गलती || एक Emotional कहानी. मालिक ने जब लगाया बुजुर्ग कामवाले पर चोरी का इल्ज़ाम.Heart touching Moral story.

एक बुजुर्ग को अपने घर कीं स्थिति ठीक ना होने के कारण. एक घर में खाना बनाने का काम करना पड़ा. जानिये क्यों लगा उन पर चोरी का इल्ज़ाम. पढ़िये एक Emotional heart touching story.
गलती || एक Emotional कहानी. मालिक ने जब लगाया बुजुर्ग कामवाले पर चोरी का इल्ज़ाम. Heart touching Moral story.

मेरा नाम निशा है. मेरी शादी रवि से एक साल पहले हुई थी. रवि एक बड़े शहर में अच्छी नौकरी करते है. ऑफिस कीं तरफ से ही हमें एक अच्छा फ्लैट मिला है. मेरे पति ऐसे बहुत अच्छे है.

लेकिन अगर मुझसे कोई पूछे तो में अपने पति कीं एक आदत को बदलना चाहूँगी. उनमें थोड़ा ज्यादा ईगो आ गया है. अपने से छोटे से कभी कभी वो अच्छे से बात नहीं करते मुझे यह बात अच्छी नहीं लगती थी लेकिन मैंने उन्हें कभी इस बारे में टोका नहीं.

हमारे घर में पहले एक नौकरानी आती थी लेकिन उनके इसी स्वभाव के कारण कोई टिकता नहीं था. उनका कहना था कीं अगर ऐसे नहीं कहेगे तो कोई आजकल कोई काम नहीं करता. शायद उनका यह स्वभाव उनके ऑफिस के अनुभव से आया होगा. क्यों कीं उन्हें काम पूरा करवाने बहुत प्रेसर रहता है.

इस कारण उनके स्वभाव में यह कठोर पन आ गया है. अब फिर मैंने नये काम करने वाले कीं तलाश शुरू कीं. बड़ी मुश्किल से कुछ दिनों बाद घर पर ही एक शख्श आये उन्होंने अपना नाम कालू बताया था. उम्र उनकी 55 साल कीं थी.उन्होंने कहां कीं उन्हें कही से पता चला कीं यहाँ काम है. मैंने पूछा किसने बताया.

वो बोले कीं अभी उनका नाम. याद नहीं आ रहा. मैंने कहां कीं आप खाना बना लेंगे. उन्होंने कहां कीं हाँ में अच्छा खाना बनाता हूँ. आपको कोई परेशानी नहीं होगी.

शुरुवात में मेरा मन नहीं माना क्यों कीं वो किसी कीं पहचान से नहीं आये थे लेकिन फिर मैंने सोचा कीं शाम को उनसे मिलवा देती हूँ.शाम को जब वो घर आये तब मैंने कहां कीं कोई काम के लिये आया है.

उन्होंने भी यह कहां कीं क्या उसे जानती हूँ मैंने कहां कीं नहीं. वो कालू से मिलें पूछा कीं पहले भी काम किया है वो बोले हाँ साहब. उनकी उम्र के चलते उन्होंने भी यही सवाल पूछा कीं तुम खाना वाना लेते हो. वो पहले ही थोड़ा घबराये हुऐ थे कहां कीं साहब बना लूंगा. ठीक है

उन्होंने कहां और कहां कीं साफ सफाई से खाना बनाना और छुट्टी नहीं मिलेगी रोज रोज का नाटक नहीं चलेगा कीं तबियत ख़राब है या घर में कोई बीमार है यह सब बातो का ध्यान रखना. अभी खाना बना कर दिखाओ पसंद आया तो कल से तुम्हारी नौकरी पक्की होगी.

इतना सब मेरे पति से सुनने के बाद मैंने सोचा कीं वो कुछ बोलेंगे लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना ही कहां कीं हाँ साहब. मुझे उन्होंने उस पर ध्यान रखने को कहां. वो खाना बना रहें थे. काम अच्छे से कर रहें थे. लग रहा था कीं उन्हें पहले भी इसका अनुभव था. खाना बनकर तैयार हो गया था. उन्होंने खाना टेबल पर लगाया.

