में दिखने में कोई खास नहीं था. लेकिन फिर भी एक बहुत सुन्दर लड़की ने मुझसे शादी को हाँ कह दिया. इस बात पर मुझे यकीन नहीं हो रहॉ था. फिर सच सामने आया..Hindi Suspence story.
खूबसूरत दुल्हन||जब सच आया सामने ||Hindi kahani||Hindi Suspence story||Moral story||
मेरा नाम सुमित है. में हमेशा से ही शर्मिले स्वभाव का था. इस कारण कभी में लड़कियों से भी बात नहीं कर पाता था. लेकिन में यह भी सोचता था की मेरे लिये कोई होगी जो मेरी ज़िन्दगी में आयेगी. मेरी बात सुनेगी. में उसी के इंतजार में था.
लेकिन आजकल दिल या मन साफ हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप दिखते कैसे है या आप के पास कितना धन है सब कुछ उस पर ही निर्भर होता है. और मेरे पास दोनों ही नहीं थे. ना ही में दिखने में इतना अच्छा था और ना ही मेरे पास पैसे थे. मेरा रंग साफ नहीं था. में एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ .
पिताजी का स्वर्गवास तब हो गया था जब में 10 साल का था. मेरी बड़ी बहन और मेरी जिम्मेदारी मेरी माँ पर आ गई थी. मेरी माँ नें जैसे तैसे मुझे इस काबिल तो बना दिया कीं में अच्छे से अपना जीवन चला सकूँ.कर्ज लेकर मैंने अपनी बहन कीं शादी भी करवा दी.
इन्ही सब जिम्मेदारियों के चलते मेरी उम्र निकलती गई. माँ को मेरी शादी कीं बहुत फ़िक्र रहती है बहुत जगह रिश्ते देखें लेकिन बात कुछ बनी नहीं. फिर एक दिन अचानक ही हमारे घर में एक रिश्ता आया. वो घर ही आ गये थे. हमारा घर और मुझे देखने के बाद उनकी तरफ से हां थी
लड़की कीं तस्वीर उन्होंने दिखाई. लड़की बेहद ही खूबसूरत थी. मुझे देखते ही पसंद आ गई थी. लेकिन फिर मेरे मन में निराशा आ गई. क्यों कीं मुझे पता था की. इतनी सुन्दर लड़की मुझसे शादी को हाँ क्यों करेंगी. इससे पहले भी मेरे साथ यह कई बार हो चूका है.
इसलिये उनके जानें के बाद मैंने माँ से कहां कीं हम वहाँ नहीं जायेगे माँ नें पूछा क्यों.मैंने कहा की वहाँ जाकर समय ख़राब करने से क्या फायदा होगा क्यों कीं लड़की वैसे भी मुझे देखते ही मना कर देंगी. लेकिन माँ नें कहां कीं कुछ भी हो वो हमारे यहाँ आकर अपने घर आने का निमत्रण देकर गये है. हमें जाना चाहिये. माँ के कहने पर में वहाँ जानें को तैयार तो हो गया
लेकिन मेरे मन में कोई उत्साह नहीं था.हम उनके यहाँ पहुंच गये. हमें देखकर वो खुश हुऐ. लड़की का नाम रानी था.में वहाँ जब बैठा था तब वो नीली साड़ी में चाय लेकर आयी. बहुत सुन्दर थी लेकिन मुझे पता था कीं मुझे खुश नहीं होना है. मेरी माँ नें थोड़ी देर बाद कहां कीं कुछ बात करनी है तो कर लों.
लेकिन मैंने ही उस समय मना कर दिया. क्यों कीं उसे देखकर मेरा आत्मविश्वास ही चला गया था. मैंने कहां नहीं ठीक है आप बड़े लोग जो सही समझें. हम अपने घर आ गये. मुझे पता था कीं उनकी तरफ से कोई पूछ परख नहीं होने वाली है. और मैंने उसका ख्याल भी अपने मन से निकाल दिया.
लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी. काम से जब में घर आया तो माँ कहती है कीं उनका फोन आया था अपना जवाब पूछ रहें थे. मुझे विश्वास नहीं हुआ. मैंने पूछा कीं उनकी तरफ से हां है. माँ बोली कीं वो तैयार है. अब जब ऐसा होता है तो दूसरा ख्याल यही आता है कीं शायद कुछ कमी होगी वरना मुझ से शादी को हां क्यों कहती.
मैंने माँ से कहां कीं ठीक है उनकी हां है तो पर अब में लड़की से बात करना चाहता हूं. माँ नें यही बात उनसे बोली उन्होंने कहां कीं अभी हमारे घर में कुछ दिनों तक घर ठीक करने का काम चल रहा है. इसलिये आप फोन पर बात करवा दीजिये.
