माँ का दिल। Emotional heart touching story। पैर टूटा था लेकिन फिर भी...।Hindi kahani। कहानियाँ।

समीर को देखकर यकीन नहीं हुआ। दरवाजे पर उसके माता पिता थे। माँ का पैर टूटा था प्लास्टर चढ़ा था. जैसे तैसे सहारे के साथ खड़ी थी।Emotional story।

माँ का दिल। Emotional heart touching story। पैर टूटा था लेकिन फिर भी...।Hindi kahani। कहानियाँ।

इंसान के पास जो होता है उसे उसकी कद्र नहीं होती है इस मन को हमेशा दूर के ढ़ोल ही सुहावने लगते है। ऐसी ही समीर है जो गाँव की शांति और ताज़ा हवा को छोड़ कर शहर की भीड़ में जाकर बसना चाहता है। मिट्टी की खुशबू को छोड़कर कर शहर का धुँवा खाना चाहता है।जिम्मेदारी और मज़बूरी इंसान से सबकुछ करवाती है। लेकिन समीर को ऐसे कोई मज़बूरी नहीं थी। 

घर छोड़ते वक्त पिता जी नें बहुत समझाया हमारे पास यहाँ गाँव में इतना है कीं हम अच्छे से खा सकते है भगवान कीं दया से इतना हो जाता है। फिर तू हमारा एक लौता लड़का है, हम चाहते है की तू हमारे साथ  ही रहें।

लेकिन समीर मानने को तैयार नहीं था। पिताजी से कहाँ कीं आप नें पूरी जिंदगी गाँव में गुज़ार दी में नहीं चाहता यहाँ रहना. पिता नें कहां कीं हमने जो भी कमाया है तेरे लिये ही तो है.औऱ फिर यहाँ कीं जमीन घर औऱ पशुओं को छोड़ कर तू वहाँ जाकर छोटी से नौकरी करना चाहता है।

एक बार जो फितूर सर पर सवार हो जाता है वो इतना आसानी से कहाँ उतरता है. जवान बच्चे यह भूल जाते है की माता पिता जो बात कर रहें है वो सिर्फ बात नहीं है उनका अनुभव भी है। समीर नहीं माना कहां कीं 'अब पहले जैसा ज़माना नहीं रहा है, आप लोग इतना क्यों सोच रहो हो, मोबाइल है औऱ वीडियो कॉल भी है रोज में आपको दूर बैठा भी दिखाई दूंगा'।


समीर नहीं माना औऱ शहर जाकर एक छोटी से प्राइवेट नौकरी करने लगा.8 से 10 घंटे कीं नौकरी के उसे कुल 15 हज़ार मिलते थे. माता पिता को कहाँ कीं वो नौकरी करने लगा है पिताजी नें फिर समझाया बेटा हमें तेरी याद आती है घर आजा. समीर नहीं माना वो शहर कीं ज़िन्दगी जीना चाहता था.

समीर की माँ भी परेशान थी लेकिन उसके पिता ने उन्हें समझाया की कर लेने दो उसे अपने मन की कुछ दिन में वापस आए जायेगा आखिर कब तक वो हमारे अनुभव से चलेगा उसी भी अपना अनुभव तैयार करने दो।

घर मै जहाँ अपनी मर्जी से काम किया करता था वही यहाँ उसे किसी की सुनना पड़ता था। 2 महीने उसने कोशिश की लेकिन  फिर समीर को अब काम का कुछ ज्यादा लोड रहने लगा प्राइवेट नौकरी में समय का कोई ठिकाना नहीं रहता था। घर पर बात करना धीरे धीरे कम होने लगा।

करीब 4 दिन बाद जब उसने अपने घर का फोन उठाया तो उसके पिता नें बोला बेटा ऐसा क्या काम करना कीं फोन पर बात करने का समय ही ना मिलें.

पिताजी बोले बेटा तेरी माँ का पैर टूट गया 3 दिन पहले।समीर नें पूछा कीं 'माँ अब ठीक है। पिताजी बोले 'प्लास्टर चढ़ा है'।

समीर नें कहा पापा आप वीडियो कॉल से बात करवा देना अभी मुझे छुट्टी नहीं मिल सकती। गाँव में ठीक से नेटवर्क ना होने के कारण वीडियो कभी रूकती है कभी दिखाई देती है इसलिये अधिकतर वो सिर्फ बात किया करते थे लेकिन आज माँ के पैर टूटा था।

माँ ने फोन पर बेटे से बात कर ली, बोली में ठीक हूँ, और हर माँ की तरह तू कुछ खाता नहीं है क्या देख कैसा मुँह निकल गया है तेरा में कुछ दिन आए जाऊं। समीर अपने दोस्तों के साथ एक छोटे से कमरे में रहता था किराया ज्यादा और जगह कम इसलिये माँ को हमेशा मना करता था।

जो गाँव की ताज़ा हवा के आदि उन्हें  शहर कहाँ भायेगा माँ से बात करने के 3 दिन बाद ही समीर कीं तबियत ख़राब हो गई। काम पर भी नहीं गया वही कमरे में आराम कर रहा था। कई बार घर से फोन आने पर उसने उठाया तब उसकी आवाज से ही माँ समझ गई।

'बेटा बीमार है, क्या?' बोला 'हां माँ थोड़ा बुखार है। माँ नें फिर कहां 'बेटा घर आजा थोड़े दिन आराम कर के वापस चले जाना'। समीर नें फिर आनाकानी कीं।

अगले दिन समीर अपने कमरे में सोया था तब दरवाजे के खटखटाने कीं आवाज होने पर दरवाजा खोलता है।दरवाजे पर उसके मम्मी औऱ पापा थे समीर कीं माँ का प्लास्टर अभी भी था। सहारे के साथ चल रही थी

समीर को विश्वास नहीं हुआ की ऐसी हालत और दर्द में उसकी माँ यहाँ आ जायेगी।

'माँ तुम ऐसी यहाँ क्यों आयी वीडियो कॉल पर बात कर लेते'। बेटे की बात ख़त्म होने के पहले
अरे आग लगे तेरे फोन उसमे अच्छा नहीं दिखाई देता देख कितना दुबला हो गया औऱ उसने में तुझे छू भी तो नहीं सकती।

समीर ने अपनी आँखों के आंसूओ को बड़ी मुश्किल से रोको क्यों की उसे पता था की उसके एक आँसू निकलने पर उसकी माँ के ना जानें कितने निकलेंगे।

माँ बोली 'बेटा तू नहीं आ सकता होगा। हम तो आ सकते है, हमें किसी से पूछना नहीं होता, माँ बाप का दिल तू तब समझ पायेगा जब तेरी कोई औलाद होंगी'।

समीर के पिता बोले बेटा में तुझ पर ज्यादा दबाव डाल कर वापस लें जाना नहीं चाहता क्यों की मुझे लगा की शायद इससे भी तुझे कुछ अनुभव होगा। लेकिन कभी भी परेशान मत होना और हमेशा सबकुछ अपने माता पिता से जरूर बताना। और जब जी तब घर आ जाना।

आखिर में समीर ने इन सब से भी सीखा की वो कितना ख़ुशक़िस्मत में की उसके पास ऐसे माता पिता है साथ ही मज़बूरी नहीं है काम करते रहने की. वो जब चाहे वापस घर जा सकता है। अब वो अपनी माता पिता से ज्यादा प्यार करने लगा।

आपको कहानी कैसी लगी comment कर हमें जरूर बताये.


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