बेहोशी में पिता नें अपनी एक लौती बेटी कीं शादी करवा दी ड्राइवर से, लेकिन क्यों?|| Hindi moral stories bed time story||Hindi Kahaniyan ||

आज कीं नयी कहानी एक Hindi Moral story है. एक पिता नें अपनी एक लौती बेटी कीं शादी क्यों ड्राइवर से करवा दी. पूरी kahani जरूर पढ़े.
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बेहोशी में पिता नें अपनी एक लौती बेटी कीं शादी करवा दी ड्राइवर से लेकिन क्यों?|| Hindi moral stories bed time story||Hindi Kahaniyan ||


मेरा नाम प्रियंका है. मेरे पिता नें मेरे साथ जो किया वो कोई सोच भी नहीं सकता. में अपने पिता कीं एक लौती बेटी हूं. हम बहुत ही रहीश परिवार से है.

हमारी एक कंपनी है पैसो कीं कोई कमी नहीं है.बचपन से ही मुझे ऐशो आराम कीं आदत है. नौकर चाकर गाड़िया मेरे चारो तरफ रहती थी.

मेरी ज़िन्दगी में बहुत अच्छे से जी रही थी. लेकिन उस एक दिन नें मेरी ज़िन्दगी बदल दी. हमारे यहाँ कुछ ही दिनों से एक नया ड्राइवर आया था.

वो ड्राइवर जवान था. लेकिन वो मुझे पसंद नहीं था. वो ज्यादा सवाल पूछता था. कहां जा रहें हो क्यों जाना है इतना तो मेरे पापा मुझसे नहीं पूछते थे.

एक दिन जब उस ड्राइवर नें हद कर दी तो मैंने उसे एक तमाचा मार दिया. और उसे नौकरी से निकाल दिया. मैंने पापा को यह बताना जरुरी नहीं समझा क्यों कीं हमारे यहाँ ड्राइवर कीं कमी नहीं थी.

लेकिन मुझे नहीं पता था कीं मेरे साथ यह होने वाला है. एक दिन सुबह जब में उठी तो मेरे कमरे में वो ड्राइवर था. वो ड्राइवर मेरे कमरे में इतनी सिक्योरिटी के बीच कैसे आ गया मुझे पता नहीं था.

शायद मैंने उसे मारा था इस बात का बदला उसे लेना था. मैंने कहां कीं तुम यहाँ क्या कर रहें हो. वो बोला कीं में तुम्हारा पति हूं कल रात को तुम्हारे पिता नें मेरी शादी तुम से करवा दी है.

मैंने कहां कीं तुम पागल हो. मेरे पिता तुम से शादी करवाएंगे. और शादी हो गई मुझे पता भी नहीं चला. फिर उसने कहा कीं मुझे पता था कीं तुम यह बात नहीं मानोगी इसलिये में तुम्हे तस्वीरें दिखाता हूं.

उसने अपने मोबाइल में हमारी शादी कीं तस्वीरे दिखाई वो सच बोल रहा था. में उसके साथ मंडप पर बैठी थी मुझे होश नहीं था. और मेरे पिता भी मेरा कन्यादान करते उस तस्वीर में थे.

मुझे उस तस्वीर को देख कर भरोसा नहीं हुआ कीं मेरे पिता हो मुझे इतना प्यार करते थे वो मेरी शादी बेहोशी में मेरी मर्जी के बिना एक ड्राइवर से करवा सकते है.

मैं उसी समय अपनें पिता के पास गई. पापा को कहां कीं पापा यह सब क्या है यह कोई नाटक है. यह ड्राइवर के साथ अपने मेरी शादी करवा दी वो भी मुझे बेहोश करके. आप ऐसा कैसे कर सकते है.

पापा नें कहां कीं वो मजबूर है. मैंने कहां मजबूर हम मजबूर है इतने बड़े होने के बाद भी इसकी क्या औकात है. हम इसके आगे कैसे मजबूर हो सकते है.

वो बोला कीं जबान सम्भाल कर बात करो अब में तुम्हारा पति हूं. मैंने बोला अब में इस शादी को नहीं मानती यह कैसी शादी यह मेरी मर्जी के खिलाफ है.

वो बोला कीं मर्जी तुम्हारे बाप कीं थी जो इस तस्वीर में साफ दिखाई दे रहा है.वो बोला चलो अब मेरे साथ. मैंने कहां चलो कहां यह मेरा घर है.

वो बोला नहीं तुम मेरी पत्नी हो और में अब तुम मेरे साथ रहोगी अगर नहीं मानी तो यह तस्वीर मिडिया में जायेगी. मेरे पिता चूप चाप खड़े होकर यह तमाशा देख रहें थे.

उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ा और खींच कर लें जानें लगा. इतनी सारी सिक्योरिटी लेकिन कोई उसे नहीं रोक रहा था. मेरे पिता भी जैसे बूत बन गये थे.

पर क्यों में रो रही थी और वो मेरा हाथ खींचकर मुझे ले जाता रहा.मुझे नहीं पता था कीं उनकी क्या मज़बूरी थी पर इन सब के बीच मेरी ज़िन्दगी के साथ बहुत बड़ा मज़ाक हो रहा था.

वो मुझे अपने घर में लें गया. घर नहीं पिंजरा था एक छोटा सा कमरा. बाथरूम के लिये भी कमरे के बाहर जाना पड़ता था. उसने मुझे कहा की यही अब मेरा घर है.

