Hindi Suspense kahani || Suspense story || लॉकर औऱ खूबसूरत औरत|| Hindi kahani ||हिन्दी कहानी||

मेरे पति अचानक बदल गये. घर में एक लॉकर लें आये. जिसकी चाबी अपने पास रखते थे. जब मैंने उनका पीछा किया तो वो एक खूबसूरत औरत से मिलते थे| suspense story|

Hindi Suspense kahani || Suspense story || लॉकर औऱ खूबसूरत औरत|| Hindi kahani ||हिन्दी कहानी||


अंजू अपने पति राजीव औऱ बच्चों के साथ बहुत खुश थी. उनके 2 बच्चे है. एक लड़की औऱ एक लड़का. बड़ा लड़का अभी 12 साल का है. लड़की छोटी है 8 साल कीं. एक मिडिल क्लास परिवार है.

अंजू के पति राजीव का कपडे का एक छोटा सा कारोबार है. जिससे उनका घर औऱ दोनों बच्चों कि पढ़ाई अच्छे से हो जाती है. राजीव अपने बच्चों औऱ पत्नी को बहुत प्यार करता है. अंजू अपनी छोटी सी दुनियाँ में खुश थी. लेकिन फिर उस एक दिन से सब कुछ बदलने लगता है.एक दिन राजीव जब घर आया तब उसका मूड कुछ ठीक नहीं था. उसके बच्चे वही बैठे पढ़ाई कर रहें थे बातों बातों में उनमें बहस हो गई औऱ वो झगड़ा करने लगे.

राजीव वही बैठा था औऱ अपने ही ख्यालो में खोया था. उनको झगड़ता देख राजीव को गुस्सा आ गया औऱ उसने उठ कर अपने बच्चों को एक एक तमाचा लगा दिया. अंजू किचन में से आयी. बच्चों औऱ अंजू के लिये यह बात बड़ी ही आश्चर्य कि थी क्यों कि राजीव ने आज से पहले कभी अपने बच्चों को मारना तो दूर कि बात जोर से डांटा भी नहीं था. हमेशा उन्हें प्यार से समझाया था.

लेकिन आज उसे क्या हो गया था.अंजू ने राजीव से बात कि क्या हुआ आपको कुछ बात है क्या लेकिन वो गुस्से में कुछ नहीं बोल कर वहाँ से चला गया. अंजू को पता चल गया था कि जरूर कोई बड़ी बात है जो राजीव को परेशान कर रही है.

कुछ दिन राजीव का स्वभाव ऐसा ही रहा. इस दौरान राजीव अपनी चीजों को लेकर भी कुछ ज्यादा ही पर्सनल हो गया था. उसने अपना एक अलग लॉकर रख लिया था. जिसकी चाबी उसी के पास रहती थी. अंजू को यह पता था कि राजीव उसमे कुछ रखते है लेकिन वो राजीव से इस बारे में बात नहीं कर रही थी

उसे लगा कि शायद वो इस बारे में पूछेगी तो कहीं वो बुरा नहीं मान जाये, ऐसे ही आजकल उनका मूड कुछ सही नहीं रहता है. इसलिये उसने इस बारे में बात ही नहीं निकाली. राजीव कुछ दिनों से अब अकेला रहने लगा था ज्यादा बाते नहीं करता बच्चों से भी. अंजू को यह बात खटकने लगी. एक दिन जब राजीव अपने लॉकर में कुछ रख रहा था तब अंजू वहाँ आ गई.

अंजू के देख उसने झट से सबसे पहले लॉकर को बंद किया. अंजू ने पूछा क्या हुआ ऐसा क्या है जो आप छिपा रहें है. क्या हो गया है आपको, कुछ बात है तो बताइए. राजीव ने कहां कुछ नहीं. कुछ होगा तो में तुम्हे बताऊंगा. ऐसा कुछ है ही नहीं. अंजू को अब चिंता सताने लगी कि. उसे अपने पति का बदला रूप साफ दिखाई दे रहा था.

घर में शांति ना हो तो उसका असर सब पर पड़ता है. करीब एक महीने तक उसके पति का यही रूप रहा. लेकिन एक महीने बाद अचानक वो फिर से बदलने लगा. पहले कि तरह ही अपने बच्चों से बात करने लगा. शांत औऱ सरल पहले से भी ज़्यादा हो गया. अंजू ख़ुश तो थी लेकिन उसके मन में अभी शंका औऱ संकोच तो बना ही हुआ था कि.अपने पति के इस तरह के बदलाव से उसके मन में अभी तक दुविधा थी. सब कुछ धीरे धीरे फिर पहले जैसा होने लगा.

