एक रानी जिसे देखने के लिये कितने ही लोगो ने अपनी जान गवाई |Hindi kahani| Hindi suspnece story| Fairy Tale Story| नयी कहानी||

धरती कि सबसे सुन्दर रानी जिसे किसी नें नहीं देखा.

एक राज्य कीं राजकुमारी चित्रा कीं सुंदरता के चर्चे कई राज्य, दूर गाँव में थे.चित्रा कीं सुंदरता कीं सब कल्पना मात्र करते थे

क्यों कीं आज तक उस रानी को किसी नें देखा ही नहीं था.रानी के पिता नहीं रहें,ना ही उनकी माताजी है.पिता कीं मृत्यु के बाद वो ही अपने राज्य को संभाल रही थी.

वो रोज एक सभा लगाती थी औऱ उस सभा में सिर्फ उसे देखने के लिये दूर दराज के गाँव से कई लोग आते थे.कई राजकुमार औऱ राजा भी चित्रा को देखने आते थे.

रानी कीं सभा रोज एक खुले मैदान में लगती थी.राजा औऱ राजकुमार ना सिर्फ उसे देखने आते थे बल्कि उसके लिये कई राजा में युद्ध भी हो गया.

भरी सभा में रानी एक बड़े पर्दे के पीछे बैठी रहती थी. कभी कभी जब सभा को सम्बोधित करने के लिये बोलती थी तब उसकी आवाज पर ही ना जानें कितने श्रोता मोहित हो जाते.

रानी बहुत चतूर थी अपने राज्य पर आक्रमण ना हो जाये औऱ कोई उसे पाने के लिये सभा में ही उसे उठा ना लें जाये इसलिये रानी नें पहली ही सभा में यह घोषणा करवा दि थी,कीं वो अपने शयन कक्ष में ही बिना पर्दे के रहती है उसके शयन कक्ष में अगर कोई अकेला आकर रानी को देख लेगा, तो वो रानी उसी से विवाह कर लेंगी.

अगर ऐसा ना कर के वो सेना लेकर हमें जितने आया तो समझा जायेगा कीं वो कायर है. रानी कीं चतुराई के कारण कोई भी उसके राज्य पर हमला नहीं करता था.

रानी का शयन कक्ष किसी मधुमक्की के छत्ते से कम नहीं था कोई भी रानी तक अभी तक पहुंच ही नहीं पाया था. हर रात कई राजकुमार औऱ साधारण व्यक्ति कोशिश किया करते थे लेकिन अगले दिन उनकी देह में प्राण नहीं बचते थे.

कोई भी रानी के शयनकक्ष तक जानें वाले चक्रयूह को भेद नहीं पाया था. औऱ महल में रानी का कक्ष कहां है किसी को आज तक पता भी नहीं चला था. रानी के सेकड़ो पहरेदारों कीं नजर से कोई भी नहीं बच पाया था.

बस रानी कीं सुंदरता सबकी कल्पना में ही थी. रानी के लिये ना जानें कितनो नें अपने प्राण गवां दिये लेकिन कोई भी रानी कीं सुंदरता को देख नहीं पाया.

उसी राज्य में एक युवक था जिसका नाम था सरस युवक बड़ा ही साधारण था लेकिन बुद्धिमान था. उसे इस तरह एक स्त्री के लिये लोगों का मरना बड़ा दुखी करता था. वो कई को समझाता भी था कीं दिन रात एक अनदेखी रानी कीं इतनी चर्चा करना बेकार है.लेकिन शायद ही वो किसी को समझा पाया हो.

एक सुबह उसके गाँव का एक नवयुवक रानी को देखने कीं चेष्टा में अपने प्राण गवां बैठा. वो युवक सरस का मित्र भी था. उस दिन वो रोया भी औऱ मन में बस एक ही विचार कर रहा था कीं इसका अंत कब औऱ कैसे होगा.

फिर उस युवक नें पूरी रात्रि विचार किया. सुबह वो रानी कीं सभा के बाद पहरेदार के प्रमुख से मिला औऱ कहां कीं वो भी रानी कीं सेवा में सेना में शामिल होना चाहता है.

उस प्रमुख नें उससे कहां कीं यह तुम्हारे बस का काम नहीं है तुम्हे देख ही में जान गया कीं तुम युद्ध के लिये नहीं बने हो. सरस बोला कीं वो उसे किसी भी काम के लिये रख लीजिये.

सरस बोला कीं वो अच्छा भोजन बना सकता है औऱ पहरेदार को रात्रि में अन्न पानी तो चाहिये ही होता है. वो जी जान से सेवा करेगा. इस तरह कीं बाते करके वो सेना के लिये भोजन पानी का प्रबंध करने वाले समूह में आ गया.

