पत्नी या नौकरानी || आखिर मेरे पति ऐसा क्यों कर रहें थे | Motivational story || Hindi Moral Story|| Hindi Kahani ||Kahaniyaan ||


शायद ही कोई ऐसा पति होगा जिसने 1 महीने तक अपनी पत्नी की शक्ल भी ना देखी हो.में शादी के पहले दिन से अभी तक में अपनी ननंद के साथ सोती हूं| Motivational story | Hindi Moral story||

पत्नी या नौकरानी || आखिर मेरे पति ऐसा क्यों कर रहें थे | Motivational story || Hindi Moral Story|| Hindi Kahani ||Kahaniyaan ||

मेरा नाम अंजली है में एक नये घर में शादी करके आयी हूं. लेकिन इस घर के लिये में क्या हूं मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा है. मेरे पिता बहुत गरीब है औऱ मेरी शादी भी बहुत जल्दी में हो गई करीब 10 दिन पहले मेरी शादी कीं कोई बात भी नहीं थी

औऱ 10 दिन बाद में दुल्हन बन कर एक घर में आ गई. पिताजी के पास एक अंकल आये जो हमारे परिचित थे समाज के उन्होंने कहां कीं बहुत अच्छा पैसे वाला घर है औऱ जल्दी में शादी करना चाहते है| 

ऐसा रिश्ता फिर नहीं मिलेगा बेटी को खाने कीं कोई समस्या नहीं रहेगी. बस इतना तो काफ़ी था मेरे पिता के लिये औऱ हमारी शादी हो गई. मुझे ना लड़का दिखाया. ना ही शायद उन्होंने मुझे देखा होगा. शादी के बाद में ना बहूँ बनी ना ही पत्नी बनी.शादी करके में बड़े घर में आयी थी तो मुझे लगा था कीं मेरी ज़िन्दगी बदल जायेगी.

ज़िन्दगी तो बदली लेकिन दूसरी तरह से यहाँ मुझसे कोई बात करना तो दूर, मेरी शक्ल भी पसंद नहीं करता है. फिर बस मेरे मन में यही सवाल आता रहा कीं क्यों मुझसे शादी कीं. आप को यह जानकार आश्चर्य होगा कीं मुझे यह भी नहीं पता कीं मेरी शादी किस से हुई है. क्यों कीं अभी तक मैंने उनकी शक्ल नहीं देखी.वो घर रहते ही नहीं थे काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे.

में अपने ननंद के कमरे में सोती हूं वो भी एक कोने में निचे. मेरी ननंद भी मुझे अपने कमरे में नहीं रखना चाहती थी लेकिन मेरी सांस नें कहां कीं किचन में नौकरानी सोती है इसलिये मुझे एक कोने में जगह देदी मेरी ननंद मेरे साथ ऐसा व्यहार करती जैसे कीं में कोई नौकरानी हूं. बात बात पर मुझे चिल्लाती कमरे में आते ही कहती वही रह कोने में आगे मत आया कर.

काम करते वक्त औऱ खाते वक्त कुछ कचरा होता तो वो जानबूझ कर जहाँ में सोती वही फेकती. में फिर भी चूप चाप रहती. शादी का मतलब यह होता है मुझे नहीं पता था. औऱ इस तरह कीं शादी से तो में बिना शादी रहती तो ज्यादा अच्छा होता. में सारा दिन बस घर के काम में लगी रहती थी

घर बड़ा था, लेकिन यहाँ लोगों के दिल मुझे छोटे लगे. सुबह से शाम तक काम करना औऱ रात को बिना आवाज करें ननद के कमरे में कोने में सो जाना बस यही मेरी ज़िन्दगी थी. मेरा घरवालों से नहीं लेकिन घर में काम करने वालों नौकरानी से अच्छा रिश्ता बन गया था.

क्यों कीं आखिर कार में भी तो उनमें से एक ही थी. तब एक काम करने वाली नें बताया कीं मेरे पति कीं शादी बड़े घर में तय हो गई थी वो उससे प्यार भी बहुत करते थे लेकिन फिर कुछ विवाद हो गया जिस कारण उन्होंने रिश्ता तोड़ दिया सबकुछ तय हो गया था कार्ड भी बाँट दिये थे.

