Suspense story ।। राजमहल का सच ।। Hindi Suspense kahani ।।


उस राजमहल में ऐसा क्या था की राजा के नवजात पुत्र केवल कुछ ही समय के लिये जीवित रहते थे. रानी को जब सच का पता चला तो उसने.. Hindi Suspense story.



Suspense story ।। राजमहल का सच ।। Hindi Suspense kahani ।।


राजा किशनराज एक बहुत बड़े सम्राज्य के राजा थे उनके उन्होंने अपना राज्य बड़ी कुशलता पूर्वक चलाया. लेकिन शायद होनी को कुछ ओर ही स्वीकार था

राजा किशनराज का निधन आकस्मिक हो गया. तो उनके एक लौते पुत्र सभ्यराज को उनकी गद्दी दी गई. नौजवान राजा आखिर था तो किशन राज का ही पुत्र, वो भी अपने पिता की तरह बहुत ही प्रतिभाशाली था.

उसने कुछ ही समय में राज्य कीं सारी बागडोर अच्छे से संभाल ली.राजा कीं माँ यानि किशनराज कीं पत्नी पहलें ही स्वर्ग सिधार चुकी थी. राजा अपने पिता की एक लौती संतान था. और अब उनके माता और पिता दोनों ही नहीं थे.

समय समय पर राजा का राज्य के सबसे पुराने ओर वफादार मंत्री काशीराम मार्गदर्शन किया करते थे.और राजा अपने राज्य के सबसे पुराने मंत्री काशीराम को ही सब कुछ मानता था.

एक दिन काशीराम ने राजा को अब विवाह करने कीं सलाह दी.राजा को उन्होंने पास के राज्य कीं राजकुमारी प्रेरणा के बारे में बताया. कहां कीं प्रेरणा बहुत ही गुणवती और संस्कारी है साथ ही समझदार भी आपके साथ इस राज्य को चलाने में भी आपको बहुत सहयोग करेंगी.

राजा ने पहले कुछ समय तक मना किया लेकिन लड़की और उनके परिवार के बारे में सुनकर राजा ने उनकी बात मान ली.

राजकुमारी और उनके परिवार वाले पहले ही राजा से बहुत प्रभावित थे इसलिये वो विवाह के लिये तैयार थे आखिरी ऐसे राजा से शादी कौन नहीं करना चाहेगा.

बड़ी धूम धाम के साथ राजा कीं शादी हो गई शादी के बाद प्रेरणा इस राज्य में आ गई.राजा प्रेरणा कीं सुंदरता के साथ उनकी समझदारी का भी बहुत बड़ा प्रसंशक बन गया. ऐसी कई बातें थी जो राजा बल से नहीं हल कर सकता उसे प्रेरणा अपनी सूझबूझ से सुलझा देती थी

राजा और रानी दोनों ही एक दूसरे को पा कर बहुत ही खुश थे. उन दोनों में प्रेम प्रगाड़ था. ठीक 1 साल बाद रानी प्रेरणा गर्भवती हो गई. राजा और रानी दोनों अपनी पहली संतान के लिये बहुत खुश थे.

भगवान का बहुत धन्यवाद दे रहें थे राजा ने योजना बनाई थी कीं उनकी संतान होने पर वो पुरे राज्य को निमत्रण देंगे. आखिरी कार वो दिन आ ही गया और रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया. राजा और रानी कीं प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहा

लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक पायी, नवजात पुत्र कुछ ही घंटो में मर गया. राजा और रानी के साथ मंत्री गण और सेवक सभी बहुत दुखी हो गये काशीराम ने राजा को हौसला दिया और कहां कीं भगवान कीं मर्जी के आगे किसकी चली, आप खुद को संभाले और रानी को भी हौसला दे.

राजा ने रानी को हौसला दिया साथ ही खुद को भी वो समय भी निकल गया, राजा और रानी उस दुख से उभरने लगे. उन्होंने इस सत्य को स्वीकार किया और अपने आने वाले जीवन के लिये फिर से योजनाए बनाने लगे.

कुछ समय बाद फिर रानी गर्भवती हो गई इस बार राजा और रानी कुछ ज्यादा सतर्क थे समय समय पर दाई और वैध से परामर्श लिया गया ताकि पिछली बार जैसा फिर कुछ ना हो. समय आने पर फिर रानी ने फिर एक पुत्र को जन्म दिया.

लेकिन इस बार भी वो पुत्र कुछ घंटो का ही मेहमान था. राजा,रानी को लगा कीं ऊपर वाला उनके साथ ऐसा क्यों कर रहा है अब यह बात सोचने योग्य हो गई थी राजा नें अब दूसरे तरह के उपाय करना शुरू कर दिये.

