नौकरानी ने खोली आँखे। Emotional story।Emotional kahani।Hindi kahani।Hindi story। कहानियाँ।।



सोनम ' तुम्हारे पति क्या करते है '। लता 'वो कुछ नहीं करते मैडम वो अभी कुछ कर नहीं सकते। लता थोड़ा रूकती है और पलक झपका कर कहती है..।Emotional story। Emotional Kahani।

नौकरानी ने खोली आँखे। Emotional story।Emotional kahani।Hindi kahani।Hindi story। कहानियाँ।।

सोनम एक एजुकेटेड लड़की है बड़ी MNC कंपनी में नौकरी करती है। जॉब के दौरान ही उसे प्यार भी हो जाता है मानव उसी के ऑफिस में दोनों को पहली ही कुछ मुलाकातों में प्यार हो जाता है। और लगभग एक साल की डेटिंग के बाद ही दोनों शादी करने का फैसला भी लें लेते है।


दोनों के परिवार को इस शादी से कोई परेशानी नहीं थी दोनों अच्छा कमाते है और अच्छी नौकरी करते है और एक ही शहर में भी है।


सोनम और मानव की शादी हो जाती है। दोनों बड़े शहर के अच्छे फ्लैट में अपनी जिंदगी की शुरुवात करते है।


काम करने के लिये उन्होंने एक नौकरानी रखी। लता करीब 38 साल की। सोनम ने उसे काम पर रखते हुऐ ही अच्छी तरह से सारे रूल्स बता दिये थे।


साथ ही उसे यह भी कहाँ की अगर वो यहाँ रहना भी चाहे तो रह सकती है। लेकिन लता ने बोला की नहीं उसका घर पास ही है वो वही जायेगी और सुबह जल्दी वापस आ जायेगी।


लता घर का सारा काम अच्छे से करती अच्छी तरह से खाना बनाती और साफ सफाई भी करती। इसके काम में कोई भी कंप्लेंट नहीं थी।


शादी के करीब 7 महीने बाद ही सोनम और मानव के बीच झगडे होना शुरू हो गये। हर छोटी छोटी बात पर झगड़ा होने लगा।
पहले तो झगड़ा छोटा हुआ करता था जो थोड़ी सी बात से शुरू होकर ख़त्म हो जायेगा करता था। लेकिन फिर कभी कभी इन दोनों में कई दिनों तक बात नहीं होती।


ऑफिस की बाते भी उनके झगडे का एक प्रमुख कारण रहती थी। उन दोनों को लगने लगा की उन्होंने एक दूसरे से शादी करके गलती कर दी।


ऑफिस की एक मीटिंग दौरान दोनों ही बॉस के साथ उसमे मानव ने सोनम की बात के बाद अपनी बात रखी जो की बॉस को ज्यादा पसंद आयी। इस बात से सोनम को बहुत गुस्सा आया और वो बात हमेशा की तरह इस बार भी उनके घर तक पहुंची।


सोनम ने इस बात को लेकर मानव को बहुत कुछ सुनाया और साथ ही उसने नौकरी छोड़ने और तलाक की बात भी की।


लता यह उनकी सारी बाते सारा झगड़ा हमेशा से सुना करती थी। बस वो अपने काम में लगी रहती। जब खाना बन जाता तो वो दोनों को कहती। ज्यादातर वो लोग अलग अलग बैठ कर ही खाते थे।


सोनम अगले दिन ऑफिस नहीं गई. दोपहर तक अपने कमरे में बंद रही। लता ने मैडम का दरवाजा भी नहीं खटखटाया उसे अच्छी तरह पता था की अभी वो कुछ भी नहीं चाहती।


दोपहर के बाद सोनम अपने कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर आयी। लता किचन साफ करके अपने घर जा रही थी। उसके हाथ में उसका एक छोटा सा झोला था।


सोनम बाहर आते ही लता को चाय के लिये कहती है। लता चाय बनाने लग जाती है। सोनम का मूड ठीक नहीं है। सोनम किचन में लता के पास जाती है। लता उसे खाना के पूछती है।


