यह kahani एक hindi suspence story है. Kahani में नयी बहूँ रात 2 बजे अजीब हरकते करती है. लेकिन जब सच सामने आता है तब. Kahani अंत तक जरूर पढ़े. साथ ही ऐसी ही और कहानियां आप यहाँ पढ़ सकते है.
रात 2 बजे मेरी बहूँ को क्या होता था?||Hindi kahani|| hindi suspence story|| moral story in hindi|| bed time stories|| hindi kahaniyan ||
मेरे बेटे कीं शादी मैंने मुश्किल से कीं. वो एक लड़की से प्यार करता था, लेकिन में नहीं चाहती थी कीं उसकी शादी उसी से.
मैंने उसे बहुत समझाया और उसकी शादी गाँव कीं एक सीधी साधी लड़की से करवा दी. लड़की का नाम सुधा है.
मुझे पता था कीं वो लड़की मेरे बेटे और इस घर के लिये बहुत अच्छी है. इसलिये मैंने उस लड़की शादी मेरे बेटे से करवा दी.
सुधा हमारे घर में आयी. लड़की घेरलु थी बड़ो का सम्मान और घर का काम करती थी. अभी 10 ही शादी को हुऐ थे लेकिन
मुझे लगने लगा कीं मैंने अपने बेटे कीं शादी इस लड़की से करवा कर अच्छा किया. मेरा बेटा राजीव भी खुश ही लग रहा था.
लेकिन उस रात के बाद मेरी यह सोच बदल गई. एक रात करीब 2 बजे मेरे बेटे के कमरे से चीखने कीं आवाज आने लगी.
यह चीखे मेरी बहूँ कीं थी. मैंने थोड़ी देर तक सुना फिर वो चीखना बंद हो गया. राजीव के पिता मेरे पति को यह सब सुनाई दिया था
लेकिन फिर हमने उन्हें रात में पूछना उचित नहीं समझा. इस लिये दरवाजा नहीं खट खटाया. सुबह मेरी बेटी भी बोल रही थी कीं मम्मी रात को कौन चीख रहा था.
मैंने उसकी बात काट दी कहां कीं कोई नहीं शायद कोई बाहर से चीख रहा था. मेरी बहूँ का स्वभाव उस दिन से बदल गया. वो चूप थी सारा दिन.
मैंने सोचा शायद पति पत्नी के बीच कीं कोई बात होंगी इसलिये मैंने कुछ पूछा नहीं.अगले रात फिर 2 बजे वही हुआ,
मेरे बेटे के कमरे से फिर चीखनें और रोने कीं आवाज आने लगी. इस रात वो आवाज करीब 10 मिनट तक चली. मेरी बेटी उठ गई और उसने हमारे कमरे का दरवाजा बजाया.
मैंने दरवाजा खोला. देखा तो वो बहुत डरी हुई थी. बोली मम्मी यह क्या है. भाभी रोज रात को रोती और चीखती क्यों है. क्या होता है
कमरे के अंदर चलो अभी दरवाजा खुलवाते है. में दरवाजे के पास जानें लगी तो मेरे पति नें मुझे रोक लिया कहां कीं रुको अभी बात मत करो कल सुबह दोनों से बात करते है.
उस रात को मेरा सोना मुश्किल हो गया था. सुबह मेरी बहूँ जल्दी उठ कर घर के काम में लग गई. में सुबह अपने बेटे के कमरे में गई.
उससे पूछा क्या बात है रात को बहूँ रोती क्यों है. उसका चहेरा पूरा उतरा हुआ था. बोला कुछ नहीं. उसकी बातों से और आँखों से साफ दिखाई दे रहा था
कीं वो कुछ छिपा रहा है. उन्होंने भी उससे पूछा लेकिन वो कुछ नहीं बोल कर घर से बाहर चला गया.मैंने मेरी बहूँ से पूछा. वो कुछ काम कर रही थी.
