यह कहानी एक love story है. जहाँ लड़की के घरवाले लड़के पर बहुत भरोसा करते है. लेकिन जब लड़की को शादी पक्की होती है तो क्या होता है. Kahani अंत तक जरूर सुनें.
भरोसा||Emotional love story|Moral story in hindi|Bed time stories|Heart touching love story||
मेरा नाम राजेश है. आज आपको में अपनी कहानी सुनाने वाला हूं. मेरे घर के ठीक सामने एक लड़की आयी वो अपने मामा के घर पर आयी थी.
उसका नाम दिया था. मेरी उम्र करिब 21 साल कीं है और दिया भी मेरी ही उम्र कीं है. जब पहली बार देखा तब देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया.
लेकिन उसने मेरी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. में अपने घर के बाहर ही बैठ कर उसकी एक झलक का इंतज़ार करने लगा. इस उम्र का प्यार बड़ा सच्चा होता है.
दिया से कैसे बात करू में यही सोचता रहता था. फिर दिया कीं बातें मेरी छोटी बहन से होने लगी. मुझे अच्छा लगा लगा कीं इसे बहाने में भी दिया से बाते कर सकूंगा.
धीरे धीरे वो हमारे घर आने लगी. में भी कभी कभी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा देता था और बदले में उसकी मुस्कुराहट पा कर मुझे इतनी ख़ुशी होती थी.
दिया अपने मामा के यहाँ उनके एक रिलेटिव कीं शादी में आयी थी. दिया मेरी बहन के साथ शादी कीं शॉपिंग करने जाया करती थी.
में भी उनके साथ रहता था. मेरे लिये अब यह सब एक सपने जैसा ही था. कीं दिया के साथ में घूम रहा हूं उससे बाते कर रहा हूं.
में प्यार में उड़ने लगा था. दिया के जिस रिलेटिव कीं शादी थी वो हमें भी जानते थे. में सारा दिन अपनी बहन और दिया के साथ वही रहता था.
शादी में काम करना मैनेज़ करना यह सब काम में करने लगा.उसकी मम्मी भी अब मुझे पहचानने लगी थी. मुझे पर भरोसा करती थी.
मुझ पर इतना भरोसा हो गया था कीं दिया को मेरे साथ अकेले ही कुछ भी खरीदने और समान लाने भी भेज दिया करती थी. उसकी मामी जो हमारे सामने ही रहती थी.
वो तो पहले ही मुझे अच्छे से जानती थी.में अभी के लिये तो सुबह शाम दिया के साथ ही रहता था.मुझे प्यार हो गया था. सपना देखने लगा था शादी का.
मेरे दोस्तों को पता चल गया और वो अब मेरी टांग खींचने लगे. मुझे चिढ़ाने लगे. बोलते थे कीं दिया को बता दे. में मना करता था.
दिया का मुझे पता नहीं था उसके मन में क्या है. लेकिन उसकी आँखों में मुझे मेरे लिये कुछ दिखाई देता था. मैंने अपने दोस्तों कीं बातो को मान लिया और मैंने उसे प्रपोस करने का सोचा.
उनके रिलेटिव कीं शादी के बाद मैंने उसे प्रपोस करने का सोचा. शादी हो गई. शादी के बाद भी हमारी बाते शुरू रही. सोचते सोचते वक्त निकला जा रहा था
मैंने सोचा था कीं आज बोलूंगा कल बोलूंगा इसी में समय निकलता जा रहा था. इस दौरान उसकी मम्मी को कुछ काम आने कीं वजह से जाना पड़ा.
दिया अभी भी वही थी. मैंने एक शाम अपनी घर कीं छत पर जब दिया और हम दोनों अकेले थे तब दिया को प्रपोस कर दिया. मैंने उसे कहां कीं में उसी से शादी करना चाहता हूं.
वो मुझे देखती रही और थोड़ी देर बाद बोली कीं वो भी मुझसे प्यार करती है. सुनकर मेरे कानो को यकीन नहीं हुआ. फिर बोली कीं उसे कुछ बताना है.
इतने में मेरी बहन वहाँ आ गई और वो चूप हो गई. उसके चहेरे पर भी एक अजीब सी ख़ुशी थी.वहाँ से चली गई उस रात मुझे नींद नहीं आयी.
में अपने और दिया के सपने संजोने लगा.फिर सुबह होते ही दिया कीं मामी मेरे घर आ गई.वो कहने लगी कीं दिया को में उसके घर छोड़ के आ जाऊ क्यों कीं उसकी मम्मी है नहीं.
इसलिये उसे अकेले नहीं भेज सकते. मैंने पूछा क्या हुआ. उन्होंने बताया कीं दिया कीं शादी तय हो चुकी है. और लड़के कीं दादी बहुत बीमार है वो कह रही है कीं उसके सामने ही शादी हो जाये तो अच्छा.
शादी तो अभी 6 महीने बाद थी लेकिन. अब शायद 10 दिनों में ही करनी पड़े. उसकी मम्मी भी इसलिये ही गई थी.
उनकी बाते सुनकर जैसे मेरे दिल के टुकड़े टुकड़े हो गये. उसका घर हमारे यहाँ से करीब 60 किलोमीटर था. में उसे बाइक पर उसके घर छोड़ने वाला था.
मैंने भी सोचा कीं में इतने दिन रुका एक रात और रुक जाता तो दिया को पता नहीं चलता. और ना ही मुझे कीं वो मुझसे प्यार करती है है.
दोपहर को हम लोग जानें वाले थे. इस दौरान मेरे दोस्त को भी पता चल गया था. वो मुझे कह रहा था कीं अगर लड़की कीं हां है तो तू उसे भगा लें.
में बाइक लेकर तैयार था वो अपना छोटा सा बेग लेकर आयी और पीछे बैठ गई. बाइक में चला रहा था और मेरे मन में कई ख्याल थे.
मेरे दोस्त नें जो बोला था वो भी में सोच रहा था. उसने जिस तरह से मेरे कंधे पर हाथ रखा था मुझे पता लग गया था कीं उसके दिल में भी शायद यही चल रहा है.
लेकिन हम दोनों ही चूप थे. ख़ामोशी हमारी मज़बूरी बयां कर रही थी. उसकी मम्मी और उसकी मामी को मुझ पर इतना विश्वास था कीं उन्होंने अकेले ही इसे मेरे साथ भेज दिया.
मेरे प्यार पर उनका विश्वास भारी पड़ गया था.मैंने उसे उसके घर छोड़ दिया. बाइक से वो निचे उतरी. उसकी मम्मी मेरे आते ही मुझे देख कर कहने लगी
चल अंदर चल धूप में इतना चला कर लाया है. खाना खाये बिना उन्होंने मुझे आने नहीं दिया. उसके बाद में वहाँ से निकल गया.
वहाँ से निकलने के बाद मेरे अंदर एक अजीब सी शांति थी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
जब कभी कोई हमें अपने दिल में अपने घर में जगह देता है तब हमारा फर्ज़ होता है उनके विश्वास को ना तोड़ा जाये. वरना कोई किसी पर भरोसा नहीं करेगा.