यही पर रहना है और खाना है. पास में भी बहुत सारे कमरे थे उनमें भी लोग रहते थे. में ऐसी जगह आ जाऊगी मुझे पता नहीं था.

उसने कमरे में खाने का समान रखा और कहां कीं भूख लगी है खाना बनाओ. एक थप्पड़ का बदला वो इस तरह लेगा मुझे पता नहीं.

मैंने कहां मुझे खाना नहीं आता. वो बोला ठीक है में कहीं खा लूंगा तुम फिर भूखी रहो. वो इतना कहकर चला गया. मैंने सोचा था कीं में भाग जाऊ लेकिन फिर सोचा कहां जाउंगी मेरे घर जा नहीं सकती में वही रोती रही.

भूखी शाम हो गई थी मुझे भूख लग रही थी ऐसी भूख मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी महसूस नहीं कीं थी. में मेरे कमरे कीं चौकठ पर बैठ गई रो रही थी.

पास के कमरे से एक औरत नें मुझे रोते देखा. और कहां क्या हुआ. मैंने कहां भूख लगी है. वो बोली इतनी सी बात उसने अपने कमरे से एक रोटी और थोड़ी दाल मुझे दी उसे मैंने खाया.

मैंने हर तरह के पकवान खाये लेकिन वो रोटी और दाल खा कर मुझे जो अनुभव हुआ लगा जैसे मैंने भगवान को पा लिया हो. रात हो गई थी में वो वापस आया.

आते ही उसने कमरे का दरवाजा लगा लिया. मुझे डर था कीं वो कहीं मेरे साथ जबरदस्ती ना करें. लेकिन वो चूप चाप एक कोने में सो गया.

इतने बड़े महल से एक कमरे में वो भी अजनबी के साथ. मैंने सोचा कीं अब में यह सब बर्दास्त नहीं करुँगी. में उस रात सोई नहीं और सुबह उसके उठने के पहले में कमरे से भाग निकली में अपने एक दोस्त के यहाँ गई.

लेकिन जब में उसके घर पहुंची तो उसने मुझे दरवाजे से अंदर नहीं आने दिया. बोला कीं तुम्हारे पापा का फोन आया था कीं अगर किसी नें तुम्हारी मदद कीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.

उसने मेरे मुँह पर दरवाजा बंद कर लिया. मैंने सोचा था कीं वापस उस कमरे में नहीं जाऊंगी. लेकिन कुछ ही घंटो में. में समझ गई कीं मेरे लिये अभी उससे ज्यादा सुरक्षित कोई जगह नहीं है.

इसलिये में वापस वही लौट आयी मुझे वापस देखकर वो बोला क्यों आ गई. तुम्हे मुझसे कोई बचा नहीं सकता. मैंने अपनेआप को इतना मजबूर पहले कभी महसूस नहीं किया.

में इसी तरह से वहाँ अपना जीवन काट रही थी. मुझे वहाँ रहते अब 10 दिन हो गये थे खाना में बना नहीं पाती थी जैसा भी बनता में खाती थी.

फिर एक दिन में चक्कर खा कर गिर गई. और जब मुझे होश आया तो में अपने पिता के घर थी. सामने मेरे पापा थे. उन्हें देखकर ही मुझे गुस्सा आ गया.

मैंने कहा आप मुझे यहाँ क्यों लें आये मुझे वही मरने क्यों नहीं दिया. उस कमरे में वो ड्राइवर भी था. पापा बोले बेटा मैंने तुझे कितना समझाया लेकिन तू नहीं मानी तो आखिर कार मुझे यह तरीका अपनाना पड़ा.

तुम जिस माहौल में रहकर 10 दिन में परेशान हो गई हो. उस जगह से उठकर मैंने यह सब बनाया है. तुम्हे यह सब ऐसे ही मिल गया तो तुम्हे इस कीं कोई कद्र नहीं रह गई.

तुम शराब के नशे में रहती हो. हमारे घर जो काम करते है तुम उन्हें इंसान ही नहीं समझती हो. कितने लोगों को तुमने मुझ से छिपा कर नौकरी से निकाल दिया.

तुम्हे पता है नौकरी क्या होती है. कैसे परिवार चलता है शायद तुम इन 10 दिनों में कुछ सिख पायी होगी. यह ड्राइवर नही अरुण है.

मेरे दोस्त और बिज़नेस मेन रमन का लड़का. यह तुमसे शादी करना चाहता था. मैंने ही इसे कहां था की तुम पहले उसे जान लो. तुम्हे उसने फॉलो किया तो वो समझ गया कीं तुम गलत रास्ते पर हो.

इसलिये हम दोनों नें मिलकर यह नाटक किया. ताकि तुम्हारी आंखे खुल सके. जिस रात तुम्हारी शादी करवाई थी उस रात भी तुम नशे में घर आयी थी.

पैसे और ज़िन्दगी कीं कद्र करो. सबके नसीब में यह नहीं होता है. यह सब मेरे लिये था मुझे सिखाने के लिये. और सच में इन सब से मेरी आंखे खुल गई.

में एक नयी इंसान ही बन गई. अरुण ने भी मेरा फायदा उठाने कीं कोशिश नहीं की. मुझे पता चल गया था कीं वो मुझसे कितना प्यार करता है. पिता कीं यह सिख मुझे एक नया इंसान बना गई.

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