लेकिन अभी भी राजीव अपने लॉकर को नहीं छोड़ता था, लॉकर पर ताला ही रहता था. ना ही उसे किसी को हाथ लगाने कि इज़ाज़त होती थी. अंजू को लगा राजीव फिर से वैसे हो गये अभी यह काफ़ी है धीरे धीरे वह शायद खुद ही अपने मन कि बात बता दे. समय बीतता गया. एक दिन अंजू दोपहर अपने घर से कुछ काम को निकल गई. राजीव दुकान पर थे औऱ बच्चे स्कूल,

इसलिये वो घर के काम से खुद गई. लेकिन बाहर जानें पर उसे पता नहीं था कि उसे ऐसा कुछ दिखाई देने वाला है. उसे वहाँ राजीव दिखाई दिया वो भी एक बहुत ही खूबसूरत औरत के साथ औऱ राजीव उसे पैसे भी दे रहा था. उनको देख कर अंजू छिप गई ताकि वो दिखाई नहीं दे. लेकिन अब उसके मन में सवालों के भूचाल आ गये थे. तरह तरह के ख्याल आने लगे कि इस औरत कि वजह से ही शायद उसके पति में बदलाव आया है.

शाम जब राजीव घर आया तो अंजू ने पहले ही कुछ सोच रखा था. उसने राजीव से पूछा दिन कैसा गया कहीं गये थे या दुकान पर ही थे. राजीव ने कहां नहीं दुकान पर ही था कहां जाऊंगा. अंजू को पता था कि राजीव झूठ बोल रहा है. लेकिन क्यों औऱ किस कारण से यह उसे पता नहीं था. उस दिन से अंजू राजीव पर नजर रखने लगी. वो बीच बीच पर दुकान जाती थी. औऱ राजीव का फोन चेक करती थी.

लेकिन अगले एक महीने तक उसे कुछ नहीं मिला राजीव ना तो उस औरत से मिला ना ही कुछ औऱ. लेकिन फिर महीने कि 1 तारिक वो उससे फिर मिलते दिखाई दिया औऱ उसे पैसे देता दिखा. अंजू को फिर समझ नहीं आया कि आखिर यह बात क्या है. कुछ महीनो तक उसे देखा कि औऱ उसे पता चला कि राजीव हर महीने उस औरत को पैसे देता है.

अंजू ने महीनो तक इस बात को देखा था. एक दिन जब राजीव अपने घर आया तो अंजू ने उसको पूछ ही लिया कि क्या बात है आप कुछ छिपा रहें है क्या. राजीव ने कहां कि नहीं फिर तुम वही बात लेकर बैठ गई. अंजू ने इस बार बोल ही दिया कि अगर कुछ छिपा नहीं रहें तो हर महीने उस औरत को पैसे क्यों देते हो.राजीव के मुँह का रंग बदल गया.

वो तिलमिला गया औऱ गुस्से से बोला तो तुम मेरा पीछा कर रही हो मुझ पर नज़र रख रही हो. हर महीने में बहुत लोगो को पैसे देता हूँ तुम क्या जानती हूँ दुकान के बारे में. अंजू ने कहां कि में जानती हूँ दुकान के बारे में औऱ यह भी जानती हूँ कि वो दुकान का काम नहीं था. राजीव ने कहां कि तुम्हे जो समझना है समझो.

मुझे तुम्हे कोई सबूत देने कि जरुरत नहीं है.वो बात वहाँ ख़तम नहीं हुई. अंजू ने उसके बाद भी राजीव पर नजर रखी लेकिन अब उसे वो उसके साथ फिर दिखाई नहीं दिये. अंजू ने सोचा कि शायद राजीव ने अब मिलने कि जगह को बदल दिया होगा. राजीव का लॉकर भी उसे अब खटकने लगा. उसे लगा कि हो ना हो शायद इसी में वो राज है जो उस औरत औऱ राजीव के बीच में है.

