यहाँ पर आपको 3 कहानियाँ पढ़ने मिलेंगी जो जो आपको बहुत कुछ सिखाएगी. यह Hindi stories, hindi motivational कहानियाँ है.यह तीनो प्रेरणादायक हिंदी कहानियाँ, हिंदी मोटिवेशनल कहानी है.
कहानी
पहली कहानी में एक बुजुर्ग नें कैसे एक नव युवक को मोटिवेट( motivate )किया. साथ ही उसे 3 बातें बताई जो उन्हें उनके गुरु नें बताई थी.
2 कहानी है एक लड़की कीं जिसके पिताजी का देहांत हो गया है कैसे उसके साथ एक चमत्कारिक घटना होती है.
3- कहानी में एक महात्मा कैसे एक महिला कीं आंखे खोल कर उसके लालच (greed)को हमेशा के लिये ख़त्म कर देते है.
नमस्कार
Motivational story
how to attract people
Life lesson story
एक बुजुर्ग लगभग 70 कीं उम्र के, पार्क में सुबह सुबह रोज नियमित रूप से टहलने जाते थे. पार्क में सुबह- सुबह एक शख्स जिसका नाम सूरज था.
हेल्थ ज्यूस का स्टाल लगाता था, जिसमे चुकुन्दर, आवला, नीम आदि होते थे. वो शख्स अक्सर स्टाल पर खड़ा रहता और उस बुजुर्ग को देखता था
उनमें एक अलग ही आकर्षण था. उनका नाम मोहन जी था. मोहन जी पार्क में जब आते थे तब उनके सामने कोई भी आये चाहे वो उन्हें जानते हो या नहीं, वो उनको नमस्कार बोल कर विश करते थे.
मोहन जी के साथ एक अलग ही ऊर्जा आती थी. चेहरे पर स्माइल. वो रोज सुबह उस स्टाल पर ज्यूस लेते थे. लेकिन मोहन जी कभी सूरज कीं तरफ ना ठीक से देखते ना बोलते और ना ही उसे नमस्कार करते.
सूरज स्वभाव से थोड़ा शर्मिला था. वो ज्यादा बोल नहीं पाता था. इस कारण उसके स्टाल पर ज्यादा लोग आते भी नहीं थे. कई दिनों तक वो मोहन जी से प्रभावित होता रहा. फिर एक सुबह जब मोहन जी उसके स्टाल पर ज्यूस लेने आये,
तब उसने पहल कर के मोहन जी को विश करते हुये राम राम बोल ही दिया. मोहन जी आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और कहां अरे तुम बोल सकते हो.
सूरज बोला हां सर में बोल सकता हूं आपको ऐसा क्यों लगा. मोहन जी बोले बेटा तुम इतने दिन से यहाँ आ रहें हो. मैंने तुम्हारे मुँह से कुछ सुना नहीं. सूरज बोला सर मुझे थोड़ी हिचक होती है.सूरज बोला सर मुझे आपका स्वभाव बहुत अच्छा लगता है
जिस तरह से आप सब से हॅस कर बात करते है. सब आपको पसंद भी करते है. मोहन जी बोले बेटा शायद तुम्हे यह भी लगा होगा कीं में तुमसे बात क्यों नहीं करता.सूरज बोला हां मुझे लगा.
मोहन जी बोलें बेटा मैंने जानबूझ कर तुमसे बात नहीं कीं और मुझे यह भी पता था कीं तुम एक दिन मुझसे जरूर आगे रहकर बात करोगे. मुझे तुम्हारा स्वभाव पता चल गया था तुम शर्मिले और हिचकिचाने वाले स्वभाव के हो.में भी कभी तुम्हारी तरह था.
फिर जब मैंने स्कूल पास कर लिया तब जिन्हे में गुरु मानता हूं उन्होंने मुझे 3 बातें बताई और वो बात मैंने गांठ बाँध ली.
पहली- दिल साफ होना चाहिये
दूसरी- चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिये
तीसरी - नमस्कार .
बस मैंने उनकी यह बात हमेशा मानी वो बोले कीं अगर यह 3 बातें तुमने याद रखी तो कभी परेशान नहीं हो सकते. दिल साफ रखोगे तो ना किसी से इर्षा होंगी और ना खुद पर अहंकार होगा.
पहली बात मानोगे तो दूसरी अपने आप होंगी चहेरे पर मुस्कान रहेगी और तीसरी सभी को नमस्कार करो, बोलो,बस इतना बोलने मात्र से ही तुम्हारे और सामने वाले में बहुत दूरी कम हो जाती है.
