स्कूल के बाहर बैर बेचने वाली एक अम्मा कीं कहानी| Hindi story| Hindi kahani| Sad story| हिंदी कहानी|StoriyaanTv |

स्कूल के बाहर बैर बेचने वाली एक अम्मा कीं कहानी| Hindi story| Hindi kahani| Sad story| हिंदी कहानी|StoriyaanTv |


बुढ़िया अम्मा के बैर|

अंजली को याद आता है बचपन|

अंजली एक छोटे से गाँव कीं लड़की है. लेकिन एक छोटे से गाँव कीं होकर भी वो मेहनत कर के इंजीनियर बन गई. अंजली को पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी मिल गई. अंजली ने अपने पिता के गाँव में 5 तक पढ़ाई कीं. वहाँ के स्कूल में पढ़ने के बाद पिता औऱ उनके भाइयों में जमीन को लेकर विवाद हो गया. जिसके कारण अंजली औऱ उसके परिवार को गाँव छोड़ना पड़ा. पिता एक छोटे शहर में आ गये.मेहनत मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया. आज अंजली एक अच्छी नौकरी करके अच्छे पैसे कमा रही है. बचपन कीं कुछ बातें होती है जो हमें जीवन भर याद रहती है. कई बाते होती है. जिन्हे सोच कर फिर से हमारा मन खुश हो जाता है.अंजली कीं भी एक ऐसी ही याद है. अंजली गाँव में रहती थी. तब उनके स्कूल के बाहर एक बूढ़ी अम्मा बोर कीं टोकरी लें कर बैठती थी, औऱ वो एक रूपये में नमक मिर्च लगाकर बहुत सारे बैर दे दिया करती थी. उन बैरो का खट्टा मीठा स्वाद आज भी अंजली को याद आता है. कई बार उसने कई जगह से वैसे ही बैर खाये,लेकिन उसे वो बात नहीं लगी. जो वो बूढ़ी अम्मा के हाथो में थी.

बूढ़ी अम्मा आज भी वही बैठती है|

अंजली के पिता के भाई का देहांत हो गया. तो उसके पिता के साथ अंजली भी एक बार फिर उसी गाँव में आयी. कुछ दिन वो वही रही. फिर वो आते समय अपने स्कूल वापस गई. उसे लगा कीं वो एक बार अपने बचपन का स्कूल देख कर आ जायेगी. वो स्कूल गई औऱ उसे आश्चर्य हुआ कीं वो बूढ़ी अम्मा आज भी वही बैठी है. बैर कीं टोकरी लिये. पहले से ज्यादा बूढ़ी हो गई. सुनाई भी कम देता है. अंजली उन्हें देख कर बहुत खुश हुई. वो उनके पास जाकर बोलती है अम्मा बैर दो. अम्मा बैर देती है बैर अब एक रूपये कीं जगह 5 के हो गये थे. अंजली ने उन्हें 500 का नोट दिया. अम्मा लड़खड़ाती जुबान में बोली बेटी, इतने में तो मेरी 20 टोकरी आ जायेगी. अंजली अम्मा के पास बैठ गई. कहां अम्मा रख लों. इतने साल आपके बैर कीं बहुत याद आयी.

अम्मा का दर्द|

बूढ़ी अम्मा बोली बेटी 20 साल से मैं यहाँ बैठती हूं. कभी कोई तुम्हारे तरह आ जाता है, तो अच्छा लगता है. वरना मुझे तो कब के मेरे बच्चे भी भूल गये. पता नहीं अब कहां है. मैं भी इन बच्चों को देखती हूं तो मुझे अच्छा लगता है. बैर तो बहाना है जब छोटे छोटे इन जैसे मुझे अम्मा बोलते है,तो कलेजे को ठंडक मिलती है. अम्मा बोलते बोलते रोने लगी.अंजली को भी रोना आ गया.अंजली बोलती है,अम्मा अब तुम्हारी यह बच्ची तुम्हारा ख्याल रखेगी. अंजली ने अपने गाँव के रिश्तेदार से बोल कर अम्मा के रहने का इतेज़ाम करवा दिया. अंजली कीं मदद से अम्मा को अब खाने औऱ रहने कीं कोई परेशानी नहीं.लेकिन बूढ़ी अम्मा अभी भी टोकरी लेकर स्कूल के बाहर जाती है. बच्चों को देखने.उनके जीवन में खट्टी मीठी यादें बनाने.

आप यह कहानी यहाँ भी सुन सकते है|

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Ads