16 साल बाद तलाक | हिन्दी कहानी | kahaniyaa |


में अपने आप को बहुत खुश किश्मत मानती थी कीं मुझे इतना अच्छा पति मिला. लेकिन फिर एक लड़की हमारी बीच में आयी. क्या यह सच था या झूठ| हिन्दी कहानी |Hindi kahani|

16 साल बाद तलाक | हिन्दी कहानी |kahaniyaa|



मेरा नाम रश्मि है. मेरी शादी एक बहुत अच्छे घर में हुई थी. मेरे पति तो लाखो में एक थे.में अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती थी कीं मुझे ऐसा पति मिला है. मुझे बहुत प्यार करते थे. हमारे एक लड़का और लड़की है. हमारी शादी को करीब 16 साल हो गये थे.

हर ख़ुशी मुझे उन्होंने दी. में भगवान से अपने लिये इससे अच्छा पति नहीं माँग सकती थी. मेरे लडकी 14 साल कीं है और लड़का 10 साल का है. पति का कारोबार भी बहुत अच्छा चल रहा है. हमारी कपडे कीं दुकान है जिससे अच्छी खासी कमाई हो जाती है.

मुझे जीवन से कोई शिकायत नहीं थी. लेकिन फिर उसके वो हुआ जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. मेरे पति एक दिन मुझसे कहते है कीं उन्हें किसी से प्यार है और वो उस से शादी करना चाहते है. एक दिन अचानक ही यह बात उन्होंने मुझे बताई. शुरुवात में मुझे लगा कीं वो मज़ाक कर रहें है लेकिन फिर थोड़ी ही देर बाद में में समझ गई थी कीं वो सच बोल रहें है.

वो मेरे पति है कब सच बोल रहें है कब झूठ इस बात का मुझे अच्छे से पता चल जाता है. लेकिन इतने दिनों तक में कैसे धोका खाती रही उनका शादी के बाद अफेयर चलता रहा और मुझे पता भी नहीं चला. या तो वो झूठ बोल रहें थे या बहुत चालक थे. जो इतने दिनों तक मुझसे छिपा सके. मेरे मन में यही सब चल ही रहा था कीं वो बोले कीं उन्हें तलाक चाहिये.

शादी के 16 साल बाद उन्हें तलाक चाहिये. मैंने कहां कीं आप पागल हो गये क्या बोल रहें है कैसा अफेयर आप झूठ बोल रहें है. वो बोले कीं नहीं मैंने कल उसे बुलाया है तुम खुद मिल लेना. में चाहता हूं कीं हम जिस तरफ से रहें है उस तरफ अलग भी हो जाये मुझे कोई तमाशा नहीं चाहिये.

तुम्हारी और बच्चों कीं भी जिम्मेदारी में लूंगा तुम उसकी चिंता मत करो. अब मेरा दिल बेचैन होने लगा था. में सोच रही थी कीं यह सब जो यह बोल रहें है झूठ हो. लेकिन मन में शंका और डर आ गया था कीं कहीं यह सब सच ना हो. उस रात मुझे अच्छे से नींद नहीं आयी. सुबह होते ही मेरी नजर उन पर थी. फोन पर बात कर रहें थे. पूछ रहें थे कीं कब आओगी.

में तब भी सोच रही थी कीं यह सब मज़ाक हो. कुछ देर बाद दरवाजे पर बेल बजी. वो दौड़ कर दरवाजे पर गये. और सच में एक लड़की दरवाजे पर खड़ी थी वो अंदर आयी. उस लड़की को मैंने पहले नहीं देखा था लेकिन वो सुन्दर थी. उसकी उम्र 26 साल कीं थी. मुझे इस बात का इस बात का यकीन नहीं हुआ था.

मेरे पति नें उसे मुझसे मिलाया कहां कीं यह दिव्या है. में अपने काम के सिलसिले में जब बाहर गया था तब मेरी मुलाक़ात इससे हुई. और फिर हमें पता ही नहीं चला कीं हम कब एक दुसरे से प्यार करने लगे. उसे देखकर में अपने कमरे में चली गई.

