पड़ोस की लापता नौकरानी जब मुझे मेरे पति के साथ मेरे घर में दिखी वो भी..पढिये यह एक बहुत अच्छी kahani. Suspence story. Hindi Kahaniyaa emotional story.
लापता नौकरानी || Hindi Suspence story|| Emotional heart touching story|| Moral story|| Hindi Kahaniyaa|| Bed time stories||
मेरा नाम नीला है. में मेरे रवि पति के साथ एक बड़े शहर में रहती हूँ. मेरे पति अच्छी नौकरी करते है. नौकरी करते अभी उन्हें 2 साल हुये है.
हमारी शादी को अभी 1 साल हुऐ है. शादी के बाद में उनके साथ यही रहने आ गई. उन्होंने एक अच्छी सोसाइटी में एक किराये का मकान लिया है.
पास में कई बड़े बड़े घर है. यहाँ रहना एक अलग सी बात लग रही है. क्यों कीं शादी को अब 1 साल हो गये थे तो मैंने भी सोचा कीं में भी जॉब वापस करती हूँ.
हालांकि रवि इसके लिये मना करते थे कहते थे कीं वो अच्छा कमाते है क्या जरुरत है लेकिन फिर भी मैंने जॉब ज्वाइन कर लिया
जॉब के साथ घर का काम करने में थोड़ी परेशानी हो रही थी. इसलिये मैंने सोचा कीं घर में काम करने के लिये एक नौकरानी रख लेती हूँ.
लेकिन बड़े शहरों में अच्छा काम करने वाली का मिलना ज्यादा मुश्किल होता है. इतनी जल्दी किसी पर विश्वास किया भी नहीं जा सकता.
हमारे सोसाइटी में कई घरों में काम करने वाली आती थी. सोसाइटी में मैंने तलाश कीं. आस पास के घर में काम करने वाली से मैंने बात कीं
लेकिन कोई भी अब और ज्यादा काम लेना नहीं चाहता था. इसलिये सभी ने मुझे मना कर दिया. मैंने यह बात रवि को बताई
और उन्हें ही कोई काम करने वाली को ढ़ूढ़ने को कहां. रवि ने कहां कीं वो कुछ करते है. कुछ दिन के बाद उन्होंने घर पर एक काम करने वाली को रख लिया.
रवि उन्हें पहले से जानते थे शादी के पहले रवि वहाँ से अपने लिये खाना मंगवाते थे. उनका नाम राखी था. वो 48 साल कीं होगी.
मुझे तो जैसे कीं सुकून मिल गया हो. अब में अपनी जॉब आराम से कर सकती थी. सुबह और शाम को खाना बनाने का कोई झंझट नहीं था.
घर में कोई काम करने वाला जो आ गया था. वो बड़ा अच्छा खाना बनाती थी रवि तो पहलें भी उनका बना खाना खाते थे तो उन्हें तो पता था इसलिये वो उन्हें लेकर आये थे.
मेरे पति सुबह जल्दी जॉब पर जाते थे. में उनके बाद जाती थी. और उनके पहले ही आ जाती थी. मेरे आने आने तक राखी काम करने आ जाती थी
इसलिये घर कीं चाबी उनके पास भी रहती थी. शाम को आते समय में कुछ समय सोसाइटी के महिलाओ से बात किया करती थी.
लगभग सभी को अब में जानती थी. शाम को सोसाइटी कीं सारी महिलाये भी घूमने बाहर निकला करती थी. ऐसे ही एक दिन
जब में उन सब से बात कर रही थी तब एक खबर मुझे पता चली हमारे 5 घर छोड़ कर ही एक परिवार रहता था बड़ा रहिस था उनका वो खुद का घर था.
उस घर में काम करने वाली एक लड़की करीब 19 साल कीं सुबह से घर पर नहीं थी. वो लड़की उनके घर का काम करने के साथ वहाँ रहती भी थी.
वो आंटी बता रही थी कीं वो सुबह जब जल्दी उठी तब वो लड़की घर पर थी ही नहीं. फोन किया तो उसका फोन भी स्विच आफ था.
