नौकरानी का सच|Hindi kahaniya||Bed Time Stories| Majedar kahaniyan| Hindi moral story|Suspence Story| कहानियाँ||

यह कहानी एक पति, पत्नी कीं है. पत्नी नें एक नई नौकरानी रखी. लेकिन ऐसा कुछ होता है जिससे पत्नी को लगता है कीं उसका पति उसे पहले से जानता है. पढिये यह Suspence story. इसी तरह कीं majedar kahaniya और Hindi moral story आप यहाँ पढ़ सकते है.

नौकरानी का सच|Hindi kahaniya||Bed Time Stories| Majedar kahaniyan| Hindi moral story|Suspence Story| कहानियाँ||


मेरा नाम सुमन है. में और मेरे पति राजेश एक बड़े शहर में रहते है. उनकी अच्छी नौकरी है. शादी के बाद में राजेश के साथ ही उनके फ्लैट में रहने आ गई थी

वो यहाँ करीब 1 साल से रहते थे. वो सुबह काम पर चले जाते थे में घर में अकेली रहती थी. शादी के पहले से ही मुझे घर का काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

मैंने घर का काम करने के लिये एक नौकरानी रखी. उसे मेरी बिल्डिंग में काम करने वाली से पता चला था कीं मुझे नौकरानी कीं जरुरत है.

उसने अपना नाम राखी बताया. दिखने में सुन्दर थी. वो हमारे बिल्डिंग के पास कीं बस्ती में ही रहती थी. वो जब मुझसे बात करने आयी तो मैंने उसे रख लिया

और अगले दिन से काम पर बुला लिया. अगले दिन सुबह सुबह ही वो मेरे दरवाजे पर आ गई. राजेश के ऑफिस का टाइम सुबह 9 बजे का है.

वो रसोई घर में अपना काम कर रही थी. राजेश ऑफिस के लिये तैयार होकर बाहर नाश्ता करने के लिये आये. आते ही उन्होंने राखी को देखा.

राखी को देखते ही वो किसी सोच में पड़ गये. और राखी नें जब उन्हें देखा तो उसके चेहरा भी बदल गया.

राखी उन्हें कुछ देर ऐसी ही देखती रही फिर अचानक उसकी नजर मुझ पर पड़ी. जब उसे दिखाई दिया कीं में उसे देख रही हूं

तो हड़बड़ा कर वो फिर अपने काम में लग गई. राजेश के साथ भी ऐसा था. राजेश और राखी जिस तरह से एक दुसरे को देख रहें थे.

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उससे ऐसा लग रहा था कीं यह दोनों कीं पहली मुलाक़ात नहीं है. मैंने राजेश से पूछा कीं क्या तुम इसे जानते हो. वो बोले कीं हाँ देखी सी लग रही है

शायद यही बिल्डिंग में काम करती होगी आते जाते देखा होगा. मैंने भी सोचा हाँ हो सकता है. उनके जानें के बाद मैंने राखी से बात की. पूछा कीं पहले इस बिल्डिंग में कहां काम किया है.

वो बोली नहीं मैडम यहाँ तो में पहली बार आयी हूं. राखी फिर मुझसे पूछती है. मैडम यह आपके पति है. मैंने बोला हाँ क्यों क्या हुआ.

वो बोली नहीं मैडम कुछ नहीं. बस ऐसी ही पूछा. अगले दिन राखी काम पर आयी मैंने रात तक कुछ काम किया तो मेरी नींद देर सी खुली.

में अपने बिस्तर पर सो रही थी. राजेश उठ कर तैयार हो रहें थे. थोड़ी देर बाद जब मेरी नींद खुली तो राजेश कमरे में नहीं थे

में उठ कर बाहर किचन कीं ओर गई में दरवाजे पर गई तो जो मैंने देखा वो मैंने सोचा नहीं था राजेश गुस्से में थे और राखी उनके आगे हाथ जोड़ रही थी.

एक मिनट के लिये मुझे लगा कीं कहीं में सपना तो नहीं देख रही. उन दोनों नें अभी मुझे नहीं देखा था. मैंने वही खड़े होकर उनकी बात सुनने कीं कोशिश कीं

लेकिन उसी पल राखी कीं नजर मुझ पर पड़ गई और वो फिर अपने काम में लग गई.

राजेश मुझे देख कर मेरे पूछे बिना ही बोले कीं में यहाँ यह देखने आया था कीं नाश्ता बना कीं नहीं. ऑफिस में लेट ना हो जाऊ.

मेरे मन में अब शक आ गया था कीं कुछ ना कुछ बात तो है जो यह दोनों छिपा रहें है. मेरा मन अब कई तरह के विचार सोचने लगा.

राजेश के ऑफिस जानें के बाद मैंने अब राखी से पूछा. क्या बात कर रहें थे वो तुमसे उसने कहां मैडम कुछ नहीं. उसने भी मुझे कुछ नहीं बताया

मैंने सोचा कीं उसे नौकरी से निकाल देती हूं. लेकिन फिर मैंने सोचा कीं अभी उसे निकाल दूगी तो पता कैसे चलेगा कीं बात क्या है.