सब कुछ होते हुऐ भी राजा के राजमहल में एक अगल खालीपन था. विरोधी राजा और शत्रुओ ने राजा कीं इस अवस्था का लाभ उठा कर, राज्य पर हमले करना शुरू कर दिये. अपने निजी जीवन में इस परेशानी का प्रभाव कई बातों पर पड़ा, राजा अपना कुछ राज्य हार गया.

राज्य कीं जनता का भी राजा पर से विश्वास कम होता जा रहा था. बातें थी कीं जो अपनी संतान नहीं बचा पा रहा है, लगता नहीं वो राज्य को बचा पायेगा

इन सारी समस्याओ के बीच रानी प्रेरणा अपने प्रयासों में लगी हुई थी वो राज्य में ऐसे ही जा जा कर राज्य के वासियो से मिलने लगी. रानी क्या कर रही है यह किसी को पता नहीं था

फिर करीब 6 महीने बाद वो राजा को बोली कीं अब हमारी संतान कीं मृत्यु नहीं होंगी लेकिन उसके लिये आपको मेरी बात मानना पड़ेगी राजा पहले ही जानता था कीं रानी बुद्धिमान है. और कहना मानना हमेशा ही उनके लिये अच्छा रहा है इसलिये राजा झट से हां बोलते हुऐ बोला कीं हां आप जो बोले जैसा बोले वैसा ही होगा. बताइये रानी बोली

आज रात के बाद में अज्ञात जगह चली जाउंगी और संतान प्राप्ति के बाद में उचित समय पर वापस आ जाउंगी आप मुझे ढ़ूढ़ने का प्रयास मत कीजियेगा . राजा बोला अज्ञात यह आप क्या कर रही है आप रानी होकर ऐसी बातें कर रही है आप कहां रहेगी.

रानी बोली कीं अगर आपको हमारी संतान चाहिये तो आपको मेरी बात माननी पड़ेगी. राजा कुछ ना कह सका फिर रात में राजा जानता था कीं वो अपनी रानी से अब पता नहीं कब मिल पायेगा.

रात्रि के बाद सुबह जब राजा नींद से जागा तब रानी जा चुकी थी. काशीराम के द्वारा पूछे जानें पर राजा ने कहां कीं प्रार्थना करें हम अपने इस प्रयास में सफल हो जाये. राजा को भरोसा था कीं रानी जहाँ भी होंगी वो इतनी बुद्धिमान और समझदार है कीं परिस्थियों का सामना कर सकती है

साथ ही उसे उसे यह भी विश्वास था कीं रानी जो बोल के गई है वैसा ही होगा. उनकी संतान इस बार जीवित रहेगी इसलिए राजा अब अपने विरोधियो से निपटनें लगा. वो अब विश्वास से भरा था. जिसके कारण उसे इसके अच्छे परिणाम मिल रहें रहे थे.

फिर एक दिन अचानक लगभग 10 माह बाद ही एक सुबह रानी गोदी में बच्चा लिये आई, पुत्र था करीब एक माह का . राजा कीं ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा राज्य भी उसने सभी को निमत्रण भिजवा दिया गया.राजा नें रानी को धन्यवाद दिया कहां यह आपनें कैसे किया और हमसे क्या गलती हो रही थी .

रानी बोली उचित समय पर आपको बता दूंगी.राजा अपने महल में नये मेहमान नन्हे राजकुमार के साथ बहुत खुशी ख़ुशी जीवन व्यापन करने लगा. साथ ही राजा के राज्य का विस्तार होने लगा.

लेकिन पुत्र के आने के बाद रानी में बहुत सारे बदलाव हुऐ रानी अब पहले जैसी नहीं रही थी ऐसा सोचना राजा का था रानी राजा को अपने समीप भी नहीं आने देती थी.
कुछ ना कुछ कारण बता कर टाल देती थी

राजा के द्वारा पूछे जानें पर रानी कहती की आप ने कहाँ था जो में कहूँगी आप मानेंगे. यह भी हमारे पुत्र के जीवन लिये आवश्यक है.

राजा का पुत्र अब 2  साल का हो गया. रानी का समीप ना आने का प्रतिबन्ध अभी भी राजा के लिये वैसा का वैसा ही था.

इतने समय के प्रतिबन्ध के चलते अब राजा के मन में कई विचार घर बनाने लगे. फिर एक दिन राजा को इस विचार नें पकड़ लिया कीं शायद यह पुत्र उसका नहीं है. कमी शायद उसी में थी.रानी को यह पता चल गया. इसलिये रानी अब उसे अपने पास नहीं आने देती.