मेरे पति ने और मैंने दोनों ने खाना खाया. मुझे खाना अच्छा लगा और मेरे पति के चेहरे से भी मुझे लग रहा था कीं उन्हें भी खाना बहुत पसंद है. लेकिन उनकी आदत के अनुसार उन्होंने कुछ कहां नहीं.

उन्होंने कहां कीं खाना ठीक है कल से आना लेकिन ध्यान रहें कीं खाना इससे ख़राब ना बने. इससे अच्छा बना सको तो अच्छा. इतना सुनकर उनके चहरे पर एक ख़ुशी दिखाई दी.अगली सुबह से वो घर आने लगे. ज्यादा बाते वो करते नहीं थे. कम बोलते थे.

सिर्फ अपना काम करते थे. मेरे पति ने मुझे समझाया था कीं नजर रखना और अपना ध्यान रखना.उन्हें देखने से तो ऐसा नहीं लग रहा था लेकिन उन्होंने कहां कीं देखने से पता नहीं चलता.

तुम कुछ दिन तक इसकी जानकारी भी निकलवा लेना कहां है. मुझे भी उनकी बात सही लगी. क्यों कीं वो ऐसे ही अचानक मेरे घर पर आए गये थे. और कहां था कीं किसी से पता चला है. उनकी उम्र देख कर मैंने उन्हें रख लिया था.

मैंने उनसे उनकी पहचान पत्र मगवाया था. उन्होंने लाकर दे दिया था. 1 से 2 दिन में मुझे लगा कीं ठीक ही है.करीब 5 दिन काम करने के बाद उन्होंने मुझसे एक दिन कहां कीं मैडम थोड़े पैसे एडवांस मिल जाते तो अच्छा होता मुझे जरुरत है.

मैंने उनकी बात सुनी और उस समय के मैंने भी अपने पति कीं तरह सोचा और उन्हें कहां कीं नहीं अभी नहीं मिलेंगे आप को पहले ही उन्होंने सारी बात बताई थी. और में साहब से पूछूंगी ऐसा कहकर मैंने उनकी बात टाल दी.

रवि अगले दिन कहते है कीं उनके ऑफिस के कुछ दोस्त घर पर शाम को खाना खाने आने वाले है.उन्होंने कालू से कहां कीं उनके दोस्तों के लिये कल स्पेशल खाना बनाना होगा. उन्होंने कहां ठीक है साहब.

शाम उनके दोस्त और उनकी फैमिली भी घर आये 3 दोस्त के साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी थे.खाने में 4 से 5 तरह के पकवान बनाये थे. सबने खाना बड़े चाव से खाया और तारीफ भी कीं.

खाने के बाद हम सब बैठे बात कर रहें थे. कालू अपना काम ख़त्म करके जानें कीं तैयारी कर रहें थे. तभी उनके एक दोस्त का मोबाइल नहीं मिल रहा था. मोबाइल महंगा था साथ ही उसमे ऑफिस के जरुरी नंबर और इमेज भी थी इसलिये वो थोड़ा परेशान हुऐ.

सभी जगह ढूंढ लिया बच्चों से भी पूछा लेकिन नहीं मिला.फोन लगाने पर फोन भी नहीं लग रहा था. हम सब मिलकर मोबाइल ही ढूढ रहें थे कीं कालू किचन में से आये और कहां कीं मैडम में चलता हूँ आज उनके हाथ में एक छोटा सा बेग था.

उनके इतना कहने पर मेरे पति ने कहां कीं रुको मोबाइल जो तुमने चुराया है वापस दो. उन्होंने जब यह सुना तो कहां कीं साहब आप क्या बोल रहें चोरी यह तो में सपने में भी सोच नहीं सकता. मेरे पति ने कहां कीं ठीक है फिर तलाशी दो और चले जाना.

