Suspense stories in hindi।जुड़वाँ बहनों का राज। Hindi kahani । suspense story। Kahaniyaan।


हम दोनों जुड़वाँ बहनों की शादी एक परिवार में हुई। लेकिन मेरा बेटा मेरी बहन के पति जैसा क्यों दिखने लगा इस राज से जब मेरी माँ ने पर्दा हटाया तो मेरी बहन को... Suspense stories in hindi।

Suspense stories in hindi।जुड़वाँ बहनों का राज। Hindi kahani । suspense story। Kahaniyaan।


यह कहानी 2 जुड़वाँ बहनों की है। उनमें बहुत प्यार था और उनकी इच्छा के अनुरूप उनकी शादी एक ही परिवार में ही हो गई। लेकिन उसके बाद क्या हुआ इस कहानी में आपको पढ़ने मिलेगा। सस्पेंस से भरी यह कहानी सुनिये जया की जुबानी।


मेरा नाम जया है। मेरी बहन का नाम विजया है। हम दोनों जुड़वाँ है, वो मुझसे 2 मिनट बड़ी है। हम दोनों बहनो में बड़ा प्यार है। हम दोनों नें सोचा था कीं हमारी शादी एक ही घर में हो और एक साथ हो, और नसीब से ऐसा ही हुआ।


हम दोनों कीं शादी एक ही परिवार में हुई. रवि मेरे पति है और राहुल मेरी बहन विजया के। रवि और राहुल दोनों चचेरे भाई है, पर परिवार एक ही साथ रहता है।


पास के घर में ही विजया रहती है, हमारे मिलने में अब कोई प्रॉब्लम नहीं थी। राहुल और रवि हमारे पतियों में भी अच्छी बॉन्डिंग है। घर सिर्फ दीवारों से अलग है,ऐसे हम कहीं भी खाना खाते थे और कहीं भी रहते थे।


हम दोनों बहनों को भी यह अच्छा लगा कीं चलो कोई बंदिश नहीं है। हमें ऐसा लग रहा था की जैसे हमारा सपना सच हो गया है।


शादी के पहले मेरे घरवालों को रिश्तेदारों ने थोड़ा बोला था की दोनों बहनों को एक ही घर में मत भेजो आपस का प्यार ख़त्म हो जायेगा, लेकिन मेरी माँ को हम पर और हमें भी खुद पर भी।


हमारे साथ एक के बाद एक सयोंग होते जा रहें थे।शादी के साथ होने के साथ अब हम दोनों एक साथ ही प्रेग्नेंट भी हो गई। लेकिन सच बताऊ तो यह हमने नहीं सोचा था, यह बस हो गया।


हम दोनों को डेलिवरी डेट भी एक ही दी है. ससुराल और मेरे घर में सभी खुश थे। हम दोनों बहनें एक साथ ही अपने घर गई। और एक और संयोग हुआ कीं हम एक साथ ही अस्पताल भी गये डिलेवरी के लिये।


मेरी डेलिवरी में कुछ प्रॉब्लम होने कीं वजह से ऑपरेशन जरुरी हो गया। कुछ समय के लिये तो होश में रही लेकिन बाद में मुझे याद नहीं।

आंख खुली तो पता चला कीं मुझे लड़का हुआ है। फिर मैंने पूछा विजया का तो पता चला उसे लड़की हुई है,उन दोनों का समय भी एक ही था। हम दोनों बहने खुश थी और कुछ समय बाद ही अपने ससुराल वापस आ गई।

अब हम माँ बन गये थे तो ज्यादातर एक दूसरे के साथ अपने बच्चों को सँभालते थे। बच्चे जल्दी ही बड़े हो जाते है। छोटे बच्चे किस पर गये है यह पहले समझ नहीं आता है। थोड़े बड़े होने पर ही पता चलता है।


करीब 5 का होते होते जैसे जैसे मेरा बेटा बड़ा हो रहा था वो ना मुझ पर ना अपने पिता रवि जैसा था।बल्कि वो तो मेरी बहन के पति राहुल जैसा लगने लगा था। पहले मुझे लगा कीं यह मुझे ही लग रहा है।


लेकिन ऐसा बाहर वाले भी कहने लगे थे वो मेरे साथ जाता तब जो मिलता यही कहता यह राहुल का है, फिर में मना करती नहीं यह मेरा और रवि का है।


विजया कीं लड़की बिलकुल विजया कीं तरह ही दिखती थी, लेकिन मेरा बच्चा उसके पति जैसा क्यों लगने लगा यह बात मुझे समझ नहीं आयी ।


मेरे पति को एक बार मैंने ऐसे ही उनसे मज़ाक में कहां कीं यह तो राहुल जैसा लगने लगा, वो गुस्सा हो गये कहने लगे पागल हो ऐसे कुछ भी मत बोला करो। मेरी मज़ाक में कहीं बात पर वो इस तरह गुस्सा हो जायेंगे मुझे पता नहीं था।