अब उसे यह विचार हमेशा सताने लगा. अब हर बात और हॅसने में वो अपने को अपमानित मान रहा था. राजा नें एक दिन रानी को पूछा कीं आप नें कहां था कीं यह बच्चा कैसे जीवत रहा आप बतायेगी. रानी फिर बोली महाराज उचित समय आने दीजिये

राजा क्रोध में आ गया, बोला में कई दिनों आपके व्यहार को देख रहा हूं आप कुछ बहुत ही बड़ी बात छिपा रही है. यह बच्चा किसका है आप हमें सच बता दीजिये हम आपको क्षमा कर देंगे.रानी को राजा के इस तरह के बर्ताव से अचरच हुआ

उन्होंने बोला यह बच्चा हमारा है आप कैसी बाते कर रहें. राजा बोला कीं अगर आपनें झूठ बोला यां हमसे कुछ छिपाया,जो हमें कहीं ओर से पता चला तो आपको और बच्चे को दोनों को दंड मिलेगा.

रानी यह सुन क्रोध में आ गई औऱ बोला महाराज आप किस तरह कीं बात कर रहें बात अगर मेरी होती तो में चुप रहती लेकिन. आपनें मेरे बच्चे के लिये बोला है,और में यह बात सहन नहीं कर सकती सच सुनने कीं हिम्मत है तो सुनें.

तब रानी ने एक ऐसे सच से राजा को अवगत कराया जो वो नहीं जानता था. रानी ने कहाँ की.. 

मैंने इस पुरे राज्य में करीब 6 माह तक भ्रमण किया और जगह जगह जाकर पुराने लोगों कीं बाते सुनी. आपके राज्य कीं सीमा पर जंगल में एक समूह रहता है. उनके कुल देवता में उनकी अटूट आस्था है औऱ उनमें शक्ति भी है,साथ ही समूह का एक प्रधान है जो पुरे समूह का ध्यान रखता है.

उनकी वाणी मतलब उनके देवता कीं वाणी. जब आप एक वर्ष के थे तब आपके पिताजी और माता के साथ एक दिन यात्रा पर गये. बग्गी से यात्रा करते समय उस समूह कीं एक महिला जो गर्भवती थी बग्गी से टकरा कर मृत्यु को प्राप्त हो गई.

जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें प्रधान नें श्राप दिया कीं अब से उनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा. इसी वजह से आप भी अपने पिता के एक अकेली संतान है. और इसी कारण हमारी संतान नहीं बच पा रही थी

आपके यहाँ से जानें के बाद में वहाँ उन लोगों के साथ रही शुरू में उन लोगों को मुझ पर क्रोध था लेकिन फिर वो मेरी आस्था देखकर पिघलने लगे मैंने देवता से प्रार्थना,याचना कीं

लेकिन एक बार तीर कमान से निकल गया तो वापस नहीं आता. हमारी संतान फिर पैदा होते ही चली गई. फिर राजा पूछता है तो यह बच्चा किसका है.

मेरे समय के साथ ही वहाँ एक और स्त्री भी गर्भवती थी उनकी संतान भी उसी समय हुई हमारी संतान के, फिर चले जानें में उनके देवता के आगे संतान को लेकर जोर जोर से रोने लगी.

तभी वो सारे समूह वासी इस बच्चे मुझे देने आ गये और मेरे आगे घुटने टेक कर मुझे समर्पित कर दिया.उनकी आँखों में मेरे लिये प्यार था दया थी और हाथ में बच्चा था. बस मुझे लगा कीं अब हमें छमा मिल गई.

नवजात को में कुछ दिन वहाँ रहने के बाद लें आई. आप अपना बच्चा ना होने से कितने दुखी थे उन लोगों कीं दया औऱ महानता देखो एक राजा को उन्होंने अपना बच्चा दे दिया वो भी उस राजा को पुत्र को जिसने उन्हें चोट पहुंचाई थी.

मुझे लगा कीं इस बच्चे को जीवन भर अपार स्नेह देना ही हमारा प्रायश्चित है.राजा यह सब सुनकर कुछ बोलने लायक नहीं रहा खुद को कोसने लगा

बोला में तो आपके छमा के लायक भी नहीं हूं अपने परिवार कीं इस श्राप का पता मुझे नहीं लगा और आपनें इतनी तपस्या कीं,

मैंने आपसे विवाह करके आपके साथ अच्छा नहीं किया मुझे छमा करें. रानी ने कहाँ की शायद मेरे द्वारा ही इसका पता लगाया जा सकता था भगवान मुझे आपके पास लें आये.

फिर राजा भी रानी के साथ वहाँ उन सभी से भेट करने औऱ छमा मागने गया. औऱ उनकी दया को स्वीकार करते हुऐ उस बच्चे को बहुत स्नेह करने लगा.

आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताये. ऐसी ही अच्छी कहानी के लिये हमारे साथ बने रहें.

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है. इसका उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है. इस में उपस्थित घटनाये और बातें सब काल्पनिक है. इसे केवल मनोरंजन की तरह लिया जाये. पाठक अपने विवेक का उपयोग करें. केवल मनोरंजक की तरह लें. इसे गंभीरता से ना लिया जाये.

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