15 दिन नयी दुल्हन का मुँह देखना अशुभ..|Suspence story hindi | Bed times story | Hindi Moral story| Kahaniyan||

शादी के बाद अशोक को उसके माता पिता नें उनके परिवार कीं एक अजीब प्रथा बताई. आखिर सच में यह प्रथा थी या कुछ छिपाया जा रहा था. जानने के लिये पढिये पूरी कहानी. यह एक Suspense thriller story है.


15 दिन नयी दुल्हन का मुँह देखना अशुभ..|Suspence story hindi | Bed times story | Hindi Moral story| Kahaniyan||


मेरा नाम अशोक है. में एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं. मैंने मेरे घरवालों को कहां था कीं जब तक में अच्छी नौकरी नहीं करता शादी नहीं करूँगा.

में बैंक के लिये तैयारी कर रहा था.जिसमे काफ़ी समय लग गया. इस कारण मेरी उम्र 32 साल कीं हो गई. लेकिन मेरी नौकरी अच्छी लग गई थी.

अब मेरे घरवालों को मेरी शादी कीं चिंता सताने लगी थी.उन्होंने कई जगह मेरे रिश्ते कीं बात चलाई लेकिन कुछ बात नहीं बनी हर जगह कुछ ना कुछ समस्या हो जाती थी.

इन्ही सब बातों में एक साल और बीत गया. मेरे मम्मी और पिताजी को अब ज्यादा टेंशन होने लगी थी. वो सुबह शाम बस मेरी शादी कीं ही फ़िक्र किया करते थे.

लेकिन फिर एक दिन उनकी कोशिश रंग लायी काफ़ी दिनों तक ढ़ूढ़ने के बाद एक रिश्ता आया था जो घरवालों को जमा था. वो लोग गाँव के थे और हम से गरीब थे.

घरवालों नें मुझे उस लड़की कीं तस्वीर दिखाई लड़की अच्छी थी. में कही और शहर में नौकरी करता था मम्मी और पापा नें लड़की को उसके घर जाकर देखा था.

मुझे भी कहां था लेकिन में आ नहीं पाया. मम्मी को लड़की पसंद आ गई थी.मम्मी नें कहां कीं अब बस शादी जल्दी से करना है. शादी का ऐसा योग बन रहा था कीं या

तो शादी 15 दिन हो या फिर 2 साल बाद लेकिन अब शादी को टाला नहीं जा सकता था. इसलिये शादी 15 दिन में होना ही तय हो गया था.

इतने कम समय में अब मेरा लड़की देखना जाना हो नहीं सका. इसलिये में अब शादी के लिये ही छुट्टिया लेकर आ गया. में शादी के 5 दिन पहले ही आ गया.

शादी कीं तैयारियां चल रही थी.बहुत जल्द में सब तैयारियां पूरी करनी पड़ी. और फिर शादी का समय आ गया. शादी वाले दिन हम लोग बारात लेकर लड़की वालों के यहाँ पहुंच गये.

वहाँ सब कीं चेहरे देख मुझे कुछ अजीब सा लगा. मुझे एक छोटे कमरे में ठहराया गया. मैंने पापा से पूछा. पापा यहाँ सब ठीक है ना पापा नें बोला सब थी है.

शादी गाँव कीं थी फेरो के समय भी लड़की नें अपना मुँह घूँघट से ढाका हुआ था. शादी के बाद विदाई होकर हम सब लोग अपने घर आ गये.

घर आने पर मेरी सुहागरात के पहले ही मेरी मम्मी और पापा मुझे अकेले में ले जाकर कुछ ऐसा बताते है जो मैंने पहले नहीं सुना.

वो बोले कीं हमारे घर में एक रिवाज़ और प्रथा है कीं शादी होने के 15 दिनों तक दूल्हा अपनी दुल्हन का मुँह नहीं देखता. मैंने बोला यह क्या आज से पहले तो अपने इसके बारे में मुझे पहले नहीं बताया.