सोसाइटी में किसी ने उसे जाते नहीं देखा.वो आंटी कहने लगी कीं घर देखना होगा क्या पता कुछ लेकर गई तो नहीं. लड़की तो अच्छी थी
लेकिन आजकल कब कोई बदल जाये इसका पता कहा चलता है.उस लड़की को में भी मिली थी अच्छी लड़की है बात तो अच्छे से करती थी.
इतना ज्यादा में उसे जानती नहीं हूँ. शाम कीं सारी बाते और घूमने के बाद में घर आयी रवि मेरे आने के कुछ घंटो बाद आते थे
लेकिन आज मैंने उनकी गाड़ी घर के बाहर देखी. वो इतना जल्दी आज कैसे आ गये यही सोचते हुऐ में दरवाजे के ओर जा रही थी.
दरवाजा मैंने अपनी चाबी से खोला. लेकिन वो नहीं खुला क्यों कीं उसे अन्दर से बंद किया था. मैंने डोर बेल बजाई. लेकिन कुछ देर खड़ी रहने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला.
थोड़ी देर बाद वो आये और उन्होंने दरवाजा खोला. रवि ने कहां कीं तुम आ गई. उनके चेहरे पर एक अजीब सा डर था मैंने पूछा क्या हुआ.
इतने डरे क्यों लग रहें हो. वो बोले कुछ नहीं में नहा रहा था दरवाजा मैंने अंदर से बंद कर दिया. आवाज सुनाई नहीं दी.
उनकी बात सुनकर में अपने बेडरूम में चली गई. सुबह से घर से बाहर थी तो मुझे बड़ी थकान हो रही थी बेडरूम का दरवाजा बंद करना में भूल गई
तो हवा से इधर उधर हो रहा था जब दरवाजा खुला होता है तो मेरे बेडरूम के मिरर से हमारे हाल का बाथरूम दिखाई देता है.
में मिरर के आगे खड़ी होकर अपना मैक उप निकाल रही थी कीं मुझे वो लड़की मिरर में दिखी. वो भी हमारे हाल के बाथरूम में.
रवि भी उस बाथरूम में गुसा जिसमे वो लड़की पहले से ही थी. यह सब मैंने क्या देखा मुझे यकीन ही नहीं हुआ. इतना दिखने के बाद मेरे बेडरूम का दरवाजा बंद हो गया हवा से.
मुझे अब बाहर का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. में अपना सर पकड़ कर अपने बिस्तर पर बैठ गई.में सोच रही थी बाहर जाकर देखु और जो भी मैंने देखा वो सब गलत हो.
में धीरे धीरे अपना बेडरूम का दरवाजा खोलने के लिये गई. मैंने दरवाजा खोला तो बाथरूम का दरवाजा तो खुला था रवि और वो लड़की दोनों ही वहाँ नहीं थे.
मेरी स्तिथि उस समय क्या थी में बता भी नहीं सकती. में यह सोच रही थी कीं रवि उस लड़की को कैसे जानता है. वो लड़की जब में यहाँ नहीं थी तब रवि के साथ क्या कर रही थी.
और अब रवि उसे लेकर कहां गया है. मैंने सोचा कीं में रवि को फोन करू. मैंने उसी समय फोन किया. रवि ने कुछ देर बाद फोन उठाया मेरे कुछ पूछने के पहले ही
रवि ने कहां कीं मुझे कुछ काम आ गया है बस थोडी देर में आता हूँ.इतना कहकर रवि ने फोन काट दिया. वो मुझसे झूठ बोल रहा था. आखिर ऐसा क्या कर रहा था
जो उसे मुझसे झूठ बोलना पड़ रहा था. में अपने आंसू रोक रही थी अपने दिल को समझा रही थी कीं रवि से बैठ कर एक बार बात कर लें
अभी से कुछ भी मत सोच शायद कुछ और बात होगी. लेकिन फिर यही ख्याल आता कीं. आईने में मैंने उसे देखा.
थोड़ी देर बाद हमारी काम वाली राखी भी आए गई. उसने मुझे इस तरह चिंता में देखा तो पूछा कीं मैडम क्या हुआ. मैंने उसे कुछ नहीं कहां और अपने कमरे में चली गई.
रवि करीब 2 घंटे बाद घर आये. उनकी शक्ल देखने पर मुझे गुस्सा आ रहा था. मैंने पूछा कीं कहां गये थे. वो बोलें ऐसे ही कुछ काम आ गया था.