उसका नम्बर अब मेरे पास आ गया था. मैंने रात उसे फोन किया. उधर से हेलो बोला गया. पहली बार में किसी लड़की से बात कर रहा था वो भी इतनी सुन्दर. मैंने सबसे पहले एक ही सवाल पूछा कीं आप मुझसे शादी को तैयार कैसे हो गई. वो कुछ देर चूप रही कहां की क्यों आप ऐसा क्यों बोल रहें है.
मैंने कहां कीं में आपके मुकाबले कहां टिकता हूं. वो बोली कीं मेरे लिये बाहर से ज्यादा भीतर कीं सुंदरता जरुरी है. मैंने कहां कीं आपके और मेरे विचार तो मिलते है. वो बोली कीं आप भी इसी बात में मानने वाले है मैंने बोला हाँ. बस उस दिन से ही में हवा में उड़ने लगा प्यार में कैसा होता है यह आजतक मैंने सिर्फ सुना ही था लेकिन जब सच में मुझे प्यार हुआ तो मुझे पता चला कीं प्यार एक अद्भुत अहसास है.
मुझे सबसे ज्यादा उसकी आवाज से प्यार हो गया. हम लोग सिर्फ शाम को ही बात किया करते थे. वो भी सिर्फ 10 बजे तक. शादी के लिये तारिक पक्की हो गई थी. शादी कीं तारिक पक्की हुई तब में बहुत खुश था उस शाम जब मैंने फोन किया तो मैंने उससे पूछा कीं कैसा लग रहा है तुम्हे. उसकी तरफ से थोड़ी देर तक ख़ामोशी रही मैंने पूछा क्यों तुम खुश नहीं हो. उसने कहा कीं में तुमसे मिलना चाहती हूं.
मिलना मुझे भी था लेकिन में कह नहीं पा रहा था. लेकिन उसने ही बोल दिया. हम लोगों का मिलना तय हुआ. अगले दिन सुबह सुबह ही मेरी माँ मेरे कमरे का दरवाजा ज़ोर से बजा रही थी. में नींद से उठा. मेरी माँ को हमारे किसी परिचित से उस लड़की का सच पता चला. उसे सुनने के बाद मुझे पता चला कीं इतनी सुन्दर होने के बावजूद उसने मुझसे शादी को हां क्यों कहा.
आखिर वो भी मेरा फायदा उठाना चाह रही थी.माँ नें उन्हें भला बुरा कहना शुरू कर दिया. उसी समय उन्होंने रिश्ता तोड़ने का मन बना लिया. मुझे आज उससे मिलना था. में सोच रहा था कीं माँ जो कह रही है वो कैसे सच हो सकता है. में उससे मिलने गया. एक रेस्टोरेंट में मिलना तय हुआ था में वहाँ जल्दी पहुंच गया बस यही सोच रहा था कीं माँ जो बोल रही है वो कैसे सच हो सकता है. कुछ देर बाद वो आयी उसके साथ में एक लड़की और थी.
वो दोनों मेरे पास आकर बैठ गये. रानी कीं चहेरे पर एक डर था घबराहट थी. मैंने उससे पूछा कैसी हो. उसने सिर्फ सर हिलाया. मैंने फिर पूछा कीं मुझे क्यों बुलाया था. मेरे इस सवाल के बाद जो जवाब आया उससे माँ को जो पता चला था वो सच ही निकला. जवाब रानी नें नहीं उसकी साथ आयी उस लड़की नें दिया. और आवाज वही थी जिससे मुझे प्यार हो गया था.
लड़की रानी कीं चेचरी बहन थी. वो बोली कीं हमने आप से एक बात छिपायी है रानी बोल नहीं सकती. रानी कीं जगह में आप से बात करती थी रानी मेरे साथ बैठी रहती थी. लेकिन रानी चाहती थी कीं शादी के पहले आप को सच्चाई पता चल जाये जो उसके घरवालों नें छिपायी है. यह आपको पर्दे में नहीं रखना चाहती थी. अब आप का जो भी फैसला हो वो रानी को मंजूर है.
सभी नें अपनी बात बता दी माँ नें कह दिया कीं शादी नहीं करेंगे रानी नें मुझे सच्चाई बता दी. और मुझे डाल दिया दुविधा में. में उसे अब धोकेबाज भी नहीं कह सकता था. वो सच बताने के लिये ही आयी थी. उसकी आंखे मुझे बहुत कुछ कह रही थी. में उसे मना कैसे कर सकता था. मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहां कीं क्या तुम भी मानती हो कीं बाहर से ज्यादा भीतर कीं सुंदरता जरुरी है.
उसने हां में सर हिलाया. मेरी माँ को मनाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन में जानता था कीं वो मान जायेगी. उनके घरवालों नें सच छिपाने के लिये माफ़ी मांगी. रानी और मेरी शादी हो गई. बिना बोले भी वो बहुत कुछ बोलती है. प्यार में शब्द कहां जरुरी होते है. यह तो अहसास है.
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