कुछ स्वार्थ मत रखो. सिर्फ नमस्कार करो. हम चाहे कुछ धंधा करें या कोई नौकरी हर जगह हमें दूसरे व्यक्ति पर निर्भर होना पड़ता है. नमस्कार हमें लोगों से जोड़ता है बस मैंने ओर कुछ नहीं किया.
मेरे इस नमस्कार से कई लोगों को इर्षा हुई लेकिन मैंने उन्हें भी नमस्कार किया.और कुछ करने कीं मुझे जरुरत ही नहीं पड़ी. इस नमस्कार नें मेरे ना जानें कितने मित्र कितने सम्बन्ध बना दिये.
तुम्हारा स्वभाव जैसा भी हो बस तुम यह 3 बाते अपने जीवन में उतारो देखो कैसे चमत्कारिक रूप से तुम्हारा जीवन बदल जायेगा. उस युवक को मोहन जी कीं बात बहुत प्रभावित कर गई. और उसने भी बिना किसी स्वार्थ के नमस्कार करना शुरू कर दिया. एक महीने में ही उसके स्टाल पर पहले से दोगने लोग आने लगे.
2- कहानी
जादुई बर्तन ( Magical utensils)
Story of magic
Panchtantra ki kahaniya
Fairy tales stories
Motivational story
Emotional story of poor girl
रचना अभी 19 साल कीं है एक गरीब परिवार से है.वो अपने माता पिता कीं एक ही संतान है. इसलिये उसे बड़े लाड से पाला है. पिताजी कीं थोड़ी बहूत खेती है
और इस तरह से उनका गुजारा चल जाता है. लेकिन इस परिवार में एक विपदा आए जाती है. रचना के पिता का आकस्मिक देहांत हो जाता है. इस सदमे से रचना कीं माँ भी बिस्तर पकड़ लेती है.
रचना को समझ नहीं आता है उनके साथ यह क्या हो गया. इतनी छोटी से उम्र में ही रचना के ऊपर उसकी और उसकी माँ कीं ज़िम्मेदारी आ जाती है. क्यों कीं रचना को उसके घरवालों नें बड़े ही लाड से पाला था इसलिये उसे ज्यादा काम आता नहीं.
उसे थोड़ा बहुत खाना बनाना आता है. इसलिये वो पास के गाँव में एक घर में खाना बनाने के काम मांगने गई. रचना नें काम पाने के लिये उन्हें कह दिया कीं उसे सब आता है. फिर पहले दिन उसने किचन में खाना बनाया. रचना को तब पता चला कीं उसे बहुत सारी बातें पता ही नहीं है. लेकिन जैसे तैसे उसने खाना बनाया.
रचना नें खाना चखा. खाना बन गया था लेकिन उसमे वो स्वाद नहीं था. खाना उसने परोसा और घर के सभी लोगों नें खाया. लेकिन सबको खाते देख कर ही वो समझ गई थी कीं उसका बनाया खाना उन्हें पसंद नहीं आया है. घर कीं मालकिन नें बोला कीं तुम तो कहती थी कीं तुम्हे सब आता है
लेकिन तुम्हारा खाना तो खाने लायक नहीं है. रचना बोली वो आज पहला दिन था तो थोड़ा समझने में समय लगा. मालकिन बोली कीं तुम रहने दो तुम छोटी भी हो और तुमसे नहीं हो पायेगा.
रचना मालकिन को बहुत मिन्नते करने लगी कहने लगी कीं उसकी माँ बहुत बीमार है और पापा का देहांत हो गया है आप कल के दिन मुझे एक मौका और दीजिये. मालकिन नें कहा कीं ठीक है तुम्हारी हालत को देख कर में तुम्हे कल और खाना बनाने का मौका देती हूं.
लेकिन कल भी अगर यही हाल रहा तो फिर में कुछ नहीं सुनुँगी.मालकिन बोली तुम्हारा बनाया खाना आज किसी नें नहीं खाया तो तुम बचा हुआ खाना अपने घर लें जाओ. रचना नें खाना बाँधा और अपने गाँव कीं ओर चल पड़ी.
रास्ते भर वो सोच में पड़ी थी कभी अपने पिता को याद करती कभी कुछ. भगवान से प्रार्थना करती जा रही थी और खुद को कोसते जा रही थी उसने कुछ सीखा नहीं. तभी उसे एक बूढ़ी अम्मा कीं आवाज सुनाई दी. बूढ़ी अम्मा एक पेड़ के निचे बैठी थी.
