कहानी - राजा और चतूर युवक कीं कहानी. राजा अपने ही जाल में उलझा. बहुत ही मनोरंजक कहानी.

कहानी

अभिमानी राजा और चतूर युवक.

एक राजा था उसको अपने पर बड़ा अभिमान था उसको लगता था,कीं वो सब जानता है. उसमे बहुत ज्ञान है राज्य में उसके मंत्री औऱ दूसरे सभापति उसकी चापलूसी करते थे. राजा ने कई ज्ञानीयों से ज्ञान लें लिया था. अब उसे लगने लगा कीं इस पृथ्वी पर ऐसा कुछ भी नहीं है. जो वो नहीं जानता है. इस अभिमान से भरे राजा ने एक दिन अपने राज्य मैं यह घोषणा करवाई कीं, जो भी राजा के सामने 3 ऐसी बात लेकर आयेगा जो राजा नहीं जानते है. तो राजा उसे अपना आधा राज्य दे देंगे, लेकिन ध्यान रहें अगर वो राजा के सामने आकर ऐसा करने में असमर्थ होता है. तो राजा उसे दंड स्वरुप मृत्युदंड देंगे.

मृत्युदंड कीं घोषणा के बाद भी आया युवक-

राजा कीं ऐसी घोषणा के बाद कई लोगों सोचा जरूर, लेकिन वो राजा के सामने नहीं जा पाये क्यों कीं उन्हें भय था कीं राजा को सब पता है इसलिये वो वहाँ जाकर अपनी जान गवाना नहीं चाहते थे. कई दिनों बाद एक बुद्धिमान औऱ चतुर युवक को राजा के इस सन्देश का पता चला. युवक का नाम सरस था. वो नगर के बाहर रहता था,वो राजा कीं सभा में पहुँचा राजा कीं सभा में मंत्री के साथ नगर के प्रीतिष्ठित लोग भी थे ताकि राजा का निर्णय सभी को पता चले साथ ही राजा कुछ गलत नहीं करता ऐसा नगर वसीयों को ज्ञात हो.सब सोच रहें थे कीं यह मुर्ख राजा कीं सभा मरने को आ गया.राजा भी उसे देख कर खुश हुआ. राजा ने उससे पूछा अच्छा क्या नाम है तुम्हारा, युवक बोला सरस. राजा बोला कीं अच्छा तो तुम ऐसा कुछ जानते हो जो मैं नहीं जानता. युवक बोला हां महाराज मैं ऐसा बहुत जानता हूं जो आप नहीं जानते. राजा को यह बात सुनकर थोड़ी सी ठेस लगी राजा बोला पता है अगर नहीं बता पाये तो दंड क्या है. सरस बोला हां मुझे पता है. राजा बोला तो बताओ फिर मैं क्या नहीं जानता.

युवक ने रखी 3 शर्ते-

सरस बोला कीं मैं आपको 3 बाते तो बता दूंगा लेकिन बताने के पहले मेरी एक शर्त है. अगर आप वो मानेगे तो ही मैं शुरुवात करूँगा. राजा ने पूछा कैसी शर्त बताओ, युवक बोला मैं 3 दिन में वो 3 बातें बताऊंगा. एक दिन मैं एक. राजा ने सभा में बैठे मंत्री गण कीं तरफ देखा. फिर उस युवक कीं शर्त को मान लिया. युवक ने पहली बात बताई युवक बोला हे राजन आपके ज्ञान कीं ख्याति पूरे राज्य मैं. लेकिन आप शायद यह नहीं जानते कीं आपके राज्य में कितने नगर वासी है जनगणना कितनी है. राजा के चेहरे पर थोड़ी शिकन आयी, लेकिन फिर उसने अपने मन से कोई भी एक संख्या बता दी. औऱ बोला कीं तुम्हे क्या लगता है मैं नहीं जानता था कीं मेरे राज्य मैं लोगों कीं संख्या कितनी है. कुल 5लाख 23 हज़ार 9 सो 37 लोग है. दरबारी राजा कीं वाह वाह करने लगे, सभी खड़े हो गये. युवक बहुत चतुर था. वो हॅसने लगा राजा उसको हसता देख बोला क्या मृत्यु के भय ने तुम्हे पागल कर दिया है जो हस रहें हो.युवक बोला नहीं मेरी मृत्यु आज तो नहीं है, क्यों कीं आपका जवाब गलत है. अभी यहाँ आने के पहले पास के गाँव के बुजुर्ग मनोहर काका का स्वर्गवास हो गया था औऱ पास के गाँव में ही आज 3 नवजात शिशु का भी जन्म हुआ है क्या नवजात आपके राज्य मैं नहीं आते महाराज. सभा में थोड़ा शोर हुआ. एक मंत्री बोला तुम चतुराई कर रहें हो. जीवित औऱ मृत का आकड़ा तो प्रतिदिन बदलता रहता है.
युवक ने मंत्री से कहां कीं क्या मैं गलत हूं आप बस इस बात का उत्तर दीजिये. राजा कीं सभा मैं विचार विमर्श हुआ, सभा मैं मंत्री के साथ आम जनता के प्रीतिष्ठित लोग होने के कारण युवक को आसानी से गलत नहीं ठहराया जा सकता था इसलिये युवक कीं एक बात सही ठहराई गई.