उसको देखकर ही ऐसा लग रहा था कीं जैसे रात में ठीक से सोई नहीं है. आंखे साफ बता रही थी. मैंने उसे पूछा क्या हुआ तुम रात को रो क्यों रही थी.
वो बोली रो रही थी कब. नहीं में तो सो रही थी और मुझे तो कोई आवाज नहीं आई आप क्या बात कर रही है. उस कमरे में ऐसा क्या हो रहा था यह बात या तो मेरी बहूँ जानती थी या बेटा
लेकिन दोनों ही कुछ नहीं बता रहें थे. पर दोनों के चेहरे से साफ पता चल रहा था कीं. कुछ है जो यह दोनों छिपा रहें है. लेकिन क्या.
अब जब भी रात आती मुझे नींद ही नहीं आती. क्यों कीं आधी रात को फिर वही होता. बहूँ ज़ोर से चीखती और रोती.
मेरे मन में कई सवाल थे क्या होता है उस कमरे में. फिर एक रात करीब 2 बजे मेरे घर में वो हुआ जो मैंने सोचा भी नहीं था.
मेरी बहूँ रात को कमरे से बाहर आ गई. उसके कपड़े कहीं भी जा रहे थे उसे कुछ होश ही नहीं था. बाल खुले थे और वो घर के चौक में आकर बैठ गई.
ज़ोर से चीखने और रोने लगी. हम सभी घर वाले बाहर आ गये. मेरा बेटा भी कमरे से डरा हुआ बाहर आया. बहूँ कीं ऐसी हालत देखकर हम सब ही डर गये थे.
मैंने मेरे बेटे से पूछा कीं यह क्या है. वो बोला बस माँ देख लों यह रोज रात 2 बजे ऐसी ही किया करती है. में आप लोगों को क्या बताता.
सुबह जब उसे पूछता हूं तो उसे कुछ याद ही नहीं रहता है. बोलती है मैंने तो कुछ नहीं किया. बहूँ जब थोड़ी देर बाद शांत हुई तो मेरा बेटा उसे कमरे में लें गया और सुला दिया.
में सोच रही थी कीं यह क्या है. मैंने मेरे बेटे को कहां कीं तू उसे उसके घर छोड़ आना सुबह. में उसकी माँ से बात करुँगी.
सुबह होते ही मेरा बेटा उसे कुछ बहाना करके उसके घर छोड़ आया. मैंने उसकी माँ से बात कीं. उसकी माँ नें कहां कीं यह क्या बोल रहें है
मेरी बेटी बिलकुल ऐसा नहीं करती है. मैंने जो सोचकर राजीव कीं शादी उससे कीं थी वैसा हो नहीं सका. बहूँ को छोड़े अब 20 दिन हो गये थे
इस दौरान उसके घर से फोन आता रहा लेकिन में टालती रही. मेरा बेटा भी कह रहा था कीं मेरे वो दिन कैसे निकले है में ही जानता हूं.
में उसे वापस नहीं ला सकता. कहीं उसने मेरी जान लें ली तो क्या करोगी. मैंने उस पर फिर ज्यादा दबाव नहीं डाला. पर में अपने आप को कोस रही थी
कीं मैंने अपने बेटे कीं शादी उस लड़की से क्यों करवा दी. अब मेरे घर में कोई नहीं चाहता था कीं वो वापस आये. इन्हीं सब बातों में 3 महीने निकल गये.
फिर एक दिन अचानक ही मेरी बहूँ अपने समान के साथ वापस मेरे घर आ गई. वो आते ही मुझसे कहती है माँजी में जानती हूं कीं आप मेरे बारे में क्या सोच रही है
लेकिन सच क्या है यह आपको पता नहीं. उसकी बातो से मुझे लगा कीं कुछ है जो वो बताना चाहती है. मेरा बेटा घर आया और उसे देखकर गुस्सा हो गया
कहाँ यह यहाँ वापस आ गई. में अब यहाँ इस घर में नहीं रह सकता में जा रहा हूं. मेरी बहूँ नें उसी समय कहां क्यों सच सामने आ जायेगा इस लिये डर रहें है.