लेकिन ऐसा वो पहली बार ही हुऐ है, अब मेरे मन में कई सवाल मंडराने लगे कीं मेरे साथ हो क्या रहा है. मेरी बहन और बाकि सभी को मैंने कुछ नहीं कहां, लेकिन क्या सब को दिखाई नहीं पड़ रहा था. लेकिन कोई भी इस बारे में ज़िक्र भी नहीं करता था।


कुछ महीने ऐसे ही ओर चलें गयें .लेकिन मेरे दिमाक में यह सब चलता ही रहा। फिर मैंने सोचा कीं में अपनी बहन से बात करू मैंने उससे डायरेक्ट नहीं पूछा।

क्यों कीं हो सकता है वो गलत तरीके से लें लें और में नहीं चाहती थी कीं मेरी वजह से उसके और राहुल में कुछ तनाव पैदा हो।


मैंने ऐसे ही उससे ही मज़ाक में ही कहां कीं यह तो धीरे धीरे अपने चाचा जैसा लगने लगा और लगेगा भी एक ही परिवार के तो है, वो थोड़ा सा मुस्कुराई. बस अब मैंने पकड़ लिया क्यों कीं में अपने बहन को बचपन से जानती थी कुछ छिपाने वाली मुस्कान थी।


वो जल्दी से कुछ बहाना करके वहाँ से चली गई. इस घर में ऐसी कोई बात है जो मुझसे छिपायी जा रही है।में अब शक भी करने लगी सब पर अपने पति पर,बहन पर,उसके पति राहुल पर।

में कुछ बहाना करके बिना बताये अपने घर मायके गई. विजया को नहीं बताया। मेरी माँ से जाकर मैंने कहां कीं मुझे पता नहीं क्या हो रहा है में पागल हो गई हूं कुछ भी उल्टा सीधा सोच रही हूं, थोड़े दिन यहाँ रहती हूं. शायद दिमाक शांत हो जाये।


में थोड़े दिन वहाँ रुकना चाहती थी लेकिन 2 दिन में ही वापस आ गई, जवाब के साथ. इस दौरान भी मेरी बहन का फोन आता रहा माँ के पास, शायद कहा रही होंगी कीं जया को कुछ बता मत देना।


लेकिन मेरी माँ नें मुझे बता दिया, उन्होंने कहां कीं शायद अब समय आ गया है कीं तू जान लें नहीं तो तू कुछ उल्टा सीधा सोचने लगेगी।


में अपने ससुराल गई. मेरे पति जाते ही बोले कीं यह क्या तरीका है ऐसे भी कोई बिना बताये जाता है। मैंने उनसे कहां चलो, उन्हें में विजया के यहाँ लें गई.उसका पति राहुल भी वही था।


मुझे और रवि को देखकर थोड़े आश्चर्य हुआ उनको. विजया बोलती है।'आ जाया क्या लाई माँ के यहाँ से बिना बताये चली गई। मैंने बोला तुने भी छिपाया कीं तेरे गर्भ में जुड़वाँ बच्चे थे।


वो सुनकर मेरी ओर देखने लगी. मैंने जाकर उसे गले लगा लिया। यह मेरी बहन है जिसने अपना एक बच्चा मेरी गोद में दे दिया।

वो बोली कीं मैंने सभी को मना किया था क्यों कीं में तुझे सरप्राइज देना चाहती थी लेकिन। तेरे समय में कुछ कॉम्प्लिकेशन कीं वजह से तेरा बच्चा बचा नहीं औऱ में नहीं चाहती थी कीं, मेरी बहन आँख खोले तो उसे यह सुनना पड़े, उसकी गोद सुनी हो।


औऱ वैसे भी यह मेरे पास रहें या तेरे पास क्या फर्क पड़ता है. मेरी बहना को गले लग कर में बहुत रोयी. उसकी जगह में होती तो शायद नहीं कर पाती लेकिन उसका दिल तो बहुत बड़ा निकला।


साथ ही उसके पति राहुल का। मेरे पति भी मुझे खुश देखना चाहते थे इसलिये वो भी चूप रहें. ऐसा परिवार औऱ बहन मिल जाये तो औऱ क्या चाहिये। उसके किये अहसान को मैंने अपने पास ही रखा उसे बहुत प्यार देने कीं कोशिश करती हूं।



आपको कहानी कैसी लगी हमें comment कर जरूर बताये इसी तरह की अच्छी कहानियाँ आप यहाँ पढ़ सकते है।


यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। इसका उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। इसका किसी से भी मेल खाना मात्र सयोंग मात्र है।

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