करीब 6 माह तक वो मन लगा कर सेवा करता रहा. इस दौरान रानी को देखने कीं चाह लिये युवक भी आते रहें औऱ अपने प्राण गवाते रहें. फिर एक रात्रि लगभग 2 बजे उसने रसोई घर में खीर बनाई औऱ सभी पहरेदारों को खीर वितरित कीं कई नें मना किया,

कीं उन्हें सचेत रहना लेकिन उसने कहां कीं आज कोई नहीं आने वाला है क्यों कीं रात चांदनी है औऱ कोई मुर्ख ही आज आएगा. सभी पहरेदार को उसने खीर खिला दी. खीर खाने के कुछ समय बाद सभी मूर्छित हो गिर पड़े.

सरस ने खीर में बेहोशी कीं दवा मिला दी थी सरस अब रानी का कक्ष ढ़ूढ़ने लगा.6 माह से वो यहाँ है लेकिन इतना सख्त पहरा औऱ पाबंधी है कीं उसे भी पता नहीं है कीं रानी किस कक्ष में सोती है कुछ समय बीत जानें के बाद सरस को अब चिंता होने लगी क्यों कीं नशे कीं दवा का असर कभी भी समाप्त हो सकता था.

फिर उसे एक चौक में निचे तलघर में जानें का रास्ता दिखाई दिया. वो जैसे ही उस रास्ते पर गया वहाँ कक्ष के बाहर ही दो पहरेदार और थे. जिसका उसे पता ही नहीं था. वो छुप गया औऱ विचार करने लगा.

फिर उसने दिवार पर अपना सर दे मारा औऱ उन पहरेदार कीं तरफ लड़खड़ता हुआ गया. उसके सर से खून निकलता देख पहरेदार को लगा कीं इस बार उन्हें भी शायद जगह छोड़ ऊपर जाकर लड़ना होगा इसलिये दोनों अपना द्वार छोड़ लड़ने के लिये ऊपर भागे.

उनके जाते ही सरस खड़ा हुआ द्वार सामने था और रानी भीतर कक्ष में थी. एक बार के लिये तो उसकी धड़कने भी तेज़ हो गई. जिसे किसी नें नहीं देखा है उसे वो आज देखने जा रहा है. उसने द्वार खोलने के लिये द्वार पर हाथ लगाया औऱ धक्का मारा लेकिन वो द्वार नहीं खुला द्वार पर निचे एक बड़ा ताला उसे दिखाई ही नहीं दिया.

उसने सोचा कीं अब उसकी जान गई क्यों कीं कुछ समय में पहरेदार होश में आए जायेंगे औऱ वो पकड़ा जायेगा. उसने कैसे सोच लिया कीं जिस रानी के लिये इतने पहरेदार लगे उसके द्वार पर कोई ताला नहीं होगा.

लेकिन फिर उसकी आँखे चमक उठी क्यों कीं पहरेदार कीं चाबी उनके भागते वक्त वही गिर गई थी. अब उसने बिलकुल भी देर नहीं कीं औऱ चाबी लेकर द्वार खोल दिया. कक्ष के भीतर आकर उसने द्वार जल्दी से बंद किया औऱ फिर ताला लगा लिया.

अब उसने पहले एक गहरी सांस ली फिर आंखे खोली तो उसे दिखाई दिया एक आलिशान कक्ष, सुगंधित पुष्प भाती वो कक्ष सुगंध दे रहा था. लेकिन कक्ष में प्रकाश कम था वो रानी के बिस्तर के पास गया.

उसके कदमो कीं सरसराहट से रानी कीं नींद खुल गई औऱ वो घबरा कर उठ कर बैठ गई. रानी के कक्ष में पहली बार कोई आया था. रानी नें पहले अपने चेहरे पर पर्दा किया फिर लड़खड़ाते शब्दो से पूछा कौन है.

सरस बोला अभी तक तो साधारण हूं लेकिन आपका मुख देखने के बाद हो सकता है कीं साधारण ना रहूँ.रानी घबरा कर खड़ी हो गई. सरस बोला कीं अब यह पर्दा क्यों अब तो में इस शयन कक्ष तक आ गया अब तो मुझे वो चहेरा दिखा दीजिये जिसने ना जानें कितनो कीं जान लें ली.

अब तो प्रकाश में आ जाईये. रानी नें अपना पर्दा हटाया औऱ प्रकाश में आयी. युवक सरस नें देखा औऱ चौक गया. क्यों कीं लोगों के द्वारा रानी कीं जिस तरह कीं कल्पना कीं जा रही थी रानी उसके बिलकुल विपरीत थी.

