी इस पर साइन कर दूंगी। लेकिन अगर मान जाते तो साइन करते वक्त मेरा दुःख थोड़ा कम हो जायेगा।
वो कुछ समय चूप रहें और फिर उन्होंने मेरी बात मान ली।
रात में अब इंतजार कर रही थी। वो कमरे में सोने चले गये लेकिन फिर उन्हें अहसास हुआ की में नहीं मानने वाली तो वापस बाहर आये।
मुझे गोद में उठाया मेरी तरफ बिना देखें, मैंने अपने हाथ उनके गले में डाल दिये। उन्होंने अब मेरी तरफ देखा मैंने कहाँ, अरे पकड़ूँगी नहीं तो गिर जाऊंगी।
मेरे चेहरे पर एक मुस्कान और शर्म दोनों थी। लगा जैसा की आज ही हमारी शादी हुई है और यह पहली रात है।
वो धीरे धीरे मुझे मुझे लेकर बिस्तर तक गये।
बस फिर में रोज रात का इंतजार करने लगी। कब वो आये और मुझे गोद में उठाये। पहले 3 से 4 दिन में ही उनके चेहरे पर भी थोड़ी मुस्कान तो आने लगी।
नजरें मिलाने से अभी भी डर रहें थे शायद उन्हें डर था की फिर से मेरे लिये प्यार ना जग जाये ।करीब 15 दिन बाद उनका ह्रदय परिवर्तन होने लगा।
मुझे उनकी आँखों में प्यार दिखाई देने लगा। वो भी अब मेरी आँखों में देखने लगे। रोज रात को यही होता था। हम दोनों के बीच में जो दूरी थी अब ख़त्म होने लगी शायद उन्हें भी अब यह अहसास होने लगा था।
यह सब मेरी ज़िन्दगी के खूबसूरत पल थे। एक महीना पूरा होने में ही था। मुझे पता था की ऐसा करने के बाद हमारे सारे गीले शिकायत दूर हो जायेगी।
और वैसा ही हुआ कब महीना पूरा हुआ मुझे पता था लेकिन महीना होने के बाद भी अब सिलसिला शुरू है वो मुझसे और में उनसे दूर नहीं हो पाये। सोया प्यार फिर से जाग गया।
पिछली बातो पर मैंने उनसे कोई बात नहीं की लेकिन मुझे नहीं लगता की उनकी ज़िन्दगी में कोई और है। क्या पता उन्होंने भी यह सब मुझे सबक सिखाने के लिये किया हो।
अब में अपना प्यार और अपने पति को खोना नहीं चाहती।
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