युवक ने राजा कीं बोलती बंद कीं -

युवक चला गया औऱ कहां कीं मैं अगले दिन फिर आऊंगा. राजा को थोड़ी चिंता होने लगी उसने कहां कीं इस युवक पर नजर रखी जाये. साथ ही ऐसे आंकड़े सम्बंधित जानकारी रात में संशोधन कर के मुझे बताई जाये. अगले दिन फिर युवक सभा मैं आया. उसके चेहरे पर आत्मविश्वास देखकर राजा को थोड़ी घबराहट हुई कीं अब यह क्या पूछेगा. युवक खड़ा हुआ औऱ मुस्कुराते हुऐ बोला हे राजन आप ने सभी प्रकार का ज्ञान अर्जित किया है मैं जनता हूं. लेकिन कभी कभी मनुष्य दूर का देखने मैं अपनी पास कीं वस्तुओं का महत्व नहीं जान पाता. राजा बोला बताओ भी मैं क्या नहीं जानता. युवक बोला आप इस विशाल राज सिंघासन पर विराजमान है. क्या आप जानते है इस सिंघासन को किसने बनवाया था. राजा बोला हां यह हमारे दादा जी बनवाया था फिर इसपर हमारे पिताजी बैठे औऱ उनके बाद हम औऱ हमारे बाद हमारा उत्तराधिकारी. यह तो हमें पता है. सभा मैं बैठे मंत्री सभी प्रसन्न हो गये. युवक बोला मुझे पता है यह आपको पता है लेकिन मैं आपको जो बताना चाहता हूं वो आपको नहीं पता. इस सिंघासन के चार पैर ना होकर 5 पैर क्यों है बीच मैं एक मोटा पैर क्यों रखा गया है. राजा बोला यह मजबूती प्रदान करने के लिये होगा. युवक बोला होगा यां है. राजा के चेहरे पर हवाईया उड़ गई बोला यह मजबूती के लिये ही है. तुम अब ज्यादा चतुराई दिखा रहें हो. युवक बोला नहीं महाराज मैं आपको बता देता हूं आपके दादा पुष्कर नाथ महाराज ने करीब 50 सालो तक इस राज्य पर राज किया उनके 50 साल पर यह सिंघासन उन्हें उस समय पुरस्कार स्वरुप मिला था यह 5 पैर उनके मजबूत 50 साल के लिये थे हर एक पैर 10 साल के लिये. राजा अपने सभापतियों कीं तरफ गुस्से से देखता है कीं उन्होंने यह बात उसे क्यों नहीं बताई राजा उस युवक को बोलता है तुम्हारे पास इसका क्या प्रमाण है तुम अभी तो युवक हो इतनी पुरानी बात तुम्हे कैसे पता है. वो युवक बोला इस प्रश्न का उत्तर आपको मेरी तीसरी बात में पता चल जायेगा,जो आप नहीं जानते. अभी मैं चलता हूं. राजा अपने मंत्रियो से बोलता है आज रात्रि में मुझे इस युवक कीं पूरी जानकारी चाहिये कल किसी भी कीमत पर यह ऐसा कुछ नहीं बताये जो मुझे ज्ञात ना हो. मैं अपना आधा राज्य नहीं खो सकता.