रानी का रंग साफ नहीं था औऱ ना ही चहेरे पर आभा थी. युवक उसे देख कर हँसा औऱ कहां कीं अच्छा इसलिये आप अपना चेहरा छिपाये बैठी थी क्यों कीं तुम्हे लगता है कीं यह दिखाने योग्य नहीं है.

रानी अब सर निचे कर चुप चाप युवक कीं बात सुन रही है. फिर रानी कहती है स्त्री सुन्दर ना हो तो कौन विवाह करता है. क्या तुम अब मुझे देखने के बाद मुझसे विवाह करोगे. तुम पुरुष किस तरह कीं स्त्री चाहते हो मुझे पता है.

जरा सोचो एक अकेली स्त्री वो भी अगर सुन्दर ना हो तो कैसे औऱ कब तक अपने राज्य को बचा पाती यह मेरी चतुराई है कीं में अभी तक रानी हूं किसी के अधीन नहीं हूं. सरस बोला तुम्हारी चतुराई नें ना जानें कितने प्राण लिये तुम्हे पता है.

रानी बोली प्राण मैंने नहीं उनकी सुन्दर स्त्री कीं चाह नें लिये. तुम बताओ अगर तुम पहले ही जानते कीं में सुन्दर नहीं हूं तो क्या अपने प्राण कीं बाजी लगा कर यहाँ तक आते. तुम मुझसे विवाह करो अपनी पत्नी कीं सुंदरता का भ्रम इसी तरह लोगों में बनाये रखो.

तुम्हारा भी मान बडेगा कीं जिसे कोई नहीं पा सका उसे तुमने पा लिया. सरस कुछ सोचने लगा. उसे सोचता देख रानी नें कहां कीं तुम यहाँ से जीवित नहीं जा सकते तुम्हे वही करना होगा जो में कह रही हूं.

सरस मुस्कुराते हुऐ बोला हां में तुमसे विवाह जरूर करूँगा. रानी उसकी बात सुनकर खुश हुई लेकिन उसकी ख़ुशी ज्यादा देर कीं नहीं रही. सरस नें एक कपड़ा निकाला और रानी के मुँह पर रख दिया.

रानी बेहोश हो गई. सरस रानी को उठा कर महल के गुप्त द्वार से होता हुआ. पास ही कीं अपने घर लें गया और वहाँ लें जाकर उसे बाँध दिया. सरस जल्दी से फिर अपने घर से राजमहल में आया.

कुछ पहरेदारों को होश आ गया था वो भी उनसे बचता हुआ लड़खड़ता हुआ उनके पास गया उसने ऐसा दिखाया कीं यह एक बहुत बड़ी योजना थी खीर में किसी नें कुछ मिला दिया था जिससे हम सभी बेसुध होकर गिर पड़े.

राजमहल के मंत्री गण रानी के कक्ष में पहुँचे. रानी वहाँ नहीं थी. रानी को कोई लें गया था.उन्होंने सुबह राज्य में घोषणा करवा दी कीं रानी को जो भी लें गया है हम उसे अपना राजा मानते है. रानी को लेकर वापस महल में आ जाये.

सरस अब राजमहल से जब अपने घर वापस गया तो उसमे रानी को खोला और उसे भोजन दिया रानी नें कहां कीं तुम अब जीवित नहीं रहोगे. तुमने मुझे यहाँ बंधक बनाया है. सरस नें कहां कीं अब तुम मेरी पत्नी हो तुम्ही यही रहना होगा मेरे साथ. तुम्हारा यही प्रायश्चित है.

रानी बोली कीं वो अभी यहाँ से जा रही. सरस नें बोला जाओ लेकिन जल्दी वापस आना. रानी वहाँ से भागते हुऐ अपने महल कीं ओर गई. महल पर पहुंची तो द्वार पर ही सिपाहियों नें उसे रोक दिया.

रानी बोली में रानी हूं इस महल कीं तुम्हारी महारानी. सिपाही उसे देख हॅसने लगे बोले जा यहाँ से अपनी शक्ल देख. उन्होंने द्वार पर से उसे हटा दिया.

रानी को समझ आए गया था कीं सरस नें चतुराई से उसके साथ यह खेल खेला है. रानी को किसी नें नहीं देखा है. इसलिये अब वो कुछ भी करें उसे कोई पहचानेगा नहीं. वो वापस सरस के पास लौट आयी.

सरस नें उसे कहां आए गई. चलो अब कुछ खा लों. रानी वही रहने लगी ओर दिनचर्या के काम करने लगी. महल में अभी तक किसी को नहीं पता रानी कहां गई. मंत्री नें राज्य अपने हाथ में लें लिया.

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