Hindi kahani|| Suspence story|| पति कीं सच्चाई || Family story|| Hindi Moral story||Hindi Kahaniyaa|| Bed time story ||

शादी कीं पहली रात ही मेरी सांस और ननंद नें मेरे पति के बारे ऐसी बात बताई जिसे सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गये. Hindi Suspence story Family story Hindi Kahaniyaa.

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मेरा नाम ज्योति है. आज में आपको अपनी कहानी सुनाने वाली हूं. आज ही मेरी शादी अमर से हुई है. शादी एक अच्छे बड़े घर में हुई है पैसो कीं कोई कमी नहीं थी.

में और मेरे पिता अपनेआप को बड़े खुशकिश्मत मानते थे कीं हमें ऐसा घर मिला है. सभी रिश्तेदार भी कह रहें थे कीं ज्योति के तो भाग खुल गये किस्मत वाली है.

हम लोग उनके मुकाबले कुछ भी नहीं है. पिताजी के पुराने परिचित होने के वजह से मेरी शादी उस घर में हो गई. शादी के बाद में पहली बार उस घर में गई.

घर में जाते ही मुझे पता चला कीं वो लोग कितने बड़े है. घर बहुत बड़ा था. पहली बार था जब उनका घर मैंने देखा था. सबकुछ बहुत अच्छा था.

सुहागरात का समय आ गया. लेकिन उसके पहले मेरी सांस और ननंद मुझे अकेले में लें गई. मेरे समझ नहीं आया मुझे लगा कुछ बात करना होंगी.

उनके चहेरे उतरे हुऐ और डरे हुऐ थे. जैसे कीं कोई बात वो मुझसे करना चाहते हो. मैंने उन्हें पूछा क्या हुआ आप दोनों इतने डरे हुऐ क्यों हो.

मेरी सांस बोली बेटा हम तुम्हे कुछ बताना चाहते है.लेकिन तुम यह सुनकर हिम्मत रखना. साथ ही मेरी ननंद भी बोली कीं अब हम जो तुम्हे बताने वाले है

वो बात हम तीनो के बीच में ही रखना. यह बड़ा घर है यहाँ बात फ़ैलते ज्यादा समय नहीं लगता और वो बात सबके सामने आ गई तो हमारे घर कीं इज़्ज़त मिट्टी में मिल जायेगी.

अब तुम इस घर कीं बहूँ और तुम्हे इस घर का मान रखना होगा. उनकी बाते सुनकर में सच में थोड़ा डर गई. मुझे समझ नहीं आए रहा था कीं वो लोग क्या बोलना चाह रहें है.

मैंने कहां आप बताये मुझे क्या बात क्या है. मेरी सांस बोली कीं बहूँ मेरा बेटा मर्द नहीं है. उनकी यह बात सुनकर मेरे होश उड़ गये.

उन्होंने कहां कीं में जानती हूं कीं तुम सोच रही होंगी कीं फिर हमने तुम्हे क्यों फसाया लेकिन हमारी भी मज़बूरी है हम यह बात ऐसे बता नहीं सकते थे

वरना सभी को पता चल जायेगी. मेरा बेटा रात में अक्सर बाथरूम में ही रहता है. पता नहीं वहाँ क्या करता जब भी उसे पूछो तो यही कहता है कीं उसका पेट ख़राब है.

कमरे में जानें के पहले अपने पति के लिये यह बाते सुनकर मुझे समझ नहीं आ रहा था कीं में क्या करू. मेरी ननंद कहती है कीं

तुम उससे बात करना थोड़ा समय उसके साथ बिताओ फिर उससे खुल कर बात करो अगर कुछ हो सकता है तो हम जरूर करेंगे. हम तुम्हारे साथ है

तुम्हे अकेला नहीं छोडेंगे. सुहागरात वाली रात यह सब सुनकर में अपने कमरे में जा रही थी. मुझे अब डर लगने लगा था.

