शादी के लिये मना तो..। हिन्दी कहानी। Hindi kahani। Manoranjak kahaniya। Hindi story ।।


सुहागरात पर ही अशोक ने रश्मि को कहाँ की में तुम्हे एक नौकरानी बना कर रखूँगा पढ़ी लिखी नौकरानी. रश्मि को उस ना की सजा मिल रही थी। Hindi story।

शादी के लिये मना तो..। हिन्दी कहानी। Hindi kahani। Manoranjak kahaniya। Hindi story ।

रश्मि एक मिडिल क्लास फैमिली से है। रश्मि घर में सबसे बड़ी है और वो 3 भाई बहन है. भाई सबसे छोटा है।रश्मि पढ़ने में अच्छी थी, घरवाले इतने सक्षम ना होने के बावजूद भी रश्मि ने कोचिंग लेकर अपनी एमएससी कीं पढ़ाई जारी रखी है।

सभी रिश्तेदारों नें रश्मि और घरवालों को टोका था, कीं ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की हो तो भी हमारी कास्ट में शादी में प्रॉब्लम होती है। इसलिये लड़की को ज्यादा पढ़ाओ मत। हम मिडिल क्लास फैमिली में ऐसा ही होता है सब कुछ शादी के लिये ही होता। हर लड़की कीं तरह रश्मि की भी यही ख़्वाहिस है कीं उसे ऐसा पति मिलें जो उसे समझें।

समाज और रिश्तेदार के वजह से अब रश्मि के घरवाले भी उसकी शादी की जल्दी करने लगे। शादी के लिये कई रिश्ते भी आये, लेकिन शादी के लिये जब कुंडली मिलाई गई तभी घरवालों को पता चला की रश्मि की कुंडली में कुछ दोष है, जिसके कारण कहीं भी बात नहीं बन पा रही थी।

बस इस बात से रिश्तेदारों को ओर बाते बनाने का मौका मिल गया था। कई रिश्ते केवल इसी वजह से ही नहीं हो पाये। लेकिन कुछ ही समय के बाद रश्मि की कुंडली मिली अशोक से।

अशोक ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था, अशोक की एक कपडे की दुकान थी जिससे उनका गुजारा चल जाता था। जिस तरह का लड़का रश्मि अपने लिये चाहती थी अशोक वैसा तो नहीं था लेकिन अशोक और रश्मि की कुंडली मिल गई थी। 

रश्मि के पिता ने जब रश्मि को अशोक की तस्वीर दिखाई तो रश्मि को लड़का दिखने में अच्छा ही लग रहा था लेकिन रश्मि का मन नहीं मान रहा था।

इसलिये पिता नें जब 'पूछा कीं क्या करें बता'  तो रश्मि ने कहाँ कीं 'मुझे नहीं करना'। मम्मी नें कहां 'क्यों क्या हुआ तेरा दिमाक सही है क्या, इतना अच्छा लड़का है। ऐसे नखरे करेंगी तो हमेशा यही बैठी रहेगी. एक तो कुंडली किसी से मिलती नहीं और जब वो शादी के लिये तैयार है सब कुछ अच्छा है तो तुझे नाटक आ रहे है, क्या खराबी है लड़के में'।

माँ यह सब रश्मि को सुना ही रही थी, लेकिन रश्मि के पिता नें बात समझी और कहां ठीक है 'बेटा और ढूढ़ते है'। जब अशोक के घरवालों कीं तरफ से फोन आया यह पूछने के लिये कीं हम आ जाये घर और परिवार देखने तो रश्मि के घरवालों नें कहां, हम आपको बता देंगे.

इस बात से वो भी समझ गये थे की, उनकी तरफ से हाँ नहीं है। इसलिये उन्होंने फिर दूसरी बार फोन नहीं लगाया।

उस ना के बाद रश्मि के लिये फिर से रिश्तों की तलाश शुरू हो गई। माँ थोड़ी नाराज थी क्यों की उन्हें लगता था की रश्मि को उस लड़के के लिये मना नहीं करना था।

करीब 6 महीने तक खोज के बाद भी रश्मि के लिये कोई भी रिश्ता नहीं मिला. अब पिता के चेहरे पर भी परेशानी थोड़ी ज्यादा दिखने लगी थी. और यह बात रश्मि को साफ दिखाई दे रही थी.कई रिश्ते देखें लेकिन फिर वही दोष आड़े आ रहा था. मम्मी इस दौरान रश्मि ताने मार ही रही थी।