अम्मा उसे बोली कीं बेटी कुछ खाने को हो तो मुझे दे दो में 2 दिन से भूखी हूं. अम्मा को देख कर रचना आंसू आए गये उसे लगा कीं यह उसकी माँ है.
इसलिये उसने बाधा हुआ खाना खोला. लेकिन फिर उसने सोचा और अम्मा को कहा कीं अम्मा मेरा खाना इतना अच्छा नहीं है आप खा नहीं सकोगी. अम्मा बोली बेटा तू इतनी अच्छी है तो तेरा खाना कैसे अच्छा नहीं होगा. रचना नें खाना अम्मा को खिलाया.अम्मा नें खाना खाते ही बोला बेटा तुने बहुत अच्छा खाना बनाया है.
रचना बोलती है तुम झूठ बोलती हो अम्मा खाना अच्छे से पका भी नहीं है मालकिन बोलती थी. अम्मा बोली नहीं बेटी बहुत अच्छा है. अम्मा को खाना देकर रचना जानें लगी. अम्मा बोली बेटी लगता है तू परेशान है.
में तुझे कुछ दे नहीं सकती हां लेकिन मेरे पास 2 बर्तन है. इसमें अगर तू खाना बनाएंगी तो मुझे याद करेंगी. रचना अपने घर आयी क्यों कीं सारा खाना उसने अम्मा को दे दिया था इसलिये घर पर उसके और उसकी माँ के लिये खाना बनाना था.
रचना नें अम्मा के दिये बर्तन से खाना बनाया. और वो अचरच में पड़ गई क्यों कीं बर्तन चमत्कारिक थे. बर्तन जैसे ही चूल्हे पर चढ़ाया कुछ ही मिनट में खाना बन गया. बर्तन चढ़ाते ही रचना कीं दिमाग़ में अपने आप सारी सामग्री भी आने लगी जो उसमे डालनी थी.
जो सामग्री डालनी थी वो उसके पास ही पड़ी मिलती. खाना बनने पर जब खाना खाया तो उसकी बीमार माँ जो भोजन नहीं कर पा रही उन्होंने नें भी आज अच्छे से खाना खाया. हालांकि कीं रचना को अब जादुई बर्तन के बाद काम करने कीं जरुरत नहीं थी
लेकिन फिर भी सुबह बर्तन लेकर मालकिन के घर गई.और उनका मनपसंद खाना बनाकर खिलाया. मालकिन के साथ सभी घरवाले उंगलियां चाटने लगे. रचना अब गरीबो कीं मदद करने लगी उनके लिये खाना बनाने लगी.
3- kahani
लालच का फल
Stoty of greed
Greedy story
Lessonablestory
Eye opebable story
राखी एक गाँव में रहती है. राखी का पति खेती करता है और उसके 2 बच्चे है.उसका छोटा और सुखी परिवार है. लेकिन राखी हमेशा दूसरों को देख कर जलती थी.
उसे पैसो कीं भूक थी. वो आलीशान घर और कार चाहती थी. इसलिये उसकी हमेशा पति से खिट पिट भी होती रहती थी. दूसरों के घर में हमेशा उसकी नज़र रहती थी. राखी कीं पड़ोसन एक दिन उसे मोटी सोने कीं चैन पहने दिखी. उसको बर्दाश्त नहीं होता है.
उसको समझ नहीं आता है कीं उसकी पड़ोसन के पास यह मोटी चैन आयी कहां से. वो उसको पूछ लेती है बोलती है तुमने यह चैन कहां से ली. चोरी कीं है क्या. वो बोली नहीं मेरे साथ एक चमत्कार हुआ है
में जब जंगल के रास्ते शहर से आ रही थी. तभी एक बूढ़े महात्मा हमें वहाँ पेड़ के निचे बैठा दिखाई दिया. उन्होंने आवाज लगाकर हमसे कहां पानी पिलवा सकते हो. हम तो अचम्बे में भी आ गये कीं इतनी सुनसान जगह पर यह यहाँ क्या कर रहें है.
हमने सोचा कोई शायद रास्ता भटक गया होगा. हमने उन्हें पानी दिया.और साथ ही कुछ खाने को भी दिया. देखने में वो साधारण थे लेकिन जब उन्होंने पानी और खाना खाया तो, उन्होंने कहां कीं तुमने मुझे पानी और खाना खिलाया में भी तुम्हे कुछ दूंगा.
उनके पास एक झोला था जो खाली था लेकिन उन्होंने उसमे हाथ डाला और फिर उसमे से यह मोटी चैन निकाल कर हमें दे दी और वहाँ से चले गये. यह बात सुनकर राखी कीं आंखे फटी रह गई. वो बोली तू सच बोल रही है. पड़ोसन बोली के उसने अभी तक यह बात सिर्फ उसे ही बताई है.
