फॉर्महॉउस पर जब रीना जाती है तो नौकर कीं इस बात से वो बिगड जाती है. कहानी अंत तक जरूर पढ़े. यह एक Emotional story के साथ Moral story भी है. साथ ही heart touching story है जो आपको पसंद आयेगी.
फॉर्महॉउस का नौकर||Emotional story|| Heart touching story||Moral story in hindi||Bed time stories||Hindi Kahaniyaa ||
मेरा नाम रीना है. मेरी शादी एक बड़े घर में हुई है. मेरी पति राजीव कीं फैमिली का अच्छा बिज़नेस है. राजीव एक लौते है.
सांस ससुर, में और राजीव हम चार लोगों का ही परिवार है. राजीव और पापा जी सारा बिज़नेस सँभालते है.
इसलिये काम से वापस आने का कोई समय नहीं होता है. राजीव अब एक नया काम शुरू करने वाले है नयी जगह पर.वहाँ पर हमारा एक फार्म हॉउस भी है.
इसलिये हम दोनों कुछ दिन वही जाकर रहेंगे. फार्म हाउस में समय बिताने के साथ राजीव अपना काम भी करते रहेंगे. सुबह जल्दी ही हम लोग फार्म हाउस में पहुंच गये.
फार्म हाउस कीं देख रेख के लिये एक नौकर था. वो वही पास एक रूम में रहता था. हम जैसे ही पहुँचे दूर से किशोर दौड़ता आया हमारी कार के पास.
आकर उसने ही कार का दरवाजा खोला. नमस्ते मालकिन हॅसते हुऐ मुझे बोला. राजीव नें कहां यह किशोर है हमारे फार्म कीं देखभाल करता है.
में अंदर जाकर बैठी. थोड़ी देर बाद राजीव अपने काम में बिजी हो गये. उन्होंने किशोर को कहां कीं मैडम को फार्म दिखा दो. किशोर बोला ठीक है साहब.
वो मुझे फार्म दिखाने लें गया. फार्म में हम घूम रहें थे तब गेट के बाहर से एक लगभग 6- 7 साल कीं लड़की नें किशोर को आवाज लगाई,
वो स्कूल से वापस जा रही थी. किशोर बोला मैडम में आता हूं. वो गेट पर खड़ा उस लड़की से बात करने लगा. मेरी नजर पड़ी तो वो लड़की मेरी तरफ ही देखें जा रही थी.
फिर वापस आकर बोला मैडम आप आराम करिये में आता हूं. ऐसा बोलकर वो चला गया. अगले दिन सुबह फिर राजीव अपने काम से जल्दी चले गये.
में सुबह सो कर उठी. मेरे उठते ही मुझे दरवाजे पर किशोर दिखाई दिया. मैंने पूछा क्या कर रहें हो यहाँ पर. बोला मैडम अभी आया हूं चाय लेकर.
मैंने बोला ठीक है यहाँ टेबल पर रख कर चले जाओ. में नहा कर किचन में गई. किशोर वही था. अपना कुछ काम कर रहा था. फिर वो मुझसे बाते करने लगा.
में उस तरह कीं लड़की नहीं हूं कीं कोई एकदम से मुझ से बात करें और में भी उससे करने लगू इसलिये मैंने उसकी बातो पर कोई जवाब नहीं दिया.
यहाँ का पुराना नौकर था. इसलिये मै उसकी बाते सुन भी रही थी. अगर ऐसा नहीं होता तो शायद में उसे डांट देती. अभी मुझे यहाँ आये 2-3 दिन हो गये थे.
मैंने यह नोटिस किया कीं वो मुझसे बात करने कीं कोशिश लगातार करता ही रहता था. एक दोपहर में कमरे में अकेली बैठी थी.
अचानक से किशोर कमरे में आता है. बोलता है मैडम मुझे कुछ पूछना है मैंने बोला क्या. बोला मैडम आप बुरा मत मानना.
मैंने बोला पूछो बोला मैडम में आपकी एक फोटो लें सकता हूं. मेरे मुँह से निकला क्या. बाहर निकलो अभी कमरे से.
किशोर बोला मैडम आप गलत समझ रहें है मेरी बात तो सुनिए. मुझे पता नहीं क्यों गुस्सा आ गया मैंने बोला बाहर निकलो या अभी तुम्हारे साहब को फोन करू.