आखिर एक दिन रश्मि की माँ ने यह कहाँ की 'अब भी हम लोग अशोक से बात कर के देखते है शायद तुम दोनों की जोड़ी ही बनना तय हुआ हो. अगर तू हाँ कहे तो'। मम्मी के ताने और पापा की परेशानी को देखते हुऐ रश्मि ने इस बार हाँ कह दिया.माँ के कहने पर पिता नें अशोक के पिता को फोन किया। पता चला वो भी अभी तक तलाश में ही थे।

कुछ बाते हुई, थोड़े बहाने बनाये गये इतने दिनों तक बात ना करने के लिये, और सन्डे को मिलना तय हुआ रश्मि के घर पर। अशोक अपनी फैमली के साथ आया। दोनों परिवार कीं मज़बूरी समझो या नसीब आखिरकार दोनों कीं शादी पक्की हो गई.

रश्मि ने भी सोचा क्या पता शायद वो ही उनके बारे में गलत सोचती होंगी वो मुझे समझेंगे और जो में चाहती हो वो करने दे. दोनों परिवार वालों को जल्दी थी इसलियें,
शादी जल्दी में ही हो गई। लेकिन रश्मि ने एक बात नोटिस की अशोक ने उससे अभी तक कुछ बात भी नहीं कीं। जब देखने आये तब भी नहीं कीं और ना ही रिश्ता पक्का होने के बाद, ना ही फोन पर बाते कीं। इसलिये अब सीधा उनकी बाते सुहागरात पर होना थी।

वो घड़ी भी आ गई, यह थोड़ा बहुत अजीब था की, वो ना सिर्फ पहली बार अपने पति को देखने वाली थी बल्कि उससे बात भी करने वाली थी। लेकिन उसने सोचा की इस बात का भी एक अलग ही रोमांच है.

रश्मि ने फेरो के साथ ही अशोक को अपना लिया था. अब सेज़ पर उनका इंतज़ार कर रही थी. धड़कने तेज़ थी. जिनको अपना मान लिया है उनकी शक्ल भी अच्छे से नहीं देखी है। फिर अशोक कमरे में आया. दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर आकर रश्मि के पास बैठ गया। और सबसे पहली बात जो अशोक ने पूछी वो थी।

"मुझे पता चला था कीं तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहती थी क्यों कीं में पढ़ा लिखा नहीं हूं" उसकी आवाज में थोड़ा गुस्सा था। फिर वो बोला 'देख अब तुझे यह अनपढ़ के पास ही आना पड़ा ना'

रश्मि को यकीन नहीं हुआ कीं वो उनके मुँह से पहली बाते यह सुनेगी। उसने बोला 'किसने बोला आपको, ऐसा कुछ नहीं है ऐसा कुछ होता तो में शादी ही नहीं करती'  अशोक और गुस्सा हो गया. 'अरे चुप कर वो तो तेरी शादी हो नहीं रही थी इसलिये तू मेरे पास आयी है, तुझे पता है मैंने क्यों कीं,तुझे सबक सिखाने के लिये अब देखना तुझे कैसे में एक नौकरानी बना कर इस घर ‌में रखूँगा. एक पढ़ी लिखी नौकरानी और सुहागरात तो दूर कीं बात में तुझे छुऊँगा भी नहीं'।

किसी भी लड़की के लिये पहली रात अपने पति से सुनना बहुत ज्यादा परेशान करने वाली बात होगी और रश्मि को इस बात ने बहुत परेशान किया। एक मिनट में उसे लगा की क्या उसने कोई गलती कर दी शादी करके उसकी आँखों से आँसू झरने लगे। सारी रात उसने बिना सोये निकाल दी।

अगले दिन वो घर के काम में लग गई। सांस ससुर का स्वभाव अच्छा ही था.काम करते करते उसके दिमाग़ में उनकी कहीं बाते ही चल रही थी.

रात फिर अशोक कमरे में आया। रश्मि  कुछ काम कर रही थी। अशोक फोन पर अपने दोस्त से बात कर रह था, कह रहा था कीं में इसका घमंड ठिकाने पर लगा दूंगा. और भी ना जानें क्या क्या. रश्मि के तो शादी और पति के अरमान पर जैसे पानी फिर गया।

रश्मि का जी तो चाहा की वो अभी घर चली जाये लेकिन फिर उसे अपने घरवालों की परेशानी का ख्याल आया फिर कुछ देर चूप रहने के बाद उसने सोचा वो जो चाहे करें उन्हें करने देती हूं लेकिन में अपना काम करती हूं. तब से वो सिर्फ अपना काम करने लगी क्यों की उसके पास कुछ और चारा भी नहीं था। कहीं ना कहीं वो यह समझ गई थी की अशोक उसे दुखी करना चाहता है।