वो बोले कीं पहले नहीं बता सकते थे क्यों कीं पहले बताना अशुभ होता इसलिये यह शादी के बाद ही बताया जाता है. मुझे समझ नहीं आ रहा था कीं.

यह बात एकदम से कैसे आ गई. लेकिन फिर मम्मी पापा के ज्यादा ज़ोर देने के बाद मुझे मानना ही पड़ा. पिताजी नें मुझे एक काला कपड़ा भी दिया कहां कीं इसे बाँध कर ही कमरे में जाना.

गलती से इसे खोलना नहीं. मेरे मन में कई तरह के सवाल और विचार आ रहें थे लेकिन मुझे उनकी बात माननी ही पड़ी. क्यों कीं वो जिस तरह से मुझे समझा रहें थे

मुझे उनकी आँखों में थोड़ा डर भी लगा इसलिये मैंने उनकी बात ली.में काला कपड़ा लेकर अपने कमरे में गया. दरवाजा बंद किया और मेरी पत्नी सेज़ पर मुँह ढाके पहले ही बैठी.

मैंने अभी काला कपड़ा अपनी आंख पर नहीं बाँधा था. में उसके पास गया तो सबसे पहले जो उसने कहां वो था. आपको मम्मी पापा नें सब समझा दिया है ना.

मैंने पूछा उन्होंने तुम्हे भी कहां है. वो बोली हां मुझे भी उन्होंने कहां है और हमें उसका पालन करना होगा. आपको सिर्फ मेरा मुँह नहीं देखना है

15 दिनों तक. मेरी पत्नी मेरे सामने थी लेकिन में उसका मुँह नहीं देख सकता था. मैंने अपना काला कपड़ा उसे दिया और उसकी ओर पीठ करके बैठ गया.

उसने कपड़ा मेरी आँखों में ज़ोर से बाँध दिया. कपड़ा बाँधने के बाद मैंने उसको हाथो को अपने हाथ में लिया. बहुत ही कोमल थे.

उसके बाद मैंने करीब आधी रात तक उससे बहुत बात कीं. मैं उसे नहीं देख पा रहा था लेकिन उसकी तस्वीर मैंने देखी थी. इस तरह बंद आँखों के बीच हमारे नये जीवन कीं शुरुवात हो रही थी.

दिन में भी इस बात का विशेष ध्यान रखना पड़ता था. वो पूरा समय घूँघट में ही रहती थी. शादी के पहले मुझे प्यार क्या होता है. इसका पता नहीं था.

लेकिन शादी के बाद मुझे अपनी पत्नी से प्यार हो गया था. में बड़ी बेशब्री से 15 दिन ख़तम होने का इंतजार कर रहा था. दिन दिन निकलते रहें और मेरा प्यार बढ़ता गया.

आखिर 15 दिन हो गये मैंने अपनी मम्मी और पापा से कहां कीं आज 15 दिन पुरे हो गये है कुछ पूजा या दूसरा उपाय तो नहीं करना.

उन दोनों के चेहरे पर एक अजीब से घबराहट थी. मुझे समझ नहीं आया कीं क्यों. वो लोग बोले नहीं कुछ नहीं. मैंने उनसे फिर पूछा कीं क्या कुछ बात है

आप इस तरह से क्यों लग रहें है. वो बोले कुछ नहीं.उस रात में कमरे में गया. अब मेरे हाथ में काला कपड़ा नहीं था. मेरी पत्नी आज भी घूंघट ओढ़े बैठी थी.

मैंने जाते ही उसे कहां कीं आज यह घुंघट क्यों. मेरी पत्नी मुझे कहती है कीं में आपसे कुछ सवाल पूछना चाहती हूं. मैंने बोला पूछो. वो बोली आप मुझसे कितना प्यार करते है.

मैंने बोला कीं 15 दिनों में तुम्हे पता नहीं चला. उसने कहां कीं इतने दिनों तक आप नें मुझे देखा नहीं था. अब सोचो कीं आपको ऐसा कुछ देखने को मिल जाये

जो आपने सोचा भी नहीं था तो भी आप मुझसे उतना ही प्यार करेंगे या नहीं. मुझे उसकी यह बात समझ नहीं आयी.मैंने कहां कीं तुम यह क्या बात कर रही हो.