जब राजीव नहीं था तब उसने कोशिश कि उस लॉकर को खोलने कि लेकिन वो नहीं खुला. घर में बच्चों को देखकर अंजू चूप हो गई उसने इस बात को घर में उठाना बंद किया. उसे लगा कि इसका उसके बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा औऱ वो नहीं चाहती थी कि ऐसा हो. समय बीतता गया, करीब 3 साल के बाद राजीव कि तबियत ख़राब हुई. राजीव कि तबितय ख़राब हुई सांस लेने में प्रॉब्लम हो रही थी.

राजीव अपनी पत्नी के बिना बताये अस्पताल गया था. औऱ करीब 1 या 2 दिन बाद वापस आ गया. घर में किसी को इस बारे में उसने नहीं बताया. 2 दिन बाद जब वो घर आया तो अंजू उस पर टूट पड़ी. बोली कि क्या हालत बना रखी है. कहां थे ऐसा क्या है जो आप इतने सालो से छिपा रहें है. आज मुझे आपके औऱ इस लॅाकर के बारे में जानना है. राजीव ने अब सच बताना सही समझा उसने लॉकर खोला औऱ उसमे से फ़ाइल निकाल कर अपनी पत्नी को दिखाना शुरू कर दिया.

सब देखकर अंजू के पैरो तले जमीन निकल गई. उस फ़ाइल में उसकी बीमारी औऱ अस्पताल के पर्चे थे.राजीव ने बताया कि. आज से ठीक 4 साल पहले उसे पता चला था कि उसे एक गंभीर बीमारी है. औऱ ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है. इस बात ने उसे तोड़ दिया था. उसे चिंता सताने लगी थी वो यही सब में डूबा हुआ था वो निराशा औऱ चिढ़ चिड़ा हो गया था. यह सब हो ही रहा था कि एक दिन दुकान के सामने उसे एक औरत दिखाई दी जो कि भीख मांग रही थी.

उसे देखकर उसे दया आ गई. उसने उससे पूछा कि क्या हुआ बहन. देखने से लगता है कि तुम अच्छे घर कि हो औऱ फिर सडक पर इस तरह भीख मांग रही हो. उस औरत ने अपनी कहानी सुनाई कहां कि वो अनाथ थी उसके पति ने उस से शादी कि लेकिन उनके देहांत के बाद उसका वहाँ रहना मुश्किल हो गया था. उसे वहाँ के लोगों कि नियत का पता चल गया था इसलिये वो कैसे भी बच कर अपने 2 बच्चों के साथ वहाँ से यहाँ इस नये शहर में आ गई.

यहाँ उसे गुजारा औऱ रहना मुश्किल हो रहा है. इसलिये मजबूरन उसे भीख मांगना पड रहा है. राजीव को उस समय लगा कि अब उसकी ज़िन्दगी कुछ ही समय कि है इसलिये उसने उसकी मदद करना शुरू किया उसे औऱ उसके बच्चे के रहने को घर औऱ खाने कि व्यवस्था कि. साथ ही हर महीने उसे पैसे भी भेजता रहता है. उसने ना सिर्फ उसकी बल्कि औरो कि भी मदद करना शुरू किया. राजीव भी आश्चर्य से भरा रह गया था कि इस दौरान उसे पैसो कि कमी नहीं रही साथ ही जो बीमारी उसे कुछ दिनों में ख़त्म करने वाली थी उसके इस अच्छे काम कि वजह से उसे अभी तक जीवित रखें हुऐ है.

उसने अपनी पत्नी से कहां कि अब में अपने घर कि जरुरत के बाद जितना हो सकता हूँ मदद करता हूँ जिसे जरुरत है. मुझे अंदर से ख़ुशी मिलती है. शायद यह उन लोगों कि दुआ है जो अभी तक में जीवित हूँ. अंजू यह सब सुनकर रोने लगी औऱ उसने अपने पति से माफ़ी भी मांगी. उसने कहां कि आप इतना सब कुछ झेल रहें थे औऱ हम आप को कितना गलत समझ रहें थे.

अंजू भी राजीव के इस काम में अब उसका साथ देने लगी. इस ज़िन्दगी में कब क्या हो जाये हम में से कोई नहीं जानता अगर हम किसी के काम आ जाये, किसी को ज़िन्दगी जीने में मदद कर दे तो उससे बड़ी बात कुछ नहीं है. अच्छे कर्मो औऱ नियत का फल हमेशा अच्छा होता है.

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