राजा ने युवक कीं निकली सच्चाई-

अगले दिन वो युवक फिर राजसभा मैं आता है. राजा उसको देख कर बोलता है आओ मुझे पता चल गया कीं तुम कल सच बोल रहें थे क्यों कीं यह सिंघासन तुम्हारे दादा ने बनाया था औऱ मेरे दादा को दिया था. इसलिये तुम यह जानते थे लेकिन अब तुम्हारे पास ऐसा कुछ नहीं जो मैं नहीं जानता तुम्हे अब दंड मिलना तय है, क्यों कीं हम राजा अपने कहे वचन को नहीं टाल सकते इसलिये तुम्हे दंड तो मिल कर ही रहेगा. युवक मुस्कुराते हुऐ बोला कीं आपके मुँह से यह बात अच्छी नहीं लगती महाराज क्यों कीं आप उसी परिवार से जो अपने वचन से मुकर जाते है. राजसभा मैं शोर मच गया. राजा गुस्से से चिल्ला कर बोला तुम्हारी इतनी हिम्मत तुम हमारे परिवार के लिये ऐसे शब्द का प्रयोग कर रहें हो, कौन सी बात से मुकरा हमारा परिवार. युवक बोला अच्छा आपको नहीं पता मुझे लगा कीं आपने सब पता लगा लिया तो शायद वो भी पता लगा लिया होगा. राजा बोला क्या.

3 बात सुनकर राजा के उड़े होश-

युवक बोला जब मेरे दादा जी यह पुरुष्कार आपके दादा को दिया था तब उन्होंने प्रसन्न होकर उन्हें 200 ऐकड़ ज़मीन औऱ 500 सोने कीं मुद्रा भेट देने कीं घोषणा कीं थी लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही आपके दादा जी का स्वर्गवास हो गया था. तब मेरे दादा जी ने कहां था कीं जो भी महाराज होगा वो हमारी भेट आज नहीं तो कल हम तक लें आएगा तब से हम अभी तक प्रतीक्षा कर रहें है. प्रतीक्षा मैं पहले मेरे दादा जी गये, फिर मेरे पिता. आपने यह घोषणा करवाई तो मुझे लगा कीं यह सही अवसर है आपको यह भी बताने का ऐसे तो आप को सब ज्ञात है. अब आपको अगर यह नहीं पता था तो मुझे आधा राज्य दीजिये और अगर पता था तो पहले आप अपने दादा जी कीं बात रखेंगे यां अपनी, यह निर्णय मैं आप पर छोड़ता हूं आप जो भी लेंगे मुझे स्वीकार है. राजा को भरी सभा मैं यह सब सुनना पड़ा. राजा को अपने पूवर्ज का भी सम्मान करना था नहीं तो उसकी छवि ख़राब हो जाती. साथ ही अगर वो कहता कीं उसे नहीं पता था. तो उसे आधा राज्य देना पड़ता राजा अपने ही जाल में फस गया था. उस युवक के चेहरे पर मुस्कान थी उसे पता था कीं अब उसे मृत्युदंड तो नहीं मिलेगा. राजा ने कहां कीं यह भी मुझे पता है.

राजा को हुआ पछतावा -

लेकिन पता होने के बाद भी में इस युवक को दंड नहीं दे रहा क्यों कीं पहले में अपने दादा जी का दिया वचन पूरा करूँगा. इसलिये आज तुम्हे दंड नहीं बल्कि मेरे दादा जी का दिया हुआ पुरुस्कार मिलेगा. सभा में तालिया औऱ राजा कीं जय जय कार हुई. लेकिन राजा उस युवक कीं तरफ ही देखता रहा. औऱ खुद को इस तरह का प्रयोजन करने के लिये कोसता रहा.

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