में तुमसे प्यार करूँगा तुम मेरी पत्नी हो. वो चूप हो गई. फिर आखिर कार मैंने वो किया जो में करना चाह रहा था. मैंने उसका घूँघट उठाया.

और घूँघट उठाते ही जब मैंने उसकी शक्ल देखी तो मुझे यकीन नहीं हुआ. यह वो लड़की नहीं थी जिसकी मुझे तस्वीर दिखाई गई थी.

यह तो कोई और ही लड़की थी. मैंने उससे पूछा कौन हो तुम. वो बोली मेरी आवाज तो आप जानते है. में वही हूं आपकी पत्नी.

मैंने आवाज लगाकर अपने मम्मी और पापा को बुलाया. मेरी आवाज सुनकर वो कमरे में आये. मैंने बोला अच्छा तो यह सब नाटक आपने इसलिये किया

यह लड़की कौन है आपने मुझे तस्वीर तो किसी और कीं दिखाई थी. उनके चहरे पर घबराहट थी. मेरी माँ बोली बेटा हम इसी बात से डर रहें थे बड़ी मुश्किलों से हमने तेरे लिये रिश्ता ढूंढा था.

वो लड़की इसकी बड़ी बहन थी. शादी के 2 दिन पहले वो घर से चली गई वो तुझसे शादी नहीं करना चाहती थी.यह लोग फिर शादी से मना करने लगे लेकिन हमने इसके पिता पर दबाव डाला था. धमकाया था.

पहचान बताई. तो उन्होंने दबाव में उसकी 2 साल छोटी बहन से तेरी शादी करवा दी. हम तुझे बताते तो तू हमें ऐसा नहीं करने देता. सच जान कर तू कभी शादी नहीं करता इसलिये तुझसे छिपाया.

तुम दोनों सही मायने में पति पत्नी बन जाओ इसलिये 15 दिन वाला नाटक किया ताकि बाद में तू इसे छोड़ नहीं सके. उनकी बात सुनकर मुझे यकीन नहीं हुआ.

मैंने कहां कीं आपने अपने बेटे कीं शादी के लिये किसी को धमकाया. आपने मुझे भी झूठ बोला आपको शर्म नहीं आयी. आपने इस लड़की कीं मर्जी के बिना जबरजस्ती मुझसे शादी करवा दी.

उसके बाद भी यह आप लोगों कीं बात मान रही है.मम्मी और पापा बोले कीं हमने यह सब तेरे लिये किया. मैंने कहां यह आपने मेरे लिये नहीं अपने लिया किया

ताकि मेरी शादी के बोझ से आप बरी हो जाये. अगले दिन में बिना कुछ बोले सुबह अपने काम पर चला गया.लेकिन वहाँ जानें पर मुझे लगा कीं इसमें उस लड़की कीं क्या

गलती है वो पहले ही जबरजस्ती का शिकार हुई है. में यही सोचता रहा. और मुझे उसकी आवाज से भी प्यार हो गया था. में 2 दिन बाद ही अपने घर वापस आया.

में उसे लेकर उसके घर गया उसके घरवालों से माफ़ी मांगी. उनकी आँखों में आँसू थे. फिर मैंने उससे पूछा क्या तुम मुझसे प्यार करती हो.

वो बोली कीं में अपनेआप को खुशकिश्मत मानती हूं. कीं आप जैसा पति मुझे मिला. जो भी हुआ वो हम दोनों को मिलाने के लिये ही हुआ था.

में आपके लिये और आप मेरे लिये ही बने थे. तभी अपनेआप राश्ते बनते गये.उसकी इन्ही बातो पर में उसे और ज्यादा प्यार करने लगता हूं. अब मेरा फर्ज़ है कीं में उसे दुनियाँ भर कीं खुशियाँ दू.



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