सोनम बोलती है नहीं अभी नहीं सिर्फ चाय दो। सोनम लता को पूछती है ' तुमने खाना खाया'। लता नहीं मैडम में खाना लें लिया है में घर जाकर खाऊँगी'।


लता थोड़ी देर रुक कर फिर कहती है मैडम एक ही खाना लें जाती हूँ सिर्फ मेरा बाँध कर ज्यादा नहीं लें जाती आप देख सकती है '। इतना कहकर लता अपना झोला खोल कर दिखाने लगती है।


सोनम ' अरे कोई जरुरत नहीं है ठीक है '। लता फिर मैडम को चाय देती है।लता को थोड़ा सा डरा हुआ और झिझका हुआ देख कर सोनम उस से और बात करती है।


सोनम 'अच्छा लता तुम कहाँ रहती हो। 'मैडम यही थोड़ी दूरी पर ही मेरा घर है'। सोनम ' तुम्हारे पति क्या करते है '। लता 'वो कुछ नहीं करते मैडम वो अभी कुछ कर नहीं सकते। लता थोड़ा रूकती है और पलक झपका कर कहती है, 'उनको लकवा आया है उनका बाया शरीर काम नहीं करता, ठीक से बोल भी नहीं पाते'।


सोनम 'अरे तुमने कभी बताया नहीं फिर घर दवाई यह सब तुम ही संभालती हो'। लता हाँ मैडम दो बच्चों की पढ़ाई छोटे स्कूल में है लेकिन में चाहती हूँ की वो पढ़ाई करें हमेशा से मेरी उनके खाने के बाद खाने की आदत है इसलिये पहले उनको खिलाऊँगी फिर में खाती हो इसलिये सुबह शाम का खाना लें जाती हूँ'।


सोनम लता की बातें सुनकर हैरान रह जाती है। उसे पता नहीं था की लता इतनी साहसी है और कभी भी उसने अपने चेहरे या काम से यह लगने नहीं दिया।


लता फिर कहती है। मैडम में आपसे कुछ कहना चाहती हूँ आप बुरा ना मानो तो। सोनम ने तुरंत ही जवाब दिया हाँ कहो ना please।


मैडम अभी हमारे पास जो होता है हमें उसकी कद्र नहीं होती है समय कैसे बदल जाता है पता भी नहीं चलता है। अब में सिर्फ चाहती हूँ की मेरे पति ठीक हो जाये अभी तह मेहनत में से मुझे कुछ परेशानी नहीं है लेकिन अभी मेरी सिर्फ एक ही इच्छा है की बस वो ठीक हो जाये।
मुझ से फिर वैसे ही बात करें वैसे ही अपने पैरो पर ठीक से चल सके बच्चों को गले लगा सके। बाकि कुछ भी नहीं चाहिये।


लता अपनी बात ठीक से समझा नहीं पा रही थी लेकिन सोनम समझ रही थी की वो क्या कहना चाहती है। उसकी बातो को सुनकर सोनम को रोना आए गया। उसने लता का हाथ पकड़ा और कहाँ की कभी भी तुम्हे लगे की कुछ जरुरत है तो बेझिझक मुझसे बोलना। लता ने हाँ में सर हिलाया।


कभी कभी जो बड़े बड़े लोग हमें नहीं सीखा सकते वो जिंदगी सीखा देती है। सोनम की आँखों पर लगा पर्दा जैसे हट गया। उसे समझ आया की उसके पास भगवान की दिया बहुत कुछ है। पल भर में ही जैसे उसकी सारी नाराजगी, गुस्सा ना जानें कहाँ चला गया


जिस पति का वो मुँह भी नहीं देखना चाहती थी अब उसके आने का इंतजार करने लगी। शाम जैसे तैसे आयी। दरवाजे पर जैसे ही बेल बजी वो दौड़ कर गई और दरवाजा खोला सामने मानव को देखकर रोते हुऐ उसके गले लग गई और सॉरी बोला।


मानव को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने भी सोनम को सॉरी बोला। 

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