अगर वो उसका उल्टा करेंगी तो ऐसा दिखाइगी की उनकी इन बातो से उसे कुछ फरक नहीं पड़ रहा तो शायद अशोक का यह खेल बंद हो जाये। आखिर पढ़ा लिखा होने से कुछ तो फर्क पड़ता है रश्मि ने  जीवन की इस सबसे बड़ी चुनौती को भी स्वीकार किया उसने घुटने नहीं टेके। उसने सोचा की रोना नहीं है बातों को ठीक करना है जब तक उसके हाथ में, उसने यही किया।

वो बेवजह खुश रहने लगी। अपनी सांस ससुर को अच्छे से बना के खिलाने के साथ उनके साथ मंदिर, मार्केट जानें लगी। चेहरे पर कोई परेशानी नहीं. अशोक यह सब देख रहा था। वो भी अपनी कोशिशो में लगा था।

 करीब 20 दिन बाद ही उसके चेहरे का रंग उड़ने लगा उसे लगा कीं रश्मि को तो कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है। तो वो इसी बात से दुखी होने लगा। इस दौरान उसके दोस्तों से बाते शेयर करना जारी था।

रश्मि का यह प्लान काम किया अशोक के सब्र का बाँध टूट गया और फिर एक रात जब रश्मि कमरे में गई तब अशोक ने दरवाजा बंद किया और जबरजस्ती उसे पकड़ कर बिस्तर कीं ओर लें जानें लगा।

लेकिन इस बार उसे रश्मि का वो रूप दिखाई दिया जो उसने सोचा भी नहीं होगा

रश्मि ने अपना हाथ जोर से झटका मार के छुड़ाया. कहां कीं
'क्या कर रहें हो आप'।

अशोक जैसे घबारा सा गया।

'उस दिन सुहागरात पर आप कह रहें थे कीं आप मुझे छुओगे भी नहीं, तो लगता है आज आपके उन आवारा दोस्त नें फिर आपको कुछ सिखाया है जो आप मेरे साथ जबरजस्ती यह हरकत कर रहें है'।

अशोक बोला में 'तुम्हारा पति हूं'।

रश्मि ने कहां कीं 'हाँ आप पति है और मुझसे प्यार कर सकते है लेकिन यह प्यार नहीं है यह कुछ और है, में तो आपके लिये ही आई थी सबकुछ छोड़ कर आपके घर आपके साथ रहने,लेकिन आपनें आते ही मुझे नौकरानी बना दिया, सबक सिखाने की बात करने लगे। अब आप मुझे तब तक नहीं छू सकते जब तक में नहीं चाहती और जब तक मुझे नहीं लगता कीं आप मुझसे सच में प्यार करते है'।

उसी पल से रश्मि ने अशोक की आँखों में बदलाव देख लिया था. उसे पता था की अशोक का गुस्सा  उस ग़लतफहमी कीं वजह से है की, उस ना की वजह से लेकिन उस बात से आगे बड़ना होगा. अशोक बुरा इंसान नहीं था उस रात के बाद वो रश्मि से नजरें भी नहीं मिला पा रहा था। चुप चाप रहने लगा था।

समय बीतता गया. शादी को 5 महीने हो गये थे रश्मि अब अशोक को परख रही थी और इस दौरान उसे समझ आ गया था, की अशोक कैसा है।एक ही घर में रह कर अपने ही पति के साथ ऐसा रहना अब उसे भी चुभने लगा.
एक रात उसने कह ही दिया 'छोड़ो सब पुरानी बाते चलों ना एक नयी शुरुवात करते है मुझसे जो गलती हुई आप माफ़ कर दो'।

अशोक चूप रहा कुछ नहीं बोला आखिर रश्मि ने इतने दिनों तक उसे दूर रखा.

रश्मि ने फिर एक बोला इस बार थोड़ा ज्यादा प्यार से
'अरे छोड़ा इधर एक बार देख तो लों जो हुआ सो हुआ'।
इस बार अशोक पिघला मुड़ा और रश्मि की आँखों में देख कर जैसे उसका गुस्सा पता नहीं कहाँ गया 
बोला 'तुम मुझे माफ़ कर पाओगी. रश्मि ने बोला हां मैंने कर दिया'।

एक दूसरे से बात करने की ही देर थी। उस रात से उनकी नयी शुरुवात हुई। दोनों को लगने लगा की वो एक दूसरे के लिये बने है।


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