में दिन भर यही सोचती रही. सोच रही थी कीं उनसे सीधे सीधे पूछ लेती हूं. शाम को वो घर आये. हम बैठ कर एक साथ खाना खा रहें थे.

राखी किचन में खाना बना रही थी. मैंने ऐसे ही कहां कीं दाल में नमक ज्यादा डाल दिया है.

कैसा खाना बनाया है.राजेश राखी के सामने ही कहने लगे, नहीं ठीक है. अच्छा है. ऐसा ही खाना बनाती रहना. मेरे पति यह क्या कर रहें थे.

एक नौकरानी कीं इतनी तरफदारी. रात मैंने फिर सोचा कीं उनसे पूछूं लेकिन मुझे पता था कीं वो फिर यही कहेगे की कुछ नहीं.

रात को ही मैंने सुबह के बारे में सोच लिया था कीं मुझे क्या करना है. में सुबह फिर बिस्तर पर आँख बंद करें लेटी रही. राजेश उठ कर तैयार हो रहें थे.

मुझे लगा था कीं आज भी शायद यह किचन में जायेंगे. और वैसा ही हुआ वो किचन में गये, में भी चुपके से उनके पीछे गई यह देखने कीं आज राजेश क्या करने वाले है.

राजेश नें आज भी कुछ किया. आज राजेश राखी को रूपये दे रहा था. मेरे घर में यह क्या हो रहा था.3 दिन में इस नौकरानी ने मेरे पति पर ऐसा क्या जादू चला दिया.

मैंने भी सोच लिया कीं मुझे क्या करना था. उस शाम राजेश घर आये. घर आने के बाद उन्होंने कहां कीं राखी को बोलो कीं चाय बना दे.

मैंने कहां कीं चाय में बना देती हूं. वो बोले कीं क्यों वो नहीं आई. मैंने कहां कीं आपको उसकी इतनी फ़िक्र क्यों हो रही है. मैंने उसे काम से निकाल दिया.

अब नहीं आएगी. राजेश बोले क्या, क्यों कुछ किया क्या उसने. मैंने कहां हां उसने पैसे चुराये थे.

राजेश बोले कीं अरे उसने चुराए नहीं थे मैंने दिये. बस यही में सुनना चाहती थी मैंने बोला क्यों अपने क्यों दिये. वो भी इतने पैसे किस बात के लिये

कौन सी बात नहीं बोलने के पैसे आप उसे दे रहें थे. राजेश बोले तुम पागल हो गई हो. तुम पूछ रही थी कीं में उसे जानता हूं या. तो सुनो

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राखी कीं एक लड़की है. करीब 7 साल कीं. वो रोड पर खेल रही थी. मेरी कार से टकराते हुये बची. लेकिन वो डर कर गिर गई.

राखी का पति शराबी है. उस दिन वो मुझसे लड़ने आया. राखी भी उसके साथ थी. भीड़ जमा हो गई थी. वो मुझसे बिना बात पैसे मांगने लगा.

उस समय राखी नें भी उसका साथ दिया. नशे में वो कुछ भी कह रहा था इसलिये मैंने बात को ख़त्म करने के लिये उसे पैसे दिये. राखी को देखती ही में पहचान गया था.

वो मुझ से कह रही थी कीं उस दिन के लिये मुझे माफ़ कर दो मुझे भी कुछ पैसे चाहिये थे इसलिये मैंने पति का साथ दिया.

अब वो उसके पति से अलग रहने लगी और उसकी माँ और बच्ची कीं जिम्मेदारी उस पर है.

इसलिये वो कह रही थी कीं उसे नौकरी से मत निकालना मैडम को वो बात मत बताना नहीं तो मुझे भगा देंगी. इसलिये मैंने उसे कुछ पैसे दिये ताकि वो अपना घर चला सके.

उसकी आँखों में मुझे ईमानदारी लगी. और तुमने उसे निकाल दिया. यह काम उसके लिये सहारा है लड़ने का भूख से गरीबी से.

वो मेहनत कर रही है. कुछ गलत काम नहीं कर रही है. मुझे उनकी बात सुन बहुत अफ़सोस हुआ. मुझे ना वो सब सोचना चाहिए था. ना उसे काम से निकालना था.

मैंने कही से उसका नम्बर माँगा और फिर उसे काम पर बुलाया. जब वो आयी तो उसकी आँखों में आंसू थे. मैंने कहा कीं

तुमने तो मुझे बहुत कुछ सीखा दिया मुझे माफ़ कर दो. राखी अभी भी हमारे यहाँ है. बहुत मन लगा कर काम करती है.

उसकी बच्ची भी आती है. बहुत प्यारी है. भगवान मेहनत करने वाले के साथ है.

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