पिता हमने तुझे पैसा लेने के लिये बड़ा नहीं किया| Hindi kahani| Hindi story| Family Story| Stories| Kahaniyaan| हिंदी कहानी|

पिता हमने तुझे पैसा लेने के लिये बड़ा नहीं किया| Hindi kahani| Hindi story| Family Story| Stories| Kahaniyaan| हिंदी कहानी|


गाँव में रहते है पिता|

रमन सिंह औऱ उनकी पत्नी लीला देवी गाँव में रहते है| उनकी 2 संताने है| एक लड़का सूरज औऱ लड़की रश्मि| दोनों को ही उन्होंने अच्छा पढ़ाया है. बेटा औऱ बेटी दोनों कीं शादी हो गई है. बेटा सूरज बड़े शहर में रहता है. इंजीनियर है अच्छा कमाता है औऱ सूरज के भी 2 बच्चे. ऐसे तो वो कभी कभी गाँव आ जाते है मिलने, लेकिन अब 1 साल से सूरज मिलने नहीं आ पाया. औऱ इधर माँ बाप को सूरज का घर भी देखना था. सूरज ने एक नया फ्लैट लिया है| तो उसकी पूजा के लिये वो वहाँ जायेंगे. रमन औऱ लीला बेग भरकर बेटे सूरज के शहर पहुंच गये. सूरज उन्हें देख कर खुश हुआ बहूँ ने भी अच्छे से आवा भगत कीं|

बड़े शहर, घर छोटा और किस्त|

फ्लैट कीं पूजा हो गई रमन जी गाँव में रहते है| तो उन्हें फ्लैट कुछ जमा नहीं 1 BHK था. वो भी बड़ा महंगा लिया था. वो सूरज को बोले बेटा शहरों में यही मुझे पसंद नहीं घोसले जैसे घर होते है. सूरज ने घर लोन पर लिया था. अब सूरज के माता पिता ने बातों बातों में बोला कीं बेटा हम तो यही रहेंगे कुछ दिन.1 BHK फ्लैट में सूरज औऱ 2 बच्चों के साथ अब माँ बाप भी रहने लगे. बहूँ सुनीता को अब परेशानी होने लगी. क्यों कीं घर छोटा ऊपर से कार औऱ घर कीं किस्तें साथ ही दोनों बच्चों कीं स्कूल कीं भारी भरकम फीस. लेकिन उन दोनों ने अपने पिता औऱ माँ से कुछ नहीं कहां|


पिता हमने तुझे पैसा लेने के लिये बड़ा नहीं किया|

पिता जी सप्ताह भर बाद बेटे से बोले अच्छा बेटा हम कल सुबह जा रहें है| बेटे ने पूछा क्यों कुछ हुआ क्या आप एकदम से जानें कीं बात क्यों कर रहें है| बेटे ने एक नजर सुनीता कीं तरफ भी कीं. उसे लगा कीं शायद उसने कुछ बोल दिया होगा. पिता बोला बेटा जब तू छोटा था कुछ बोल भी नहीं पाता था तब भी मैं औऱ तेरी माँ समझ जाते थे कीं तुझे क्या चाहिये. आज तू भी बच्चों का बाप है तू भी समझ सकता है, मैं क्या कह रहा हूं. बेटा तू बड़ा हो गया है लेकिन आज भी हमारा बेटा है बेटा बड़े शहर मैं नौकरी घर औऱ बच्चों को पढ़ाना कितना मुश्किल है यह मैंने देख लिया,तेरी परेशानी हमें अच्छे से दिखाई दे रही है. किस तरह से तू बड़े शहर में शंघर्ष कर रहा.यह मुझे दिखाई दे रहा है. मैं यहाँ यह देखने के लिये ही रुका था. बेटा हम तेरे माँ बाप है हमसे आज भी तू कुछ भी कह सकता है, जैसे बचपन में कहता था. आज भी कुछ भी मांग सकता है. जैसे तब मांगता था. हमारे पास जो भी है सब तेरा है. हमने तुझे इसलिये बड़ा नहीं किया कीं बुढ़ापे मैं हम तुझे बड़ा करने का हिसाब लें. बेटे कीं आँखों में आंसू आ गये. पिता ने आगे कहां. जरुरत पड़ी तो हम ज़मीन बेच देंगे, ताकि तेरा लोन का पैसा कम हो जाये.यह सब तेरे औऱ तेरी बहन के काम नहीं आएगा तो किसके आयेगा| बेटा बोला नहीं अभी उसकी कोई जरुरत नहीं है. पिता बोला बेटा कभी भी परेशान मत होना, जब तुझे जो चाहिये बस तो बता देना. हमें कुछ नहीं चाहिये हमें अब सिर्फ तुमको औऱ बच्चों को खुश देखना है| अक्सर पिता औऱ बेटा बड़े होने के बाद गले लगना, प्यार जताना भूल जाते है, यह दोनों भी ऐसे ही थे लेकिन अब बेटे ने पिता को गले लगाया औऱ उन्हें जानें नहीं दिया. वो वही रहें 1 महीने. सूरज को अब थोड़ी औऱ हिम्मत आ गई. उसे समझ आ गया कीं उसके पिता उसे गलत नहीं समझेंगे औऱ बाकि प्रॉब्लम तो वो सुलझा ही लेगा|


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