राखी के मन में अब लालच आ गया. अगले दिन से वो पानी और खाना लेकर उस जगल में जानें लगी.लेकिन लगातार 20 दिन जानें के बाद भी उसे वहाँ वो दिखाई नहीं दिये .
फिर एक दिन उसे वो जंगल में बैठे दिखाई दिये. राखी उनके पास गई और उन्हें प्रमाण कर के उनको पानी और खाना देने लगी. वो महात्मा व्यक्ति राखी को देख कर बोले,मुझे पता है तुम कब से मुझे ढूंढ रही हो. राखी को सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ कीं उन्हें उसके बारे में भी पता है. राखी बोली आप तो सब जानते है.
वो बोले हां में सब जानता हूं और यह भी जानता हूं कीं तुम्हे क्या चाहिये. तुमने मुझे इतनो दिनों तक ढूंढा, इसलिये में तुम्हे वो सब दूंगा जो तुम चाहती हो.
लेकिन मेरी एक शर्त है. अगर तुम दोबारा मुझे मिलने आ गई, तो तुम्हारी स्थिति पहले जैसी हो जायेगी. लालच नें उसे अंधा कर दिया था वो बोली हां ठीक है आपकी सारी शर्ते मुझे स्वीकार है.
उन्होंने अपने झोले से एक मुट्ठी राख़ दी और कहां कीं इसे अपने घर के कमरे में आंख बंद करके डाल देना. फिर आँख खोलते ही तुम जो चाहोगी वो मिल जायेगा.
राखी वहाँ से भागते हुऐ जल्दी से अपने घर पहुंची और कमरे में आंख बंद कर के उसने सोचा कीं सारा कमरा सोने से भर जाये और वो राख़ कमरे में फैला दी.
आंख खोलते ही उसे चमक ही चमक दिखाई दे रही थी सारा कमरा सोने से भरा हुआ था. उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा वो नाचने लगी. पागल सी हो गई. वो अब अपने पति और बच्चों को ढ़ूढ़ने लगी.
उसने अपने घर बारांदे में देखा बच्चे नहीं दिखाई दिये. उसे लगा की वो खेत पर गये होंगे उसके पति के पास वो वहाँ गई पर उसे ना उसका पति दिखाई दिया ना बच्चे.वो घर वापस आ गई उसे लगा कीं वो कहीं गये होंगे शाम तक वापस आ जायेंगे.
वो वापस आकर फिर सोना निहारने लगी. शाम हो गई लेकिन उसके बच्चे और पति दोनों ही वापस नहीं आये. शाम से रात हो गई अब उसकी चिंता बढ़ने लगी. वो घर के दरवाजे पर ही टक टकी लगाये देखें जा रही थी.
लेकिन करीब आधी रात बाद भी जब पति और बच्चे ना आये तो,वो रोने लगी. कमरा सोने से भरा था लेकिन फिर भी वो रो रही थी. उसे समझ आ गया सुबह होते ही वो जगल में उस महात्मा से फिर मिलने गई. पूरा जगल ढूंढा नहीं मिला वो रोते हुऐ पेड़ के निचे बैठ गई.
वो महात्मा एकदम से उसके पास आ गये . बोला कीं में तुम्हे देखकर जानबूझ कर छुप रहा था तुम्हे याद नहीं कल मैंने क्या कहां था. राखी रोते हुऐ उनके पैरो में गिर गई और बोली मुझे कुछ नहीं चाहिये सब लेलो. बस सब पहले जैसा कर दो. बूढ़े महात्मा नें बोला आज पानी नहीं पिलाओगी. राखी भागते हुऐ पास के तालाब से पानी लें आयी.
पानी पिने के बाद वो बोले आज तुमने सच्चे दिल से मुझे पानी पिलाया है और में भी अब तुम्हे सच्ची दौलत लौटा देता हूं.जो तुम्हारी थी ही पर तुम्हे कद्र नहीं थी. वो घर आयी तो पति और बच्चे घर के दरवाजे पर ही थे. उसने अपने पति से पूछा कीं आप कहां थे वो पति बोला वो अपने दोस्त के यहाँ ही था अचानक बच्चे भी आ गये
और खाना खा कर हम लोग रात वही सो गये, पति नें पूछा लेकिन तुम कहां गई थी सुबह सुबह. राखी नें कुछ नहीं बोली.उस महात्मा नें राखी कीं आंखे खोल दी और सच्चे धन से उसे अवगत करा दिया.