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उसके यह बोलते ही मेरे मुँह से इतने दिनों का दबाया गया गुस्सा फूटा और मैंने कहां,कीं क्यों जा रही है यही सो जाना हम दोनों के बीच में।। Bed times stories।। Best hindi kahaniya।। Hindi stories।।


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मेरा नाम रचना है। आज में आपको मेरे नेचर के ऐसे पहलु के बारे में बात करने वाली हूँ, जिसका मुझे भी पता नहीं था।


कहते है जीवन में अच्छा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल होता है, पर मेरी एक बेस्ट फ्रेंड थी, दिया। ऐसे वैसी दोस्ती नहीं थी, बहनो से भी ज्यादा प्यार था हम दोनों में।


हम तो हमेशा यही सोचते थे कीं शादी भी एक ही घर में करेंगे, ताकि कोई हम दोनों को शादी के बाद भी अलग नहीं कर सके।


मेरे घर वाले मुझ से ज्यादा उसे मानते थे और उसके घरवाले मुझे। बस यह समझो की उसका घर मेरा और मेरा घर उसका।


समय के साथ सबकुछ करना पड़ता है मेरे लिये एक अच्छा रिश्ताआया। लड़का इंजीनियर था, अच्छा कमाता था रवि नाम था उनका।


घरवालों नें मुझसे पहले 'दिया' को तस्वीर दिखाई। उसे देखते ही लड़का पसंद आ गया और मुझे भी बोली कीं अच्छा है.. तू मिलने जा उसको।


मैंने बोला कीं तू भी चलेगी, में अकेले नहीं जानें वाली। वो बोली पागल है तू डेट पर जा रही है। में क्या करुँगी वहाँ कबाब में हड्डी।


पढिये क्या था ऐसा उस वीडियो क्लिप में।

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लेकिन में नहीं मानी, उसे बोला कीं थोड़ी देर बाद तू चली जाना लेकिन लड़के से बात करले मिल लें। तू अपनी बेस्ट फ्रेंड को ऐसे ही किसी के साथ शादी करने देंगी क्या?


मेरे मनाने पर वो मान गई. हम दोनों उससे मिलने गये. घरवालों को कोई ऐतराज नहीं था, क्यों कीं 'दिया' मेरे साथ ही थी।


रवि को हम एक रेस्टोरेंट में मिलें। रवि हम दोनों को बहुत अच्छा लगा। दिया को तो इतना पसंद आया कीं वो तो उसे जीजू बोलने लगी।


रवि भी उसके साथ बहुत घुल गया था, देखा जाये तो रवि और दिया का स्वभाव बिलकुल एक जैसा ही था इसलिये मुझे भी पसंद आया।


बस सब अचानक और जल्दी में हो रहा था। चट मंगनी और पट ब्याह वाला सीन हो रहा था मेरे साथ। बहुत जल्दी में हमारी शादी हो गई थी।


एक अच्छी बात यह थी कीं रवि कीं जॉब हमारे शहर में ही थी उन्होंने एक नया फ्लैट लें लिया था, बाकि फैमिली अभी अपने पुराने घर में ही रहती थी।


इस कारण शादी के बाद भी मुझे घरवालों और दिया से मिलने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी। आये दिन वो मुझसे और रवि से मिलने हमारे यहाँ आती रहती थी।


शादी के अभी 5 महीने ही हुऐ है। पहले में दिया को घर पर खाने या कभी बाहर जाते समय बुला लिया करती थी लेकिन फिर रवि खुद ही फोन करके बुलाने लग गये थे।


धीरे धीरे मुझे पता भी नहीं चला और में दिया से इनसेक्युर होने लगी,मुझे नहीं पता था कीं शादी के बाद मुझमे यह चेंज आ जायेगा।


रवि और दिया का स्वभाव एक सा ही था। दोनों को बाते करना बहुत पसंद था में चुप रहती थी, दोनों हॅसते ही रहते।


दिया मुझसे ज्यादा इंटेलिजेंट, हँसमुख, मुँहफट थी, इस कारण हमेशा लोग उसे ज्यादा पसंद करते थे। शुरवात में मुझे लगा कीं अच्छा है।


लेकिन बाद में मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था। मेरे पति का बार बार हर बात में दिया दिया करना मुझे चुभने लगा।


उसका भी बात बात में उनका हाथ पकड़ना और हॅसते रहना मुझे खाने लगा। मैंने अपनी तरफ से अब दिया को बुलाना और उसने मिलना कम कर दिया।


में कोशिश करती कुछ बहाने से कीं वो अब घर भी ना आये। एक शाम अचानक ही, वो और मेरे पति साथ में घर आये और बाहर डिनर का बोलने लगे।


जानिये क्या अंजाम हुआ उस मासूम प्यार का।

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मैंने कहां कीं मेरी तबियत ठीक नहीं है। दिया बोली इसका हमेशा ऐसा ही रहता है बोरिंग घर में रहती है इसके लिये कुछ पैक करा लेंगे चलो जीजू हम दोनों चलते है।


उन्होंने मेरी तबियत भी नहीं पूछी और दिया के साथ बाहर डिनर पर चले गये। उस दिन मेरे कलेजे पर जैसे सांप लौट गये थे, मेरे साथ यह क्या हो रहा था मुझे नहीं पता था बस में इतना जानती थी कीं मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था।