16 साल का विश्वास और प्यार इस तरह से टूटेगा मुझे पता नहीं था. में. शायद उम्र के साथ उनका मेरे प्रति आकर्षण कम हो गया था. वो कुछ घंटो के बाद कमरे में आये बोले कीं में फिर दोहराना देता हूं कीं हम अच्छी तरह से अलग होते है. किसी तरह का नाटक में नहीं चाहता. उनके ऐसा कहने पर मैंने कहां कीं यह सब आपको नाटक लग रहा है.

क्या हो गया है आपको. आप तो ऐसे नहीं थे. यह कौन सा रूप आपने मुझे दिखाया है. वो बोले कीं में तलाक के पेपर रेडी करवाता हूं. दिव्या चाहती है कीं हम जल्दी से शादी कर लें.मैंने भी उन्हें कहां कीं आपको जो करना है करें में आपको तलाक नहीं देने वाली में इसी घर में रहूंगी.

मैंने उन्हें अपना फैसला सुना दिया था. पर मुझे पता नहीं था कीं वो कुछ इस तरह का करने वाले है. अगले दिन से वो रोज दिव्या को घर बुलाने लगे. मेरे बच्चे बड़े थे अब सारी बातें समझने लगे थे. मुझसे तलाक के लिये वो इस हद तक जा सकते है इसका मुझे पता नहीं था. घर में एक 14 साल कीं लड़की है. उन्हें बिलकुल भी शर्म नहीं आ रही थी.

बच्चों से बात करना भी उन्होंने बंद कर दिया था. बच्चे भी उनके पापा का यह रूप देखकर दुखी थे. एक दिन वो दिव्या के साथ हाल में बैठे थे. हमारी लड़की से उन्होंने पानी मंगवाया. पानी लेकर वो गई और गलती से पानी दिव्या के ऊपर गिर गया. मेरे पति नें उस दिन हद कर दी. वो दिव्या के लिये मेरी लड़की पर हाथ उठाने वाले थे.

मैंने उन्हें यह करता देख लिया और वही से उन्हें जोर से कहां. यह क्या कर रहें हो. पागल हो गये हो. में जानती हूं तुम यह सब क्यों कर रहें हो तलाक के लिये. ठीक है अब तुम इस हद तक जा रहें हो तो फिर में तुम्हे तलाक दे ही देती हूं. उसी समय मैंने अपना और बच्चों का समान बाँधा और अपने घर चली गई. एक ही इतना कैसे बदल सकता है.

जो अपनी पत्नी और बच्चों पर जान झिड़कता था अब वो उन्हें देखना भी पसंद नहीं कर रहा है. में अपने घर थी. उनका फोन मुझे आया कहां कीं में तुम्हारी और बच्चों कीं जिम्मेदारी अभी भी उठाऊंगा कुछ भी जरुरत हो तुम मुझे फोन कर सकती हो में पैसे भिजवाता रहूँगा. मैंने कहां कीं मुझे तुम्हारे पैसे कीं कोई जरुरत नहीं है इसी के दम पर तुमने उस लड़की को इम्प्रेस किया है.

में अपने बच्चों को संभाल सकती हूं. उम्र के इस पड़ाव पर आकर इतनी अच्छी लाइफ जीने के बाद मुझे फिर काम करना पड़ेगा इसका मुझे अंदाजा नहीं था. ज़िन्दगी कब आपको उठा कर पटक देती है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते. मुझे भी इतने सालो तक उनके साथ रहने के बाद कपडे का अच्छा अनुभव हो चूका था.

इसलिए मैंने भी अपने घर से कपडे का काम शुरू करना चाहती थी. में उस इंसान के पैसे नहीं लेना चाहती थी. उनका फोन मुझे आता रहता. बोलते कीं तुम मुझसे पैसे लें सकती हो. नया काम शुरू करना है तो भी में पैसे दे दूंगा. लेकिन में नहीं मानी मैंने कहां कीं आप हमारी नहीं तलाक कीं चिंता करो.