इतना बड़ा घर और मेरे लिये तो अनजान ही था.ऊपर से वो इस तरह कीं बाते कर रहा था. मुझे कुछ अजीब लगा.
मैंने सोचा शाम को राजीव आएंगे तो सबसे पहले इसकी छुट्टी करवाउंगी.शाम को राजीव आये तो मैंने उनको सब बताया.
राजीव मानने को तैयार ही नहीं थे बोले यह कई सालो से है.उसकी एक बच्ची भी है तुम कुछ गलत समझ रही हो. उसकी बच्ची के बारे में मुझे पता नहीं था.
मैंने बोला कई सालो से यहाँ कोई लड़की भी नहीं आई थी. राजीव नें बोला रुको अभी बुलाकर बात करते है. राजीव नें किशोर को आवाज लगाई.
किशोर आया तो राजीव नें बोला क्या हुआ किशोर तुम्हारी मैडम कुछ कंप्लेंट कर रही है. साहब मैंने सिर्फ फोटो लेने को कहां था.
राजीव नें पूछा क्यों चाहिये तुम्हे फोटो. किशोर बोला साहब आप तो जानते है मेरी 7 साल कीं एक बच्ची है. उसकी माँ उसके पैदा होते ही चल बसी थी.
और जब वो 2 साल कीं तब हमारे घर में आग ला गई थी भगवान कीं कृपा हम तो बच गये लेकिन उसकी माँ कीं सारी निशानियां ख़त्म हो गई.
बिना माँ कीं बच्ची को संभालना बड़ा मुश्किल होता है साहब. मैडम उस दिन जब में आपका फार्म दिखा रहा था तब स्कूल से घर वापस जाते वक्त उसने हमें देख लिया.
मेरा घर यही थोड़ी दूर पर है उसकी दादी उसे संभालती है. हमेशा मुझसे पूछती रहती थी कीं पापा मेरी कैसी दिखती थी कैसी चलती थी कैसे बातें करती थी.
में उसे कहता था वो बहुत सुन्दर थी. यहाँ गाँव में उसके जैसा कोई नहीं है. आपको जब देखा तो उस दिन मुझे उसने यही पूछा क्या पापा मम्मी ऐसी थी
मैंने उसे कहां हां ऐसी ही थी. तब से जिद पर अड़ गई कीं मुझे मैडम से मिलना है. वो मेरी मम्मी जैसी है.स्कूल नहीं जा रही.
में इसलिये आपसे बात कर रहा था कीं आपको यह सब बता सकूँ. लेकिन आपका स्वभाव अलग है. फिर उसने आज सुबह से कुछ खाया नहीं.
बोल रही है फोटो लाना में मेरे स्कूल वाले दोस्तों को दिखाउंगी कीं मेरी मम्मी ऐसी थी, तो मैंने बोला कीं में तुझे फोटो लेकर दिखा दूंगा.
वो बोली पक्के से लाना. इतना कहकर किशोर फूट फूट कर रोने लगा. रोते हुऐ ही बोला बच्ची है मैडम उसका नसीब ही ऐसा है.
पैदा होते ही माँ मर गई और बाप मुझ जैसा मिला.मैडम हम साहब से कुछ भी बोल देते थे. साहब का कभी मुझे डर नहीं लगा यही आदत मुझे पड़ गई और मैंने आपको भी अपना समझ कर बोल दिया.
आप मुझे बताने देती तो में आपको भी बता देता. किशोर कीं बाते सुनकर मुझे अपने आप पर गुस्सा आया. राजीव नें किशोर को चूप कराया और कहां कीं कीं बच्ची को वहाँ क्यों रखते हो उसे यही रखो इतना बड़ा फार्म हाउस है.
कल बच्ची को लेकर आओ. सुबह वो बच्ची को लेकर आया बच्ची को दूर से ही मुझे दिखा रहा था शायद अब भी झिझक रहा था.
में खुद बच्ची के पास गई. बोला अरे हम यहाँ 4 दिन से है और आप अब आ रही है.मेरे ऐसा कहने पर बच्ची के चहरे पर जो मुस्कान आयी वो अनमोल थी.
वो मुझसे लिपट गई. जब तक में वहाँ रही में उसके साथ खेलती और हॅसती रही. एक अलग ख़ुशी मिल रही थी. अब वो एक वजह बन गई थी मेरे वहाँ बार बार जानें कीं.
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