सूरज अपनी ज़िन्दगी से बहुत निराशा था। ना प्रेम में ना किसी बात में वो सफल हो पाया। इसका जिम्मेदार वो भगवान को ठहराने लगा। और फिर एक दिन..।।Motivational story in hindi।। Moral story in hindi।।
जब भगवान बोले।। Motivational story in hindi।। Moral story in hindi।। हिन्दी कहानियाँ।। Motivational stories।।
सूरज अभी जवान ही है लगभग 28 साल को उम्र होगी। इतनी सी आयु में ही वो अपनी ज़िन्दगी से काफ़ी निराशा है। निराशा का कारण है उसकी ज़िन्दगी में उसके अनुसार कुछ नहीं हो रहा है।
उसके पास अच्छी नौकरी नहीं है। उसके उम्र के उसके कुछ दोस्त एक अच्छे मुकाम पर पहुंच गये है। कई शादी करके अपने जीवन में सेट भी हो गये है।
सूरज की निराशा का सबसे बड़ा कारण था उसका प्यार। वो एक लड़की से प्यार करता था। वो उसे छोड़ कर अब शादी कर चुकी है। उसके घरवालों के आगे उसकी नहीं चली और जिससे शादी हुई वो लड़का अच्छा पैसा वाला था।
यही सब वो कारण है जो आज के लगभग हर युवा के साथ है। सूरज इन्ही कारणों से निराशा था। ज़िन्दगी में जैसे हार मान चूका था।
जब इंसान इस हालत में होता है। तो वो वजह ढूढ़ता है की आखिर इसका ज़िम्मेदार वो किसे ठहराये। सूरज को अब वो मिल गया था जिसे वो इसका जिम्मेदार ठहरा सके।
भगवान, सूरज अब भगवान को कोसने लगा। इस सब कारणों का जिम्मेदार वो भगवान को मानने लगा। सूरज और उसका परिवार पूजा पाठी लोग है।
सूरज को लगा को इतने सालो के उनकी इस पूजा का उसे कुछ लाभ नहीं मिला। उसने किसी का बुरा नहीं किया कभी कोई बुरी संगत में भी नहीं पड़ा फिर भी उसके साथ आखिर यह क्यों हुआ। आज उसने जो चाहा उसे कुछ नहीं मिला, ना प्यार ना अच्छी नौकरी।
सूरज यह सब अभी तक अपने मन में दबा कर रख रहा था। लेकिन एक सुबह जब उसकी माँ सुबह पूजा पाठ कर रही थी। तभी उसका मन में दबाया हुआ निकल कर सामने आया।
क्या होता है भगवान कहाँ है भगवान। क्यों करती हो तुम रोज पूजा क्या फायदा होता है इन सब से।क्या दिया है तुम्हारे भगवान ने हमें। माँ और पिता अपने बच्चे को अच्छे से समझते है।
उन्हें पता था की सूरज कुछ दिनों से परेशान है। अपनी इस परेशानी को कह भी नहीं पा रहा था। उसकी माँ और पिता ने उसे समझाया लेकिन उस समय उसे कुछ नहीं समझ आ रहा था।
सूरज उस दिन भी घर से निकला फिर वही तलाश में। मन अशांत और यही दोहरा रहा था की भगवान ने उसे कुछ नहीं दिया।
वो लोकल ट्रैन में चढ़ा। काफ़ी भीड़ थी उस ट्रैन में। उस में उसे पता नहीं था की उसके सभी सवालों के जवाब उसे मिल जायेंगे।
सूरज का मूड ख़राब ही था। वो अपनी ही बातों में उलझा हुआ था। तभी उसका ध्यान डिब्बे में चल रही बातों पर गया।
एक बुजुर्ग करीब 65 साल के एक बच्ची के साथ उस डिब्बे में थे। बच्ची करीब 7 साल की है। बच्ची खिड़की पर बैठी आते जाते पेड़ देख रही है। अभी तक सूरज ने उस बच्ची का मुँह नहीं देखा है।
अक्सर सफर में लोग अपने सुख दुख साझा करते है। उसके दादा जी बता रहें थे की वो हर जगह उनकी सामर्थ के अनुसार उस बच्ची को लें गये।
उनकी पोती बोल नहीं सकती ना ही सुन सकती है। उसके माता पिता एक एक्सीडेंट में चल बसे है। उस बच्ची का उसके दादा, दादी के अलावा ओर कोई नहीं है।
सूरज यह खड़ा खड़ा सब सुन रहा है। बुजुर्ग दादा जी अपनी कहानी सुना रहें थे। डब्बे में बैठे ओर खड़ा हर यक्ति उनकी बात सुन रहा था। बच्ची का नाम परी था।वो इन सब बातों को सुन नहीं पा रही थी। उसे तो बस खिड़की मिल गई।
पास बैठी एक महिला ने उससे बात करना चाहा। उसके दादा जी ने उसे हाथ लगाया। परी ने अपना मुँह खिड़की से हटा कर अंदर डिब्बे की ओर किया।
दादा जी ने उसे इशारे में कहाँ की यह आपसे बात करना चाहती है। बच्ची ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया ओर चहरे पर हसीं लाई। उसके गाल पर एक डिम्पल पड़ा।
उसकी हसीं देख कर डिब्बे में कोई ऐसा नहीं होगा जिसके चेहरे पर मुस्कान नहीं आई हो। सूरज भी उनसे से एक था।
दादाजी भी बड़े आशावादी थे औऱ कह रहें थे कीं ऊपर वाले कीं मर्ज़ी के आगे किसकी चली है बस हम तो केवल कोशिश ही कर सकते है।
बातों बातों में बच्ची अपने दादा और दादी की नकल करके सबको बताने लगी। हर एक का मन करुणा से भर गया ऐसा कोई नहीं था जो उस बच्ची के ठीक होने की दुआ नहीं कर रहा हो।
सूरज अब तक बदल गया था। अब वो, नहीं रहा जो ट्रैन में इस डिब्बे में आने के पहले था। उस बच्ची की मुस्कान उसकी आत्मा तक चली जैसे की भगवान ने खुद उसकी बातो का जवाब दें दिया हो। जैसे भगवान आज बोले।
उसे लगा की उस बच्ची के आगे तो उसका गम कुछ भी नहीं है। फिर भी ना उसके, ना उसके दादा को कोई शिकायत, बस उम्मीद है।
सूरज उस बच्ची से नजर नहीं हटा पा रहा था। जब वो बच्ची अपने स्टेशन पर उतर कर गई। तब उसने उसकी तरफ फिर से मुस्कुराते हुऐ उसे बाय कहाँ।
सूरज को अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया था। अचानक से उसे लगने लगा की उसके पास सबकुछ है ऊपर वाले ने हमें यह खूबसूरत जीवन दिया है। हमें यह खूबसूरत दुनियाँ देखने का मौका दिया इतना ही बहुत बड़ी बात है।अब वो शिकायत नहीं धन्यवाद देने लगा।
भगवान कीं दी यह जिंदगी बहुत खूबसूरत है इसे मुस्कुराते हुये जिये परेशानियां से घबराये नहीं। आपको यह कहानी कैसी लगी हमें comment कर जरुर बताये।
यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। अगर इसका किसी के जीवन से मेल खाना मात्र एक सयोंग है।