माँ का सच ||जब अतीत आया सामने || Hindi kahani ||Hindi moral story || Emotional story || Suvichar kahani ||Nayi kahani ||


जया कीं माँ का एक अतीत है. उसकी माँ उसे बताना चाहती थी लेकिन उसके पहले ही वो सामने आ जाता है. और फिर एक सच सामने आता है. Hindi Kahaniyaa. Emotional Story.

माँ का सच ||जब अतीत आया सामने || Hindi kahani ||Hindi moral story || Emotional story || Suvichar kahani
||Nayi kahani ||

मेरा नाम सुशीला है. मेरी एक 14 साल कीं लड़की है जया.मैंने अकेले ही उसे पाल कर बड़ा किया है. जया औऱ मेरी एक छोटी सी दुनियाँ है. लेकिन हमारी ज़िन्दगी में ऐसी कई बाते है जो मैंने जया से छिपायी है. जया अपना स्कूल जाती है. औऱ में अपना छोटा सा पार्लर चलाती हूं. ज़िन्दगी हम दोनों कीं आराम से कट रही है.

हमें एक दूसरे के अलावा कभी किसी कीं जरुरत नहीं पड़ी. लेकिन उस दिन के बाद शायद हमारी ज़िन्दगी में फिर कोई आने वाला था. में पार्लर का समान लाने के लिये शहर गई थी जया को साथ नहीं लें गई थी वो घर पर ही थी. ज़िन्दगी में ऐसा होता है कभी कभी अचानक ही हमें कुछ सरप्राइज दे देती है.मेरे सामने अजय था. एक दम अचानक ही आकर वो मेरा सामने आ गया. उसके लिये भी शायद ऐसा ही था.

हम दोनों एक दूसरे को देखकर एकदम चूप हो गये. इतने सालो के बाद मिलें थे लेकिन बात करने को कुछ नहीं था. अजय वो था जिससे में शादी करना चाहती थी. हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन हमारी किस्मत कीं वजह से हम दोनों साथ नहीं रह पाये. अजय इसी शहर में आ गया था. अजय नें कहां कीं उसने बहुत मुझे ढूंढा लेकिन में अपना नंबर बार बार बदल देती थी. इस कारण उसकी मुझसे बात या मिलना नहीं हो पाया था.

अजय आज भी मुझसे प्यार करता है. उसकी आँखों में मुझे दिखाई दे रहा था. वो बोला कीं वो आज भी मुझसे शादी करना चाहता है. मेरी बच्ची को भी अपना लेना चाहता है.लेकिन मैंने उसे कुछ भी जवाब नहीं दिया. में जानें लगी तो वो उसने मुझसे बहुत बोला कीं में अपना नंबर उसे दे दू. औऱ में इस बात के लिये उसे मना नहीं कर पायी.मेरे जीवन में इस तरह वापस आयेगा इस बात का मुझे पता नहीं था.

बस फिर हम लोगों का मिलना शुरू हो गया. इस तरह से मिलते औऱ बाते करते वो मेरे घर भी आने लगा. मैंने सोचा था कीं उसे घर नहीं लाउ. क्यों कीं घर में जया है. में नहीं चाहती थी कीं जया उसे देखें. उसने कई बार मुझसे कहां कीं वो हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बनना चाहता है. लेकिन जया के लिये हर बार में उसे मना करती रही.

फिर एक दिन वो हुआ जिसका मुझे डर था. अजय औऱ में हमारे घर पर थे में भूल गई थी कीं जया उस दिन हाफ टाइम में ही घर आने वाली है. अजय औऱ में अपनी पुरानी बातो में खोये थे में उसके कंधे पर सर रखी हुई थी. उसने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था. हमें इस तरह से कमरे में जया नें देख लिया.

वो मम्मी कहती अंदर आयी थी औऱ एक दम से चूप हो गई. उसका चेहरा ही बदल गया. अजय वहाँ से चला गया. मुझे पता था कीं अब जया क्या सोच रही है. हमेशा खुश औऱ मस्ती करने वाली मेरी बेटी आज चूप थी. मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी कीं उसको जाकर समझाऊ. उसे वो सब बताऊ जो आजतक मैंने उसे नहीं बताया है.

