उसी समय नेहा की मम्मी वहाँ आ जाती है। और सूरज और नेहा को ऐसे एक साथ देख लेती है। उनको ऐसे देखते ही वो गुस्से से आग बबूला हो गई।।Heart touching story in hindi।
अनकही प्रेम कहानी।। Heart touching story in hindi।। Emotional hindi story।। Emotional love story।।
20 साल का सूरज शहर के पास एक छोटे से गाँव में रहता है। शहर ज्यादा दूर नहीं है। खेती कुछ सालो से अच्छी नहीं हो रही है।
इसलिये परिवार चलाने के लिये माँ और पिता दोनों को नौकरी करनी पडती है। पिता शहर में सिक्योरिटी गार्ड है और माँ स्कूल में देखरेख का काम करती है।
सूरज और उसकी छोटी बहन घर पर रहते है। सूरज की बहन अभी स्कूल जाती है। सूरज ने स्कूल की पढ़ाई जैसे तैसे कर ली है अब वो उस समय में है, जहाँ उसके सामने कई सवाल है की वो अपनी जिंदगी में क्या करें।
सूरज के गाँव मे शहरों जैसा माहौल नहीं होता. यहाँ हर कोई एक दूसरे को अच्छी तरह से जानता और पहचानता है.
सुबह जल्द ही उसके माता पिता काम पर निकल जाते है। सूरज के घर के पीछे एक बरांडा है,जैसे कीं गाँव मे घर होते है थोड़े खुले हुऐ। सूरज अक्सर गर्मियों मे छत पर सोया करता है।
सुबह जल्द ही उसके माता पिता काम पर निकल जाते है। सुबह जल्दी थोड़ा घर काम करने और बहन और माता पिता के जानें के बाद वो घर में अकेला रहता तो अक्सर वो फिर छत से जब अपना बिस्तर लेने जाता है तो थोड़ी देर के फिर लेट जाता है।
ऐसे ही आज भी सूरज छत पर सोया है।लेकिन कुछ शोर कीं वजह से उसकी आँख खुल जाती है। उठकर वो निचे देखता है,ऑटो वाले साथ कोई बहस कर रहा था।
और यह पहली बार था,जब उसने देखा है नेहा को. हल्के निले रंग कीं सलवार सूट पहने वो अपनी मम्मी के साथ, सामने वाले शर्मा जी यहाँ आयी है.
वो शर्मा जी कीं भांजी है. उसकी मम्मी ऑटो वाले के पैसो को लेकर बहस कर रही है. सुबह गर्मियों का सूरज है तेज, नेहा बेग लिये खड़ी है. उसकी आँखों पर सूरज कीं रोशनी आ रही है. यह देख कर सूरज, असली सूरज और नेहा के बीच मे आ जाता है.
अचानक से नेहा पर रोशनी पड़ना बंद हो जाती है और इसलिये उसका ध्यान जाता है,सूरज कीं ओर. यह पहली बार था जब सूरज ओर नेहा ने एक दूसरे को देखा, अब उम्र समझो या ओर कुछ लेकिन दोनों को पहली नजर मे एक दूसरे से प्यार हो गया.
फिर जैसे सूरज के जीवन में एक नयी किरण फूटी हो।नेहा के मामा जी के घर के किचन कीं खिड़की रोड कीं ओर खुलती है।
सूरज की नज़र अब सामने वाले घर पर ही रहने लगी। कभी खिड़की कभी दरवाजा, कभी पानी के बहाने या कभी सफाई के बहाने वो घर के दरवाजे पर ही रहता।
कुछ समय तक नजरे मिलना और चुराने का खेल चलता रहा। लेकिन बात कुछ आगे नहीं हो रही थी।
एक दिन सूरज अपने घर कीं छत पर खड़ा हो कर पतंग उड़ा रहा था.
पतंग उड़ाते उड़ाते उसका ध्यान एकदम से गया सामने वाले किचन कीं खिड़की पर ओर उसने देखा कीं नेहा खिड़की से पतंग उड़ाते उसे देख रही है. सूरज अब हिम्मत करके नेहा कीं तरफ मुस्कुरा देता है।
ओर जवाब मे वहाँ से भी एक प्यारी सी स्माइल आती है. सूरज कीं खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है.