में कमरे में यही सब सोच रही थी कीं मेरे पति अमर कमरे में आये. कमरे का दरवाजा बंद किया. और दरवाजे से ही पेट पर हाथ लगाते हुऐ आये बिस्तर पर मेरी तरफ पीठ करके बैठे

और बोले कीं उनका पेट ख़राब. और कुछ ही सेकंड में वो उठकर बाथरूम में चले गये. बिलकुल वैसा ही हुआ जैसा कीं मेरी सांस नें मुझसे कहां था.

पेट ख़राब हो तो थोड़ी देर बाद वो बाथरूम से बाहर आ जाते लेकिन वो करीब 1 घंटे तक बाथरूम में ही रहें. में बाहर चूप चाप अपने बिस्तर पर बैठी रही.

उन्हें मैंने आवाज भी नहीं दी. बस यही सब सोचते सोचते में बिस्तर पर लेट गई. करीब 2 घंटे बाद वो बाथरूम से निकले.

मेरा अब उनसे बात करने का मन ही नहीं था. मुझे लगा कीं मेरे साथ धोका किया गया. वो भी चूप चाप अपने बिस्तर कीं साइड पर जाकर सो गये.

सुबह में अपने आप को खुश किस्मत मान रही थी और रात होते होते अपनी किस्मत को कोसने लगी. सुबह में जल्दी उठी और बाथरूम में गई.

बाथरूम में जैसे ही गई मेरे होश उड़ गये क्यों कीं बाथरूम में एक नयी नाइटी थी. साथ ही मैकअप का समान. यह सब क्या था मुझे समझ नहीं आ रहा था.

एक ऐसे इंसान से मेरी शादी क्यों करवा दी. सुबह मेरी सांस और ननंद नें मुझसे पूछा क्या हुआ बेटी रात में. मैंने कहां वही जो आपने बताया था यह कहकर में रोने लगी.

मेरी ननंद नें कहां माँ में कह रही थी ऐसे किसी लड़की कीं ज़िन्दगी ख़राब मत करो लेकिन तुम सभी नें मेरी बात नहीं मानी. अब यह क्या ऐसे ही घुट घुट कर यहाँ रहेगी.

मेरी सांस बोली कीं बेटा तू जो भी फैसला लेंगी हम तेरे साथ है लेकिन तुझे यह वचन देना होगा कीं यह राज तेरे मुँह से नहीं निकलेगा.

अगली रात फिर वो कमरे में आये. मुझे अब उनकी तरफ देखने का भी मन नहीं हो रहा था. में चूप चाप अपना बिस्तर करके अपनी साइड पर सो गई. क्यों कीं अब बात करने को रखा क्या था.

उन्होंने भी अभी तक कुछ बात नहीं कीं उसकी वजह भी में जानती थी. थोड़ी देर वो बिस्तर पर बैठे रहें और फिर उठकर वो बाथरूम में चले गये. में समझ गई थी कीं वो क्या करने गये है. थोड़ी देर बाद बाथरूम से चीज़े गिरने कीं आवाज आने लगी. कुछ टूटने कीं थोड़ी देर बाद आवाज रुकी और इस बार वो जल्दी ही बाथरूम से बाहर आ गये. आकर बिस्तर पर सो गये.

हमारे बीच कोई बात नहीं हो रही थी. में तो यह सोच रही थी कीं में क्या करू. यही सब सोचते सोचते नींद आ गई. सुबह जल्दी उठी और फिर में बाथरूम में गई. लेकिन इस बार बाथरूम में जब गई तो सब कुछ बिखरा हुआ था. नयी नाइटी को फाड़ दिया था मेकअप का समान बिखरा हुआ था. बाथरूम में कचरे में एक कागज भी था जिस पर लिखा था टू माय बूटीफुल वाइफ.

मेरे मन में अब शक आया कीं यह समान और कपडे कहीं मेरे लिये तो इन्होने नहीं रखें. लेकिन फिर मैंने सोचा कीं मेरी सांस और ननंद मुझसे झूठ क्यों बोलेगी. अभी मैंने उनसे कुछ बात नहीं कीं. सुबह मेरी सांस और ननंद फिर मुझसे सहानुभूति जता रही थी मुझे उनकी बातो से लगा कीं वो चाहती है कीं में अमर को छोड़ कर इस घर से चली जाऊ. मुझे अब मेरी सांस और ननद पर शक हुआ.