मैंने शाम तक का इंतजार किया. जया बहुत ही अच्छी बच्ची है. उसने खुद आकर मुझसे बात कीं उसने पूछा यह कौन थे. अगर आप मुझसे कुछ बात करना चाहती है तो कर सकती है. जया नें फिर मुझसे पूछा आपने जो आजतक कहां वो मैंने माना है. मुझे लगा कीं आप हमेशा मुझे सच बताती है औऱ मुझसे कुछ छिपाती नहीं है.

में चाहती हूं कीं आप मुझे इस बारे में भी बताये आप अपना फैसला लें सकती है. आप दूसरी शादी करना चाहती है तो कर सकती है. हमारी यह बात चल ही रही थी कीं अजय फिर अचानक ही वहाँ आ गया. उसे देखकर इस बार मैंने कहां कीं तुम फिर क्यों आ गये. अजय नें कहां कीं में नहीं चाहता कीं मेरी गलती कीं वजह से तुम्हारी बच्ची तुम्हे गलत समझें.

इसलिये आज मुझे मत रोको आज एक दम सही समय है कीं जया सबकुछ जान लें. मैंने मना किया कहां कीं नहीं. लेकिन जया के कानो तक सच यह शब्द जा चूका था. मुझे पता था कीं अब वो सच सुनें बिना नहीं रह सकेगी. जया नें कहां बताओ आप क्या बोलना चाहते है. औऱ फिर अजय नें जया को सच बता ही दिया. जया मेरी बेटी नहीं है मेरे भाई कीं बेटी है.

एक दुर्घटना में मेरे भाई औऱ भाभी चल बसें तब जया सिर्फ 9 महीने कीं थी.हमारे माँ बाप पहले ही चल बसें थे औऱ वो दोनों भी. मेरी सारी जमीन बेच कर उसे वहाँ से लेकर में यहाँ दूसरे शहर आ गई. अजय नें कहां यह तुम्हारी बुआ है औऱ हम दोनों कीं शादी होने वाली थी सिर्फ तुम्हारे लिये, कीं तुम्हारा प्यार बाटने कोई और नहीं आ जाये.

इसने मुझसे शादी नहीं कीं मैंने बहुत समझाया लेकिन इसे तुम्हारे अलावा औऱ कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. बहुत सालो बाद मिलें तो हम एक दूसरे से बात करें बिना नहीं रह पाये. में इसे आज भी कह रहा हूं लेकिन अभी भी यह मना करती है.

जया सुनकर मेरी तरफ देखती है औऱ पूछती है यह क्या बोल रहें है. कहो कीं यह झूठ बोल रहें है. मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. मैंने कहां कीं बेटी भले ही तू मेरी जान है लेकिन तुने मेरी कोख से जन्म नहीं लिया. मै चाहती थी कीं तुझे यह बात बता दू. लेकिन इस तरह से आज बताना पड़ेगा मैंने सोचा नहीं था.

जया यह सुनकर मेरी तरफ दौड़ कर आयी. मुझसे लिपट गई. रोते हुऐ बोलने लगी.क्या बोलू बुआ, माँ या भगवान. मैंने कहां तू मेरी बेटी है औऱ में तेरी माँ बस यही सच है औऱ यही रहेगा. औऱ अब शादी कीं होंगी तो तेरी वो भी बड़ी धूमधाम से, जब तू चाहेगी.

मेरे फैसले को अजय नें भी माना. आखिर में अकेली नहीं थी जो बिना शादी उम्र निकाल रही थी उसनें भी ऐसा ही किया था. जया नें फिर कई बार कहां कीं आप लोग शादी कर लों. लेकिन मैंने कहां अब तुने हमें मान लिया औऱ जान लिया बस हमारी तपस्या सफल औऱ कुछ हमें नहीं चाहिए.

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