समय निकलता गया, मैंने अपने बुते पर थोड़ा कुछ शुरू किया लेकिन हमारे घरवाले मुझे सपोर्ट कर रहें थे. कुछ समय के लिये उनका फोन आना बंद हो गया.मैंने इस बात पर ध्यान भी नहीं दिया में अब उनसे बात भी नहीं करना चाहती थी. तलाक में अभी कुछ समय था. मैंने उन्हें कहा था कीं जब भी आप बोलोगे में आ जाउंगी जहाँ साइन करना है कर दूंगी.


मैंने अपने काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया. मुझे कुछ माल खरीदने के लिये बाहर जाना था. इतने दिन उनके साथ रहने पर मुझे यह पता था कीं क्या खरीदना और कहां से खरीदना है.उनका यह अनुभव मेरे काम आया. में उस शहर माल खरीदने के लिये गई. में वहाँ पहुंच कर उस दुकान से माल खरीद ही रही थी कीं

मुझे वहाँ दिव्या दिखाई दी.वो वहाँ किसी कीं ओर के साथ थी हाथ पकडे हुऐ. मुझे देख के साफ पता चल गया था कीं अब वो इस लड़के के साथ है. मन ही मन मुझे ख़ुशी हुई कीं आखिर मेरे पति ने धोका खाया. उन्होंने इस लड़की के लिये हमें छोड़ा था. जो कीं अब किसी और के साथ है. फिर मैंने मन में सोचा कीं अब किसी और को में धोका नहीं खाने दूंगी इसलिये मैंने उनका पीछा किया.


वो एक ओपन रेस्टोरेंट में गये में जाकर उन दोनों के सामने बैठ गई. मुझे देखकर उसके होश उड़ गये. वो उठ कर जाना चाहती थी लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ा मैंने उस लड़की का सच लड़के को बताना शुरू किया. मैंने सोचा था कीं में उसे सच बता कर उसकी आँखे खोल दूंगी लेकिन कुछ ओर ही हुआ. उसने जो मुझे बताया उससे मेरे पैरो तले जमीन निकल गई.


में वहाँ से भागते हुऐ कैसे भी अपने पति के पास जाना चाहती थी. में उनके घर गई. वहाँ नौकर में मुझे बताया कीं वो अभी एक अस्पताल में. अस्पताल उनके घर से ज्यादा दूर नहीं था बड़ा अस्पताल था. में वहाँ गई. रिसेप्शन पर उनका नाम बता कर मुझे उनके कमरे का नम्बर पता चला. में कमरे में गई. वहाँ उनका दोस्त था. उन्होंने आँखे बंद कर रखी. मैंने उनके हाथ पर हाथ रखा तो उन्होंने आंखे खोली मेरी आँखों से आँसू रुक नहीं रहें थे.


मैंने कहां कीं क्या जरुरत थी यह सब नाटक करने कीं. मुझे पहले क्यों नहीं साफ साफ बताया. मेरे पति एक गंभीर बीमारी से जूझ रहें थे. वो हमारी ज़िन्दगी से दूर जाना चाहते थे. ताकि उन्हें कुछ हो जाये तो हम ज्यादा दुखी ना हो. उनके इसी दोस्त ने उनके कहने पर उस लड़की के साथ मिलकर यह नाटक करवाया था.

में अब उनके पास बैठ कर घंटो रोती रही. बच्चों को भी मैंने बुला लिया अब हम उनके साथ ही रहेंगे. अभी उन्हें हमारी औऱ हमारे प्यार को सबसे ज्यादा जरुरत है. में भगवान से दुआ कर रही हूँ कीं वो हमारे साथ ही रहें उन्हें कुछ ना हो. मुझे विश्वास है कीं ऐसा होगा.


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