तो घरवालों औऱ मेरे पति नें जिद में आकर उसी समय औऱ तारिक पर शादी कीं उन्हें बताने के लिये. अब मुझे यह तो पता चल गया था कीं शादी क्यों कीं मुझसे पहले कई लड़कियों को पूछा गया. लेकिन जब कोई तैयार नहीं हुआ था मज़बूरी में हम जैसे गरीब से शादी कीं गई. अपने अहंकार को रखने के लिये.

मैंने कुछ ओर दिन ऐसे ही बिताये. फिर मैंने सोच लिया कीं ऐसे नहीं रहना है. एक बार अपना मुँह तो खोलना ही है शादी कीं है तो में नौकरानी बन कर क्यों रहूँ फिर चाहे अंजाम जो भी हो. चाहे मुझे अपने घर वापस जाना पड़ा. ऐसे उनके आने का कोई समय नहीं होता था. लेकिन बहुत दिनों बाद वो आज घर पर थे. ओर खाना वो अपने कमरे में खाने वाले थे.

में खुद खाना लेकर उनके कमरे में गई. पहली बार था जब में उन्हें इतने पास से देख रही थी. मेरी तरफ देखा ही नहीं ओर उन्होंने कहां कीं खाना टेबल पर रख दो. मैंने खाना टेबल पर रखा ओर उनके सामने रखी कुर्सी पर बैठ गई. वो एक दम से गुस्सा हो गये बोले कौन हो तुम ऐसे यहाँ बैठ गई.

फिर उन्होंने चिल्ला कर अपनी माँ को बुलाया माँ आते ही कहां कौन है कैसे कैसे नौकर आपने रखें है. उनकी माँ देखती ही बोली यह यहाँ क्या कर रही है. मैंने कहां क्यों मेरे पति का कमरा मेरा नहीं है क्या. मेरी सांस कीं आंखे फटी रह गई. उन्हें लगा कीं मेरे मुँह में जबान भी है. मेरे पति कीं बोलती भी बंद हो गई.

मेरे मुँह से यह सुनते ही मेरी सांस वहाँ से चली गई. मेरे पति बोले उस समय जो हुआ हमने किया. जल्दबाजी में शादी करना थी. मैंने बोला शादी का मतलब आपको पता है. उस दिन के बाद आप आज मुझे देख रहें है वो भी में आई तब. ओर आप तो मुझे नौकरानी समझ रहें थे. मुझे किसी समान कीं तरह खरीद के लाये है ऐसा लग रहा है.

आप अमीर होंगे लेकिन दिल आपके पास नहीं है. आपको पता है में कहां सोती हूं. क्या करती हूं मेरे साथ कैसा व्यहार हो रहा है. मुझे आपके बड़े घर में नहीं आपके दिल में रहना था जो कीं शायद हो ना सकेगा इसलिये मै अब जा रही हूं. आपको बताना था इसलिये आज आपसे बात कीं.

इतना कहकर में जानें लगी तब उन्होंने मुझे रोका. कहां कीं में अपनी पिछली लाइफ को अभी भुला नहीं हूं. इसलिये तुम से दूर था उसके लिये मुझे अभी माफ़ करो ओर थोड़ा समय दो में भूल गया था कीं तुम भी इंसान हो मेरी बीवी हो. आज से तुम यही कमरे में सो सकती हो. ओर बहूँ कीं हैसियत से ही रहोगी ना कीं नौकरानी कीं.

उस दिन से मैंने अपने लिये एक नया घर बना लिया था. मेरी समझ आ गया था यहाँ बिना बोले कुछ हासिल नहीं होगा. धीरे धीरे मैंने अपना हक़ लेना शुरू कर दिया. वो घरवाले मुझे बहूँ नहीं मानते थे लेकिन मैंने मनवाना शुरू कर दिया. मुझे यकीन है धीरे धीरे वो भी मुझे पत्नी मानने लगेंगे. शुरुवात तो हो गई है. अब मेरी सांस ओर ननंद भी मुझसे वैसा व्यवहार नहीं करते है.

क्यों कीं शादी सबके सामने हुई है में इस घर कीं बहूँ हूं. गरीब हूं डरपोक नहीं.

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यह कहानी काल्पनिक है किसी से इसका सम्बन्ध होना मात्र संयोग ही समझा जाये.इसका उद्देश्य केवल मनोरंजन और शिक्षा देना है.

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