नेहा एक दिन सूरज कीं छोटी बहन से बात कर रही होती है हिम्मत करके सूरज भी उससे बात कर ही लेता है.
सूरज और नेहा में बातों का सिलसिला धीरे धीरे ही सही शुरू हो जाता है।
सूरज को पता चलता है कीं नेहा पतंग उड़ाना सीखना चाहती है. सूरज उसे सिखाने का बोलता है. लेकिन वो मना करती है. क्यों कीं उसकी मम्मी उसे किसी भी लड़के से बात करने भी नहीं देती.
पतंग उड़ाना तो बहुत दूर कीं बात है. सूरज उसे बोलता है कीं वो उसके घर के पीछे बारांदे मे उसे सीखा देगा, साथ ही वहाँ सूरज कीं बहन भी होंगी.
नेहा थोड़ा मनाने पर मान जाती है. आखिर वो भी सूरज के साथ समय बिताना चाहती है. नेहा कीं मम्मी,जब उसकी मामी के साथ, किसी रिश्ते दार से मिलने जाती है. तब नेहा सूरज के बारांदे मे जाती है.
लेकिन उन्हें नहीं पता था कीं अनजाने मे वो बड़ी मुसीबत मे फसने वाले है.
सूरज के घर में पीछे सीढिया चढ़ते समय नेहा के पैर में मोच आ जाती है। ओर चल भी नहीं पाती है नेहा वही बैठ जाती है.उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते है।
सूरज उसे दर्द और वहाँ बैठा देख कर कमरे में बिस्तर पर चलने की लिये कहता है, नेहा चल नहीं पाती है सूरज उसको हाथ पकड़ कर उसे सहारा देता है। सूरज हाथ पकडे नेहा को लेकर आता है।
उसी समय नेहा की मम्मी वहाँ आ जाती है। और सूरज और नेहा को ऐसे एक साथ देख लेती है। उनको ऐसे देखते ही वो गुस्से से आग बबूला हो गई। उन्होंने ज़ोर से चिल्ला कर कहाँ नेहा। फिर उन्हें कुछ समय बाद नेहा का पैर दिखाई दिया उन्होंने सूरज के हाथ को हटा कर नेहा को पकड़ा और उसे लें गई।
सूरज को रात भर नींद नहीं आती है. वो सुबह का इंतज़ार करता यह सोच रहा है कीं,
नेहा का पैर कैसा होगा साथ ही कहीं उसकी मम्मी ने नेहा को कुछ कहां या मारा तो नहीं. सुबह होती है ओर सूरज देखता है कीं, नेहा ओर उसकी मम्मी ऑटो मे बैठ कर जा रहें है.पैर से अभी भी थोड़ा लड़खड़ा रही थी। सूरज ओर नेहा कीं आँखों मे कुछ बातें होती है, ओर नेहा वहाँ से चली जाती है।
सूरज को यकीन था की नेहा को फिर देखेगा।
उसको नेहा का ही इंतज़ार रहता है. उसका दिल कहता है कीं,नेहा फिर आयेंगी. इंतज़ार मे करीब एक साल बीत जाता है. अब सूरज की उम्मीदें थोड़ी धूमिल होने लगती है। लेकिन एक दिन वो हुआ जिसका सूरज को इंतज़ार था।
सामने वाली किचन की खिड़की में उसे फिर नेहा दिखाई देती है।
उसे ख़ुशी होती है। नेहा अभी उसकी ओर नहीं देख रही है वो किचन में अपना काम कर रही है। नेहा की मम्मी बाहर आती है। कोई उन्हें बधाई दें रहा था नेहा की शादी की, नेहा की शादी हो चुकी थी।
किचन में ही नेहा का पति भी सूरज को दिखाई देता है। देखने में नेहा भी खुश लग रही थी। सूरज एक पल के लिये बुरा लगा।
लेकिन फिर वो मुस्कुराया उसे नेहा की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी दिखी। अचानक से नेहा की नज़र सूरज पर पड़ी ओर फिर दोनों ने एक दूसरे को स्माइल करते है।
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