वो फिर मुझसे झूठ बोल रहा था. मुझे बहुत गुस्सा आए रहा था लेकिन मैंने अपने गुस्से पर काबू किया क्यों कीं घर में राखी थी.
में नहीं चाहती थी कीं यह बात बाहर जाये. मैंने सोचा कीं रात में इस बारे में रवि से बात करुँगी. हम लोग दोनों खाने के लिये टेबल पर बैठे थे राखी खाना लगा रही थी.
खाने लगाने के बाद राखी बोली कीं साहब बहुत अच्छा काम किया आज आपने. रवि बोले कीं थोड़ा और लेट होते तो बस छूट जाती इसलिये में आते ही चला गया.
मैंने पूछा क्या बात हो रही है. राखी बोली कीं मैडम वो लड़की था यहाँ पड़ोस में उनके यहाँ काम करती थी और रहती थी.
मैंने उनकी बात काटते हुये कहां. हाँ सोसाइटी में बात में सुबह से नहीं है. कहां है. राखी ने फिर कुछ ऐसा बताया जो मैंने सोचा भी नहीं था.
राखी ने कहां कीं वो छोटे गाँव कीं है. घर कीं हालत ठीक ना होने के कारण उसे यहाँ काम करना पड़ रहा था.लड़की अपने घर जाना चाहती थी
लेकिन उस घर कीं मालकिन उसे जानें नहीं दे रही थी. उसे पैसे भी नहीं दे रहें थे. उस घर में दिन रात उसे 8 लोगों का काम करना पड़ता था.
जब वो काम पर लगी थी तब सिर्फ दो ही लोग थे. लेकिन थोड़े दिन बाद 8 लोग आ गये उन्ही के परिवार के. उसने काम छोड़ने और जानें को कहां तो उन्होंने उसे कहां कीं
तुम नहीं जा सकती जब तक हमें कोई और दूसरी काम करने वाली नहीं मिलती. उसके पैसे भी नहीं दिये. काम करने वाली मिलना मुश्किल है
वो भी इतने बड़े परिवार के लिये.वो कैसे भी यहाँ से निकलना चाहती थी.उस घर कीं मालकिन उस पर नजर रखती थी. उसकी हालत के बारे में मुझे पता चला.
वो उस दिन सुबह आपके जानें के बाद यहाँ आ गई है.आप लोग गये तब भी वो यही थी बहुत रो रही थी.मैंने साहब को सारी बात बताई.
अभी आप से ज्यादा में साहब को जानती हूँ इसलिये मैंने आपको नहीं उन्हें बताया. उसकी मदद करने को कहां. इसलिये साहब उसे उसकी घर कीं बस में बैठा कर अभी आये.
रवि ने कहां कीं इसलिये में ऑफिस से जल्दी आया जब में आया तो वो बाथरूम में छिपी थी डरी हुई थी. मैं उससे बात कर ही रहा था कीं तुम आ गई और वो फिर बाथरूम में छिप गई.
इतना सब जल्दी में हो गया कीं तुम्हे बताने का समय ही नहीं मिला और में उसे लेकर बस अड्डे चला गया. तुम्हारा फोन आया तो मैंने सोचा कीं घर जाकर आराम से सारी बात बताऊंगा.
लड़की सीधी थी.वो खुश थी कीं अपने घर जा रही है. राखी और रवि कीं बात सुन मुझे यकीन नहीं हुआ. राखी ने कहा कीं बाहर छोटे शहर से काम करने वाले
जो आते है वो भी इंसान होते है. यह बड़े लोग कब समझेंगे. अपने स्वार्थ के लिये उसे रख रखा था.उसकी बात सोचने लायक थी.
इसी के साथ ही मेरे दिल ने एक तस्सली भरी सांस भी ली. मैंने मेरे पति को कितना गलत समझा.उसने एक सीधी लड़की कीं मदद कीं.
मैंने राखी को कहां कीं अगर अब कभी भी तुम्हे ऐसा कोई ओर दिखाई दे तो तुम मुझे भी बेफिक्र होकर कह सकती हो. हम इंसान है सभी अपना जीवन अपने हिसाब से जीने का हक़ रखते है.
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