रात जब वो घर आये तो मेरा पारा चढ़ा था.वो तो आये ही उनके साथ 'दिया' भी आ गई। दोनों अंदर आये और मेरा खाना टेबल पर रखते है। दिया कहती है कीं अब में जाती हूँ।


उसके यह बोलते ही मेरे मुँह से इतने दिनों का दबाया गया गुस्सा फूटा और मैंने कहां,कीं क्यों जा रही है यही सो जाना हम दोनों के बीच में।


दोनों कीं हँसीं रुक गई, दिया को पता चल गया था कीं मैंने मज़ाक में नहीं बोला है। कुछ पल उसने मेरी तरफ देखा, फिर दरवाजा खोल कर चली गई।


रवि मुझे कहते है यह क्या तरीका है बात करने का, मैंने कहां आप ज्यादा चिंता मत करो वो मेरी दोस्त है आपको इतना बुरा क्यों लग रहा है, आप हम दोनों को एक साथ ही मिलें था ना आपको वो ज्यादा पसंद थी तो उसी से शादी करना था,मुझसे क्यों कीं।


रवि नें कहां आखिर तुम भी उसी सोच वाली निकली तुम दोनों नें ही कहां था कीं तुम्हे शादी के बाद भी अलग नहीं होना। अरे पक्की दोस्ती थी, तुम उसे साथ लाई थी उसने कहा तब तुमने मुझसे शादी कीं. में चाहता था कीं तुम खुश रहो. और अगर तुम्हे कुछ प्रॉब्लम थी तो मुझसे बात करती अचानक ऐसे कुछ भी बोल रही हो।


रवि यह बोलकर कमरे में चले गये उस समय मैंने जो किया मुझे सही लगा। पर जो में महसूस कर रही थी वो मैंने बोल दिया।


अगले दिन सुबह रवि नें मुझसे बात नहीं कीं ना ही दिया का फोन आया और ना ही वो घर आयी। एक दो दिन इनका मूड ख़राब रहा लेकिन फिर वो सही हो गये।


शायद दिया नें ही उन्हें ऐसा करने का बोला हो,लेकिन अब घर में उनके मुँह से दिया का नाम नहीं आया। करीब 2 महीने हो गये थे दिया को आये या बात करें। यह मेरे साथ नार्मल थे उस बात कीं चर्चा भी उस दिन के बाद नहीं हुई।


फिर अचानक जब वो ऑफिस गये थे। तब दिया फ्लैट पर आती है, उसे 2 महीने बाद मिलने पर भी मुझे कुछ ज्यादा खुशी नहीं हो रही थी। वो आकर सीधा अंदर बैठ गई।में अभी भी उस से बात नहीं कर रही थी।


वो बोली में शादी के पहले वाली रचना को अच्छे से जानती हूं और वो अपनी बात तकलीफ मन में ही छूपा कर रखती थी. मैंने शायद अनजाने में तेरा दिल दुखाया है लेकिन शायद तू सही है शादी, प्यार के बाद कैसा महसूस होता है. मुझसे ज्यादा तू जानती है।


दोस्त कीं अपनी जगह होती है और प्यार कीं अपनी। मुझे इस तरह तेरी जिंदगी में नहीं घुसना चाहिये था। यह सारी बाते में शायद मेरे पति के लिये भी महसूस करू.पहले मुझे तुझ पर गुस्सा आया लेकिन अब मुझे लगता है गलती मेरी भी है।


मैंने तेरी चीज को अपना ही समझा। मेरा हक़ समझा। तेरी फैमिली को अपना माना, पर शायद तेरी इस लाइफ से मुझे दूर रहना था।


खैर अब तो दूर हो ही जाउंगी,में भी शादी कर रही हूं। जैसे तुने रवि को पहले मुझसे मिलाया, वैसे मैंने रवि को उससे मिलाया,तुझसे गुस्सा थी इसलिये तुझे बताया नहीं।


पर मुझे लगा कीं तुझे शादी में ना बुलाया तो एक और बड़ी गलती होंगी, क्यों कीं अब इस शहर में कम ही आना होगा।


उसकी बात ख़त्म होते ही मेरी आँखों में आंसू आ गये। वो सबकुछ जो में फील कर रही थी पता नहीं कुछ ही सेकंड में कहां गायब हो गया।


गले लगाये बिना उसे में नहीं रह पायी। उसको रोते हुऐ मैंने सॉरी कहा। वो बोली सॉरी मत बोल में शादी कर रही हूं फिर बताउंगी कीं कोई मेरे वाले के साथ अगर ऐसा करेगा तो कैसा लगेगा।


आखिर उसकी शादी का दिन भी आ गयाजितना वो मेरी शादी में नाची थी उससे ज्यादा मैंने उसकी शादी मेंधमाल मचाया।


अब भी हम अच्छे दोस्त है। और हमारे पति भी बार बार लेकिन अभी भी वो मुझे मज़ाक में ताना मारती है। कहती है नहीं में दोनों के बीच में नहीं सोऊंगी चिंता मत कर।


पर मैंने एक बात सीखी कीं अगर दोस्त से कुछ प्रॉब्लम है तो उससे बात करो वो अगर आपका सच्चा दोस्त होगा तो समझेगा।


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