यह सुनकर उन्होंने कहां कीं नहीं मैंने जब चोरी नहीं कीं तो तलाशी क्यों दू. मेरे पति बोले कीं जब चोरी कीं नहीं तो तलाशी से क्यों डर रहें हो. इतना कहकर वो उनके पास गये और उनके हाथ में जो बेग था उसे लेने लगे. कालू ने बेग पकड़ा और कहां कीं साहब छोड़ दीजिये इसमें मोबाइल नहीं है.

मेरे पति को गुस्सा  आ गया कहां कीं एक तो चोरी करता है उस पर आंखे भी दिखाता है छोड़ बेग. उन्होंने उसका बेग छिना. और उसकी तलाशी ली. उसमे मोबाइल नहीं था बल्कि खाना था. मेरे पति बोले कीं तुम खाना चोरी करके लें जा रहें थे. कालू कीं आँखों से अब आँसू आने लगे.

वो बोले कीं मैंने चोरी नहीं कीं मैडम. ने कहां था में खाना खा कर जाऊ तो यह मेरे हिस्से का खाना है. मेरे पोते के लिये उसने बहुत दिन हो गये अच्छा खाना नहीं खाया.साहब मेरा बेटा होता तो शायद मुझे आज यह दिन देखना नहीं पड़ता.

मेरा बेटा 4 साल पहले चला गया एक लौता बेटा था. घर में अब में ही हूँ उसकी बीमार माँ मेरी बहूँ और पोते के लिये. बड़ी मुश्किल से घर संभाल रहा हूँ. खाने के लिये अच्छा बना तो मैंने सोचा मेरे पोते को खिला दूंगा और उसके चहरे पर जो खुशी आयेगी वो में देखना चाहता था. मैंने मैडम से एडवांस भी माँगा था घर के लिये.

इतना बोलकर वो बिना खाना लिये ही चले रोते हुऐ चले गये. वो इतना कुछ झेल रहें थे.हमें इसका पता नहीं था. और आजकल कीं दुनियाँ ऐसी ही हो गई है. कुछ बुरा होने का हमें इतना डर है कीं हमें अच्छाई भी दिखाई नहीं देती. इसमें हमारा भी कसूर नहीं है.

उनके जानें के बाद मोबाइल का भी पता चल गया. उन्ही का बच्चा बोला कीं उससे मोबाइल निचे गिर गया था और बंद हो गया. पापा डाटेंगे इसलिये उसने मोबाइल सोफा के निचे रख दिया. उसके पिता को इन सब के लिये शर्मिंदा होना पड़ा. पहली बार रवि कीं आँखों में पछतावा देखा था.

रात रवि ठीक से सोये नहीं हालांकि उन्होंने मुझसे कुछ कहां नहीं लेकिन मुझे पता था कीं उन्हें बुरा लग रहा है. सुबह मुझे पता था कीं वो फिर नहीं आएंगे. इसलिये में जल्दी उठी और घर का काम खुद करने लगी. थोड़ी देर बाद जब दरवाजे कीं बेल बजी और मैंने खोला तो सामने वही थे.

चुपचाप वो अंदर आकर अपना काम करने लगे. मैंने बोला मैंने सोचा को शायद आप नहीं आओगे. वो बोले मैंने भी सोचा था लेकिन मेडम घर पर खाना नहीं हो तो आना ही पड़ता है. रवि ने उन्हें देखा तो जैसे उनको कुछ शांति मिली. उन्होंने 10 हज़ार रूपये उन्हें दिये.

और कहां कीं कल रात के लिये उन्हें माफ़ करदे. पैसे लेने से उन्होंने मना किया तो वो बोले कीं यह एडवांस है. रख लीजिये. बस इतना ही चाहिये था कालू को थोड़ा सा कोई प्यार से बोल दे और थोड़े से पैसे. अच्छा लगा मुझे भी मेरे पति ka यह बदला रूप देख कर. कठोर वो ऊपर से वो भी उन्हें बनना पड़ता है. अंदर उनके भी एक नरम दिल इंसान ही है.

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