मैंने घर कीं पुरानी नौकरानी से बात कीं मैंने बातों बातों उससे पूछा कीं अमर कैसे है. वो बोले कीं वो तो बहुत सीधे है. उनकी माँ और बहन तो चाहती थी कीं उनकी शादी उनके बहन के पति के रिश्तेदार से हो. बहन और माँ तो बहुत कोशिश कीं लेकिन उनके पिता नहीं माने और उनके दोस्त के परिचित यानि आपसे शादी करवा दी. वो दोनों तो आपकी शादी के खिलाफ थे कई दिनों तक घर में विवाद भी होता था

लेकिन तुम्हारे पति अमर नें कहां कीं पापा जो बोले वही करते है. मुझे अब पता चल गया था कीं मेरी सांस और ननंद मुझे क्यों भगाना चाहते थे इसलिये उन्होंने मुझसे झूठ कहां था. उन्होंने शायद अमर को कुछ कहां होगा. रात अब में अमर से बात करने का इंतजार कर रही थी वो कमरे में आये. तो उनका मुँह तो उतरा हुआ था.

यह पहली बार था जब में उनसे बात करने वाली थी. उनके आते ही मैंने कहां. आप मुझसे कुछ बात करना चाहते है. वो बोले अब बात करने को रखा क्या है पापा का विश्वास था कीं वो घर अच्छा है. इसलिये मैंने माँ और बहन कीं ना सुनकर तुमसे शादी कीं और तुमने सच छिपाया. मैंने बोला क्या सच.

सच कीं तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहती थी तुम्हारी ज़िन्दगी में अभी भी कोई और है यह बात तुमने ही तो माँ को बताई थी. घर कीं इज़्ज़त और पापा के कारण में चूप हूं. कुछ कदम नहीं उठा रहा. और मैंने भी देख लिया सुहागरात रात ज़िन्दगी में बहुत स्पेशल होती है लेकिन मेंरे बाथरूम में 2 घंटे रहने पर भी तुम्हे फर्क नहीं पड़ा माँ नें सही कहां था. कीं तुम आवाज़ भी नहीं दोगी बात भी नहीं करोगी.

मैंने बोला बाथरूम में रुकने को उन्होंने कहां था. और वो कपडे और मैकअप. वो मेरी बहन नें रखा था कहां था पहली रात का गिफ्ट है तुम्हारे लिये बाथरूम में रखा था. में उठकर उनके पास गई और उन्हें कहां आपको पता है उन्होंने मुझे क्या कहां. फिर मैंने उन्हें सारी बात समझाई. कहां कीं वो चाहते थे हम दोनों में गलतफहमी हो और हम अलग हो जाये. ताकि वो जो चाहते है वो पूरा हो जाये.

उन्हें गुस्सा आया लेकिन मैंने कहां नहीं अब हम इस बात को यही ख़तम करेंगे और किसी को कुछ नहीं कहेँगे. उस रात मेरी सारी परेशानी और ग़लतफहमी दूर हो गई. वो थी मेरी सही मायने में सुहागरात. अगली सुबह मेरी सांस और ननंद नें मुझसे पूछा कीं मेरा क्या फैसला है में क्या करने वाली हूं. मैंने कहां कीं में आप दोनों को माफ़ करके एक नयी शुरवात करना चाहती हूं.

आप को मुझसे कोई शिकायत नहीं होंगी में एक बहुत अच्छी बहूँ बनकर दिखाउंगी. मेरे चेहरे पर मुस्कान देखकर उनके चेहरे उतर गये. ननंद तो उसी दिन अपने घर चली गई.

आपको यह कहानी कैसी लगी Comment कर हमें जरूर बताये. इसी तरह कीं अच्छी कहानियाँ आप यहाँ पढ़ सकते है.

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