बताइये सबको सच क्या है. में उस तरह से क्यों किया करती थी. बेटा बोला कीं क्या सच, सच यह है कीं तुम पागल हो.
और रोज रात उस तरह से करती हो. बहूँ बोली कीं माँजी आज अगर सबसे ज्यादा दुखी और परेशान है तो वो और कोई नहीं में हूं.
मैंने अपने पति कीं बात मानी उन पर विश्वास किया. मैंने कहां तुम क्या कहना चाहती हो. फिर मेरी बहूँ नें जो बताया उसे सुनकर मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई.
वो बोली कीं आपके बेटे नें मुझे पहली रात से यह नाटक करने को कहां था लेकिन मैंने नहीं माना वो कहते है कीं हम दोनों अलग बड़े शहर में जाकर रहेंगे.
उनको कहां अगर ऐसे मेरे घर वाले मुझे नहीं छोडेंगे लेकिन तुम इस तरह का नाटक करोगी तो वो डर जायेंगे और फिर हम अलग रहेंगे.
पहले मैंने बोला कीं यहाँ सबके साथ अच्छा है लेकिन फिर जब वो मुझसे बात नहीं करते थे तो मुझे उनकी बात माननी पड़ी.
और फिर मैंने जब सब नाटक किया तो इन्होने मुझे घर छोड़ दिया. मुझे आप सभी कीं नजरों में पागल और ना जानें क्या साबित कर दिया.
उसके बाद मेरा फोन भी नहीं उठा रहें. में उनका वहाँ मेरे घर इंतजार कर रही लेकिन वो नहीं आये. में समझ गई कीं उन्होंने मुझे बेवकूफ़ बनाया है.
मुझसे झूठ बोला है. यह मुझे अपनी ज़िन्दगी से भगाना चाहते थे. में इस बात को समझ गई.अब में खुद ही इनसे दूर चली जाउंगी लेकिन में चाहती थी
कीं सच आप सभी के सामने आ जाये. मुझे बहूँ कीं बातो पर पूरा विश्वास हो गया था. मेरा बेटा बोला तुम्हे इसे रखना है तो रखो मेरी शादी तुमने उससे नहीं होने दी जिससे में चाहता था
और इस गाँव कीं लड़की से करवा दी. में चाहता था कीं यह भी यहाँ से चली जाये तुम परेशान हो सोचो कीं यह मैंने क्या किया.
अब भी में इसे अपनी पत्नी नहीं मानता. मैंने मेरे बेटे को कहां कीं बेटा तुझे इस घर में रहना है या नहीं इसका फैसला तू कर लें.
मेरी बहूँ इस घर में ही रहेगी. और जो इसे इसका हक़ और इज़्ज़त नहीं देगा वो इस घर में नहीं रह सकता. तू इस तरह कीं साज़िश कर सकता है.
वो भी सिर्फ अपनी माँ से बदला लेने के लिये.एक भोली लड़की को कुछ भी करने को कह सकता है. पर बेटा जरा तू सोच तुने इसे जो करने को कहां इसने किया अपने बारे में और किसी के बारे में कुछ नहीं सोचा.
सिर्फ तेरा सोचा. सोच ऐसी पत्नी कहां मिलेगी. तू बहुत बड़ा अभागा है जो इस लड़की को छोड़ेगा. में बहुत खुश थी मैंने अपने बेटे कीं लिये हीरा चुना था.
लेकिन शायद मेरा बेटा ही उसके लायक नहीं था. मैंने मेरी बहूँ को प्यार से गले लगाया. मेरा बेटा भी कहीं नहीं गया. थोड़े समय तक जरूर नाराज रहा.
लेकिन मुझे पता था उस लड़की से कोई प्यार किये बिना कैसे रह सकता था. आखिर धीरे धीरे सब ठीक होने लगा.
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